Tuesday, July 8, 2025
- Advertisement -

सदैव परोपकारी

Amritvani


गांव में एक विशाल बरगद का वृक्ष वर्षों से खड़ा गांववालों और राहगीरों को छाया प्रदान कर रहा था। थके-हारे राहगरी उस वृक्ष की छाया में बैठ कर आराम करते और अपनी थकान उतार कर गंतव्य की ओर चल देते थे। गांव के बच्चे भरी दोपहरी में उस वृक्ष की छाया में खेलते थे। गांव के सभी लोग उसकी छाया में बैठते थे, गांव की महिलाएं त्यौहारों पर उस वृक्ष की पूजा किया करती थीं।

बच्चे विशाल वृक्ष की छाया में खूब खेलते कूदते। ऐसे ही समय बीतता गया। अपनी आयु के अनुसार धीरे-धीरे वृक्ष सूखने लगा। उसकी शाखाएं टूटने लगीं और उसकी जड़ें भी ढीली होने लगीं। गांव वालों को लगा कि कहीं किसी दिन कोई अनहोनी न हो जाए। गांव वाले सोचने लगे कि अब इसकी उम्र पूरी हो चुकी है। गांववालों ने निर्णय लिया कि अब इस पेड़ को काट दिया जाना चाहिए और इसकी लकड़ियों से गृहविहीन लोगों के लिए झोपड़ियों का निर्माण किया जाए।

गांववालों को वृक्ष को कटने के लिए आता देख, बरगद के पास खड़ा एक युवा वृक्ष बोला-दादा! आपको इन लोगों की प्रवृत्ति पर जरा भी क्रोध नहीं आता, ये कैसे स्वार्थी लोग हैं, जब इन्हें आपकी आवश्यकता थी तब ये आपकी पूजा किया करते थे, लेकिन आज आपको क्षीण होते देखकर काटने चले हैं। मनुष्य कितना स्वार्थी हो गया है। बूढ़े बरगद ने जवाब दिया, नहीं बेटे! मैं तो यह सोचकर बहुत प्रसन्न हूं कि मरने के बाद भी मैं आज किसी के काम आ सकूंगा।

संकलन : राजेंद्र कुमार शर्मा


janwani address 8

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

स्मृति तेज करने के लिए छात्र क्या करें

एक बार में कई काम करने की कोशिश मस्तिष्क...

आनंद कहां है

आप अपनी खुशी को बाहर किसी विशेष स्थिति में...

DSSSB भर्ती 2025: 10वीं, ग्रेजुएट और पीजी के लिए निकली 2119 वैकेंसी, आज से आवेदन शुरू

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...

पीढ़ियों के आर्थिक विकास के लिए

प्रगति के सोपान चढ़ते हुए उन्होंने जब अपनी उन्नति...
spot_imgspot_img