- मेडा इंजीनियरों ने मूंद रखी हैं आंखें, नहीं की जा रही किसी पर भी कार्रवाई, अधिकारी मौन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वाटर पार्क मानकों के अनुरुप नहीं बने हैं। परतापुर स्थित जिस फैंटेसी वर्ल्ड वाटर और मनोरंजन पार्क में हादसा हुआ, इसका पहले मानचित्र स्वीकृत नहीं था, फिर इसकी बिल्डिंग को कंपाउंडिंग कराया गया। इसमें कल एचडीएफसी के बैंक मैनेजर मोहित की मौत हो गई, जिसके बाद भी प्रशासन नींद में हैं। इस वक्त शहर में दर्जन भर वाटर पार्क हैं, जिनके मानचित्र ही स्वीकृत नहीं हैं। ये कैसे चल रहे हैं? इनको मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा)ने कैसे चलने दिया? ये बड़ा सवाल हैं। हादसे के बाद भी प्राधिकरण की नींद नहीं टूटी हैं।
खिर्वा रोड पर दो वाटर पार्क हैं। दोनों अवैध हैं। डाबका में सांई मंदिर रोड पर एक वाटर पार्क हैं, इनका किसी का भी मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं। ये कैसे संचालित हो रहे हैं, इनमें हादसे दर हादसे हो रहे हैं, लेकिन प्राधिकरण इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा? मोदीपुरम में दो वाटर पार्क हैं, इनका भी कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं। इस तरह से तमाम अवैध वाटर पार्क संचालित हो रहे हैं। जब हादसा होता है तो इनकी याद आती हैं। बड़ा सेवाल ये है कि जब इनका मानचित्र स्वीकृत नहीं है तो फिर इनका निर्माण प्राधिकरण इंजीनियरों ने कैसे होने दिया?
इसमें जवाबदेही तो प्राधिकरण की भी बनती हैं। उन अवर अभियंता के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, जो ये अवैध वाटर पार्क अपने कार्यकाल में बनवाकर चले गए, लेकिन प्राधिकरण अधिकारी इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई नहीं करते। जब अवैध निर्माण बनकर तैयार हो जाता हैं, तब इंजीनियरों को उसकी याद आती हैं। वाटर पार्क का मानचित्र स्वीकृत कराने में कम से कम डेढ़ करोड़ रुपये राजस्व के रूप में प्राधिकरण को जमा कराने होते हैं। इससे बचने के लिए लोग अवैध वाटर पार्क बनाकर खड़ा कर लेते हैं। इंजीनियरों की सेटिंग से ही ये तमाम अवैध वाटर पार्क बने हैं।
वाटर पार्क प्रकरण में कार्रवाई को ना
परतापुर स्थित वाटर पार्क में रविवार को एक बैंक के शाखा प्रबंधक मोहित निवासी मोदीनगर की मौत मामले में पुलिस ने कोई लिखा-पढ़ी नहीं की है। इंस्पेक्टर परतापुर जयकरण सिंह ने बताया कि परिजनों की ओर से किसी प्रकार की कोई तहरीर नहीं आयी है। यदि कोई तहरीर आएगी तो उसकी जांच कर लिखा-पढ़ी कर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिस शख्स की मौत हुई है, वह अकेले नहीं आए थे। उनके साथ अन्य दोस्त भी थे। सभी वाटर ग्लाइडिंग कर रहे थे।
कुछ देर पानी में रहने के बाद वह बाहर निकलते हैं। बाहर आकर बैठ जाते हैं। फिर अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगती है। उनके दोस्त उन्हें उठाकर अस्पताल ले जाते हैं, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो जाती है। माना जा रहा है कि हीट स्ट्रोक या फिर हार्टअटैक के कारण उनकी मौत हुई है। हालांकि इससे पहले कहा जा रहा था कि संभवत गर्दन की हड्डी टूटने से मौत हुई है। पुलिस का अब कहना है कि तहरीर आएगी तभी कुछ कार्रवाई संभव है।
वाटर पार्क का विवादों से पुराना नाता
परतापुर स्थित वाटर पार्क का विवादों से पुराना नाता है। विगत 17 मई को यहां एक संस्था के स्टॉफ जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं, से पार्क के बाउंसरों ने कथित रूप से मारपीट कर दी थी। उक्त घटना से पहले भी वाटर पार्क का विवादों से नाता रहा है। वाटर पार्क पर सबसे ज्यादा गंभीर आरोप वहां के सुरक्षा इंतजामों को लेकर लगाए जाते हैं। वहां पर पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित गोताखोरों का ना होना। वहां आने वालों के साथ बाउंसरों व अन्य स्टाफ का अभद्रता किया जाना सरीखे गंभीर आरोप अक्सर लगाए जाते रहे हैं।