Friday, July 4, 2025
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एयरपोर्ट ‘रनवे’ की बदलेगी दिशा

  • मेडा की बड़ी कार्रवाई: एयरपोर्ट एन्क्लेव विकसित कॉलोनी भी हुई प्रभावित, मंडराने लगे संकट के बादल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एयरपोर्ट विस्तार की बदलेगी दिशा। अब इसका विस्तार एयरपोर्ट किस दिशा में होगी, इसकी प्लानिंग की है। क्योंकि गगोल तीर्थ की तरफ पहले एयरपोर्ट का विस्तार किया जा रहा था, ये प्लानिंग में शामिल कर लिया गया था, लेकिन गगोल तीर्थ ऐतिहासिक स्थल है, जिसके चलते एयरपोर्ट अथॉरिटी को अपनी प्लानिंग बदलनी पड़ी। हालांकि अभी इसको लेकर लिखित में कोई आदेश नहीं आए हैं,

लेकिन अधिकृत सूत्रों का कहना है कि एयरपोर्ट विस्तार के लिए उसकी दिशा बदली जा रही है। अब दिशा तय करेगी कि किसी स्थान पर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा? क्योंकि एयरपोर्ट अथॉरिटी को रनवे के लिए कम से कम 4 से 5 किलोमीटर का रनवे चाहिए होता है, इसलिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने यहां एक टीम भेजने का भी निर्णय किया है। ताकि धरातल पर जाकर फिर से यह तय किया जा सके कि एयरपोर्ट का रनवे की दिशा किधर होगी? विस्तार किस दिशा में किया जाएगा?

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यही वजह है कि मेरठ विकास प्राधिकरण की जो एयरपोर्ट एन्क्लेव कॉलोनी विकसित की गई थी, वो भी इससे प्रभावित हो रही हैं। अब उस पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने एक पत्र एयरपोर्ट अथॉरिटी को भेजा है, जिसमें कहा गया है कि एयरपोर्ट विस्तार के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण की कॉलोनी एयरपोर्ट एन्क्लेव में तो किसी तरह की अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। क्योंकि यही वजह है कि मेरठ विकास प्राधिकरण यहां पर अपनी कॉलोनी ही डवलप नहीं कर पा रहा है।

हालांकि पिछले दिनों भूखंडों का समायोजन का मामला उठा था। बोर्ड बैठक में भी तय कर दिया गया था कि एयरपोर्ट अथॉरिटी के दायरे में जो प्लॉट या भूखंड आ रहे हैं, उनको अन्ययंत्र समायोजन कर दिया जाए तथा भूखंडों को एयरपोर्ट अथॉरिटी को दे दिया जाएगा। इस तरह की बात बोर्ड बैठक में फाइनल हुई थी, लेकिन 21 आवंटियों के भूखंडों का समायोजन कर दिया गया, जबकि इसमें ज्यादा आवंटी शामिल हैं।

पूर्व चीफ इंजीनियर सहदेव सिंह ने भी एक प्लाट मेरठ विकास प्राधिकरण से यहां पर लिया था, जिसमें प्राधिकरण उसके प्लॉट का समायोजन नहीं कर रहा हैं। प्राधिकरण अधिकारियों ने यह कहकर समायोजन करने से इनकार कर दिया कि जो गलती पूर्व में की जा चुकी है, उस गलती को मेरठ विकास प्राधिकरण वर्तमान में नहीं दोहरायेगा। अब इसी को लेकर सहदेव सिंह ने परतापुर थाने में मेरठ विकास प्राधिकरण के खिलाफ एक मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिसमें कहा है कि उन्होंने मेरठ विकास प्राधिकरण को पूरा पैसा दिया,

लेकिन उन्हें प्लॉट नहीं दिया गया। इसकी विवेचना पुलिस कर रही है, लेकिन प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय का कहना है कि इस मामले में सहदेव सिंह गलत है। सहदेव सिंह का यह दावा झूठा है कि उन्हें प्लॉट नहीं दिया गया। प्लाट तो मौके पर हैं, लेकिन ये एयरपोर्ट विस्तार के दायरे में आ गया हैं। इस प्लाट का समायोजन गलत तरीके से नहीं किया जा सकता। पूर्व में जो 21 आवंटियों के प्लाटों का समायोजन हुआ है, वह भी गलत तथ्यों के आधार पर किया गया है,

