जहां एक ओर पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था, वहीं दूसरी ओर देश की राजधानी में एक महिला की अस्मत लूटी जा रही थी। वैसे तो हम महिलाओं को एक समान अधिकार व उनके सम्मान की इतनी बात करते हैं, मानों हमारे देश में महिलाओं को हकीकत में पूजा जाता हो, लेकिन यकीन मानिए आज भी महिलाओं की स्थिति बद से बदतर है। हम महिलाओं की सुरक्षा व रक्षा की बहुत हुंकार भरते हैं लेकिन हालात व आंकड़ों की सच्चाई तो कुछ और ही बयां करती है। देश की राजधानी जिसको बहुत सुरक्षित माना जाता है लेकिन यहां स्थिति की बाहुबलियों को इलाके से भी खराब है।
पूर्वी दिल्ली के शाहदरा स्थित कस्तूरबा नगर इलाके में एक करीब 16 वर्ष के लड़के को अपने पड़ोस में रहने वाली एक शादीशुदा महिला से एक तरफा प्यार हो गया जिसका, एक तीन वर्ष का बच्चा भी है। वह लड़का महिला से कई बार अपने प्यार का प्रस्ताव लेकर जा चुका था और उस महिला से कहता था कि वो अपने पति को छोड़ दे और उसके साथ भाग जाए, लेकिन महिला ने उसको मना कर दिया जो स्वाभाविक था।
इस बात से निराश होकर लड़के ने बीते 12 नवंबर को रेल की पटरी पर आकर जान दे दी थी। इस घटना के बाद महिला को लगा कि उसका पीछा छूट गया, लेकिन इसके बाद तो उस पर बहुत बड़ा संकट आना बाकी था। उस लड़के के मरने के बाद लड़के के परिजन उस महिला को परेशान करने लगे। कभी फोन पर गाली-गलौज तो कभी राह चलते बदतमीजी करना जिस पर सूत्रों के अनुसार महिला ने दो-तीन बार पुलिस को भी अवगत कराया। लेकिन बीती 26 जनवरी उस लड़के के परिजन व रिश्तेदार उस महिला का किडनैप करके अपने घर ले आए, जिसके बाद उसका रेप किया व और उसका जानवरों से भी बुरी तरह पीटा।
लड़के के परिवार की सभी महिलाओं ने पीड़िता को डंडों-बेल्टों से पीटा व उसके बाल काटकर मुंह काला करके पूरे मोहल्ले में घुमाया। विडियो को देखकर ऐसा लग रहा था कि हम किसी गुलाम देश के नागरिक हों। ऐसे तमाम किस्से हर रोज होते हैं, कुछ सामने आ जाते हैं तो कुछ नहीं, लेकिन देश के संचालनकर्ताओं से सवाल यह ही है कि देश की आजादी के 74 वर्ष हो चुके और क्या हम आज भी महिलाओं को सुरक्षा देने में इतने असफल क्यों हैं। सुरक्षा के लिहाज से महानगरों को सबसे सुरक्षित माना जाता है और जब बात राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हो तो ऐसा लगता है हम पूर्ण रुप से सुरक्षित हैं चूंकि देश के प्रधानमंत्री से लेकर हर बडे पद पर आसीन नेता व अधिकारी यहीं रहता है।
सरकारें दावा करती हैं कि राजधानी पूरी तरह से सीसीटीवी लैस है, लेकिन गुंडों-बदमाशों पर निगाह शून्य है। एक घटनाक्रम से हम सब पर सवालिया निशान नहीं खड़ा कर रहे, लेकिन ऐसे लोग जिस तरह आम लोगों के लिए परेशानी बन रहे हैं, उससे एक अस्वस्थ समाज का निर्माण हो रहा है। यदि समय के रहते इन पर शिकंजा नहीं कस पाए तो आम आदमी का रहना मुश्किल हो जाएगा। यहां शासन-प्रशासन को बडे एक्शन आॅफ प्लान की जरूरत है।
कुछ राजनीतिक पार्टियां पीड़ितों को लाखों-करोडों रुपयों मुआवजा देकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम करती हैं और घटिया तरह से राजनीति करने का प्रयास करती हैं, लेकिन अब इससे भी काम नहीं चलने वाला। जिस तरह यह लोग अपने चुनावी भाषण में महिला सुरक्षा का दावा व वादा करती हैं, उस ही तरह पूरा भी करना होगा। महज भाषणों से काम नहीं चलने वाला है। कुछ गंभीर प्रयास करने जरूरी हैं।
वर्ष 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में भारत में महिलाओं की स्थिति का आंकड़ों के आधार पर आकलन किया था, जिसमें भारत को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था। 193 देशों में हुए इस सर्वे में भारत की महिलाओं पर सबसे अधिक अत्याचार होते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, उनके साथ होने वाली यौन हिंसा, हत्या और भेदभाव जैसे कृत्य होते हैं। भारत हर आकलन में पीछे था, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से महिलाओं की स्थिति सबसे खराब है। महिलाओं के साथ सेक्सुअल में भी भारत की पहले आती है और यदि भेदभाव पर भी चर्चा करें तो भी हम ही पहले आते हैं।
2013 में यूएन ने भारत में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें कहा गया था कि वैसे तो पूरी दुनिया में औरतें मारी जाती हैं, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा बर्बर और क्रूर तरीके से लगातार लड़कियों को मारा जाता है। इन रिपोर्ट व आंकड़ों का जब विश्व स्तर पटल पर चर्चा हुई थी तो हमें शर्मसार थे और शायद वो स्वाभाविक भी था।
हमारे देश में लड़की को पूजा जाता है और यह संस्कार व संस्कृति मात्र कुछ लोगों में रहकर ही सिमटती जा रही है। देश में अभी भी पुलिस बल की कमी है, जब किसी घटना को लेकर पुलिस से सवाल पूछे जाते हैं तो हमेशा अनाधिकारिक तौर पर कहते हैं हम क्या करें हमारे पास पुलिस की संख्या इतनी कम हैं कि हम पूर्ण रूप से क्राइम को कंट्रोल व इलाके को संचालित नही कर पाते और यह बात अपराधी भली भांति समझते हैं जिसका वह भरपूर फायदा उठाते हैं।
किस तरह कानून से खेला जाता है यह बात अपराधियों को अच्छे से पता है। लेकिन अब ऐसे काम नही चलेगा चूंकि यदि महिलाओं में सुरक्षा को लेकर अभाव आ गया तो देश की तरक्की रुक जाएगी। राजनीति से लेकर सरकारी व प्राइवेट कार्यालयों में महिलाओं को लेकर रिजर्व सीटें होने लगीं, जिससे यह तय हो जाता है कि अब हम महिला शक्ति के बिना अधूरे हैं।