- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने अध्यादेश बताया किसान विरोधी
जनवाणी संवाददाता |
नजीबाबाद: राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के सदस्यों ने ग्राम समीपुर के निकट नहर के पुल पर कृषि अध्यादेशों के विरोध में सड़क जाम कर अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। गुरुवार को अचल शर्मा (जिलाध्यक्ष आईटी सेल) के नेतृत्व में दोपहर किसानों ने समीपुर नहर बाईपास मार्ग अवरूद्ध कर दिया। किसानों ने तीनों अध्यादेश वापस लेने की मांग की।
इस मौके पर के किसानों ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन तहसीलदार राधे श्याम शर्मा को देकर कहा कि कृषि मजदूर संगठन भारत की सरकार ने कोरोना लाॅकडाउन के दौरान जो तेज हमला देशभर के किसानों पर किया है, उसका विरोध करने में और किसानों को बचाने के लिए अब देश का किसान आपकी ओर देख रहा है,किसान कई सालों से इन समस्याओं को उठाते रहे हैं और उम्मीद करते रहे हैं कि सरकार इन्हें हल करेगी, परंतु इस बीच जैसे-जैसे कोविड-19 महामारी आगे बढ़ती गयी है, किसानों ने कड़ी मेहनत करके यह सुनिश्चित किया है कि देश के खाद्यान्न भंडार भरे रहें तथा इतना पर्याप्त अनाज देश में मौजूद है कि किसी भी नागरिक को भूखा रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ज्ञापन में कहा गया है कि किसानों को इस बात से बहुत निराशा हुई कि भाजपा सरकार ने अपने कृषि सुधार पैकेज की घोषणा की तो उसमें केवल किसानों की समस्याओं को सम्बोधित नहीं किया गया, बल्कि उन्हें बढ़ा दिया गया है।
सरकार ने एक ओर तीन नये कृषि सम्बंधित कानून बनाये गए हैं जो ग्रामांचल में तमाम किसानी की व्यवस्था को, खाद्यान्न की खरीद, परिवहन, भण्डारण, प्रसंस्करण, बिक्री को, यानी तमाम खाने की श्रंखला को ही बड़ी कम्पनियों के हवाले कर देगी और किसानों के साथ छोटै दुकानदारों तथा छोटे व्यवससियों को बरबाद कर देगी।
इससे विदेशी व घरेलू कारपोरेट तो मालामाल हो जाएंगे, पर देश के सभी मेहनतकश, विशेषकर किसान नष्ट हो जाएंगे। इन तीनो कानूनों, (क) कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020; (ख) मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020; (ग) आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लिया जाना चाहिए और एमएसपी (सी2+50%) गारंटी कानून बनाया जाना चाहिए जिससे किसान को उसकी उपज का सुनिश्चित दाम मिल सके जिसमें एम एस पी से नीचे खरीद पर दंड का प्रावधान भी हो।
इसके साथ ही ज्ञापन में कहा गया है कि दूसरा बड़ा खतरनाक कदम है बिजली बिल 2020। इस नए कानून में गरीबों, किसानों तथा छोटे लोगों के लिए अब तक दी जा रही बिजली की तमाम सब्सिडी समाप्त हो जाएगी, क्योंकि सरकार का कहना है कि उस अब बड़ी व विदेशी कम्पनियों को निवेश करने के लिए प्रोहत्साहन देना है और एक कदम उसमें उन्हे सस्ती बिजली देना भी है। इस लिए अब सभी लोगों को एक ही दर पर, बिना स्लेब के लगभग 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली दी जाएगी। किसानों की सब्सिडी बाद में नकद हस्तांतरित की जाएगी।
केन्द्र सरकार को यह बिल वापस लेना चाहिए कोरोना दौर का किसानों, छोटे दुकानदारों, छोटे व सूक्ष्म उद्यमियों तथा आमजन का बिजली का बिल माफ करना चाहिए। डीबीटी योजना को नहीं अमल करना चाहिए।
तीसरा उत्तर प्रदेश में पैरोई सत्र 2020-21 शुरू हो गया है लेकिन किसानों को न तो पुराना भुगतान मिला है और न ही मौजूदा सत्र का गन्ना मूल्य घोषित किया गया है। आपसे निवेदन है कि बकाया गन्ना भुगतान तत्काल ब्याज सहित कराया जाए। सरकार पैरोई सत्र 2020-21 का गन्ना मूल्य भी स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार लागत का डेढ़ गुना रुपए 450 प्रति क्विन्टल तत्काल सरकार घोषित करें।
चौथा धान खरीद में क्रय केंद्रों पर धांधली को तत्काल प्रभाव से रोकते हुए कृषकों के धान की एम एस पी पर खरीद की जाए और साथ ही क्रय केंद्रों पर कांटों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो जिससे व्यवस्थित रूप से किसान धान को बेच सके। ज्ञापन देने वालो व चक्का जाम में अचल शर्मा ,हरदीप सिंह ,साहब सिह, जसविन्द्र सिंह, तसवीर सिह, सैन्डी रंधावा,हरप्रीत सिंह,नेता बलिहार सिहं अरशद, गुलाम साबिर, अमरीश, नौशाद ,अरविन्द, इमरान, विवेक चौहान, छोटे देशवाल, अंकित सोनू, इरशाद, आदिल आदि सैकड़ों की संख्या में किसान मजदूर मौजूद रहे।