Monday, June 17, 2024
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नगर आयुक्त के बचाव में लगे अधिवक्ता

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  • हाईकोर्ट में कूड़ा निस्तारण के मामले में लग चुकी है नगरायुक्त को फटकार
  • अब नगर आयुक्त पर कोर्ट लगा सकता है करोड़ों का जुर्माना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कूड़ा निस्तारण मामले में झूठी रिपोर्ट लगाकर अपने को पाक दामन बताना नगर आयुक्त समेत नगर निगम के अधिकारियों के गले की फांस बन गया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सख्त नाराजगी जताई है। झूठी रिपोर्ट देने तथा शहर में कूड़े का निस्तारण न करने के मामले में नगर निगम पर करोड़ों का जुर्माना लग सकता है। हालांकि नगर निगम के अधिवक्ता अब नगर आयुक्त का बचाव करने में जुट गये हैं।

नगर निगम ने शहर को नर्क के ढेर पर बैठा दिया है। पूरी महानगर सीमा में जितना कूड़ा निकल रहा है। उसका निस्तारण नहीं किया जा रहा है। इस मामले में गत दिवस इलाहाबाद हाईकोर्ट में तीन सदस्यीय खंडपीठ में न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति ए.सेंथिल वेल ने सुनवाई की। आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश कुमार खुराना के अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ द्वारा केस की सुनवाई की गई। सुनवाई में ज्वाइंट कमेटी द्वारा की निरीक्षण आख्या में दर्शाया गया कि नगर निगम द्वारा लोहियानगर एवं गांवड़ी डंपिंग ग्राउंड पर कूड़ा निस्तारण वैज्ञानिक पद्धति से नहीं किया जा रहा है।

आख्या में यह कहा गया है की नगर निगम केवल अपने आंकड़ों के अनुसार अपने ही कागजों पर कचरा निस्तारण किया जा रहा है, नगर निगम अपने ही आंकड़ों के अनुसार जाल साज करके स्वच्छ भारत मिशन के धनराशि को गलत उपयोग में किया जा रहा है, जो की ठोस अपशिष्ट अधिनियम 2016 मनको के अनुसार नहीं पाए गए हैं। नगर निगम ने एनजीटी कोर्ट में यह स्वीकार किया की लोहिया नगर में 7 लाख मैट्रिक टन कचरा वहां पर है, लेकिन लोकेश खुराना के वकील द्वारा एमडीए कार्यालय के प्रपत्र समस्त दस्तावेजों के अनुसार लोहिया नगर में 38 लाख मैट्रिक टन कचरा वहा पर मौजूद होना पाया है।

इसपर एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड एवं राज्य प्रदूषण बोर्ड तत्काल आदेशित किया है की धरातल पर कचरे का आकलन कर एनवायरनमेंट कंपनसेशन एक्ट (एक्ट के अनुसार 341 प्रति मीट्रिक टन जुर्माना लगाया जाता है) के अनुसार इन पर जुर्माना आरोपित कर माननीय एनजीटी को 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रेषित की जाए। उधर, कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को नगर निगम मुख्यालय जोन के स्वास्थ्य अनुभाग में पूरे दिन अधिवक्ताओं के साथ-साथ प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी व अन्य बाबू इस उधेड़बुन में लगे रहे कि कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है।

अधिकारी इस बात की कोशिश करते रहे कि मामले में नगर आयुक्त पर कोई कार्रवाई न हो। इस कूड़े का निस्तारण न होने के लिए नगर निगम के दूसरे अधिकारियों को कसूरवार ठहराया जा रहा है। हालांकि इस मामले को जोर-शोर से उठाने वाले एक अन्य कांग्रेसी नेता रोहित गुर्जर अब इस मामले से हट गये हैं। जबकि लोकेश खुराना ने इस मामले को तह तक पहुंचा ही दिया। शिकायतकर्ता लोकेश खुराना के अनुसार एमडीए द्वारा दी गई रिपोर्ट के विश्लेषण से 38 लाख मीट्रिक टन के हिसाब से 1232 करोड़ का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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