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इसलिए जो गलती पूर्व में की जा चुकी है उसको वर्तमान में मेरठ विकास प्राधिकरण नहीं दौहरायेगा। अब सवाल यह उठता है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी एयरपोर्ट विस्तार की दिशा क्या रखेगी? किधर होगी अब इसकी दिशा? क्योंकि गगोल तीर्थ की तरफ प्लानिंग में दिशा पहले तय की गई थी, लेकिन अब उसकी गगोल तीर्थ ऐतिहासिक होने के कारण उस तरफ से दिशा बदली जा रही है। यही वजह है कि अब एयरपोर्ट अथॉरिटी को जमीन अधिग्रहण करनी होगी, वह किस दिशा में होगी? अभी कहना मुश्किल होगा।

विला बेचने के लिए मेडा ने मांगी एयरपोर्ट अथॉरिटी से एनओसी

मेरठ विकास प्राधिकरण के सात विला एयरपोर्ट एंक्लेव में है। इसी वजह से इनकी सेल नहीं हो पा रही हैं। अब प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने एक पत्र एयरपोर्ट अथॉरिटी को लिखा है, जिसमें एयरपोर्ट एन्क्लेव में मौजूद सात विला को बेचने के लिए एनओसी मांगी है। क्योंकि पूर्व में मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की फजीहत इसमें हो चुकी है। क्योंकि इसमें एक एफआईआर भी दर्ज हो चुकी हैं।

ऐसे में प्राधिकरण के अधिकारी फूंक-फंूक कर कदम रख रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि प्राधिकरण के एक विला की कीमत 55लाख है। ऐसे में आम आदमी घर लेने के सपने को पूरा करने के लिए प्राधिकरण को 55 लाख रुपये भी देगा, लेकिन फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी की कानूनी चाबुक चलेगी, जिसके बाद आवंटी फिर से बेघर हो जाएगा। इसी वजह से ये विला सेल भी नहीं हो रहे हैं।

अब प्राधिकरण लंबे समय से ये सात विला सेल नहीं कर पा रहा हैं। इसकी वजह एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा एनओसी नहीं मिलना भी एक वजह है। अब कहा जा रहा है कि जल्द ही एयरपोर्ट अथॉरिटी इसको लेकर एनओसी देगा, जिसके बाद प्राधिकरण अपने सात विला को बेच सकेगा। क्योंकि प्राधिकरण को विला की सेल नहीं होने के कारण आर्थिक क्षति भी हो रही हैं।

तीन कॉलोनियों पर चला मेडा का बुलडोजर

मेरठ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय के निर्देश पर बुधवार को प्राधिकरण इंजीनियरों की टीम ने कई स्थानों पर अवैध कालोनियों में बुलडोजर चलाकर बड़ी तोड़फोड़ की। बिजली बंबा बाइपास स्थित गांधी इंस्टीट्यूट के पास जगप्रवेश शर्मा अश्वनी भारद्वाज की अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही थी, जिसका क्षेत्रफल करीब 6,000 वर्ग मीटर बताया जा रहा है।

इस कॉलोनी की सड़कें, नाली, चारदीवारी और साइट आॅफिस को तोड़कर ध्वस्त कर दिया। दूसरी कॉलोनी अतुल कुमार की, जो लिसाड़ी बिजली बंबा रोड पर है, करीब इसका क्षेत्रफल 5,000 वर्ग मीटर बताया गया है। इस कॉलोनी में इंजीनियरों की टीम पुलिस बल के साथ पहुंची तथा निर्मित की गई सड़कें, नाली, चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया। तीसरा मामला नूर नगर बिजली बंबा बाइपास का है, जहां पर करीब 10,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही थी। इसको भी इंजीनियरों की टीम ने तोड़ दिया।

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