शुगर हमारे शरीर को सक्रिय रखता है। जो भी हम खाते हैं, उसे ग्लूकोज में बदलकर ही शरीर उपयोग कर पाता है। अगर हम निष्क्रिय जीवन शैली बिताते हैं तो मांसपेशियों में मौजूद शुगर हमारे लिवर में चली जाती है। शुगर फैट में बदलकर मोटापा बढ़ाती है और कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ता जाता है। शुगर की वजह से ब्लड सप्लाई कम होने लगती है जिससे किडनी की क्षमता घटने लगती है। इसलिए शुगर को काबू रखना बहुत जरूरी है।
डायबिटीज का रोग हर साल बढ़ता जा रहा है जो चिंता का विषय है। हमारे देश में प्री-डायबिटीज और डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगभग बराबर है। इस रोग की गिरफ्त में 30 से 50 वर्ष के लोग अधिक हैं। अगर प्रारम्भ से कोशिश की जाए तो स्थिति को सुधारा जा सकता है।
आइए जानें डायबिटीज होती क्यों है?
फिजिकली एक्टिव कम होना : इसे सेडेंटरी लाइफस्टाइल की बीमारी भी कहा जाता है। जो लोग शारीरिक श्रम कम या बिलकुल नहीं करते परिणाम स्वरूप जो खाते-पीते हैं वे चर्बी के रूप में शरीर पर जमा होती जाती है और मोटापा घिरता चला जाता है। मोटापे के कारण शरीर में शिथिलता बढ़ जाने से शारीरिक कार्यक्षमता काफी प्रभावित होती है।
तनावपूर्ण जिदगी : तनाव सभी जानते हैं यह शरीर के लिए खतरनाक होता है। इंसान को समझना चाहिए कि क्या तनावपूर्ण रहकर बीमारी को निमंत्रण देना सही है? तनाव से बीपी की शुरुआत होती है । लगातार ऐसी स्थिति रहने से डायबिटीज होने की आशंका बढ़ सकती है।
धूम्रपान का सेवन : धूम्रपान करने वालों के फेफड़े और दिल पर तो प्रभाव पड़ता है इसके साथ इंसुलिन की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है जो कम लोग जानते हैं। इसलिए धूम्रपान हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है, इस बात की समझ हमें रखनी चाहिए।
नमक का सेवन : अधिक नमक का सेवन सीधे-सीधे बीपी को बढ़ाता है, इसके अतिरिक्त शरीर में पानी को भी रोकता है जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
डिस्टर्ब नींद का आना : अच्छी नींद लेने वालों को तनाव बहुत ही कम रहता है। जो लोग तनाव में रहते हैं उन्हें शांत, सुखद नींद नहीं आ सकती क्योंकि तनाव और नींद साथ में नहीं रहते, इसलिए जिन लोगों की नींद अच्छी तरह पूरी नहीं होती, वह भी स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने का मुख्य कारण है।
चीनी का सेवन : अधिक शुगर लेने वाले लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग शारीरिक परिश्रम ज्यादा करते हैं। उन्हें खतरा कम होने की संभावना रहती है और जो लोग सक्रिय कम रहते हैं, उन्हें शुगर की बीमारी जल्दी हो सकती है।
किन अंगों पर पड़ता है प्रभाव
शुगर की बीमारी वैसे तो हमारे शरीर के बहुत से अंगों को प्रभावित करती है, आंखें, पैर, दिल, लिवर, किडनी आदि पर काफी प्रभाव डालती है। शुगर रोगी अगर अपनी शुगर नियंत्रण में नहीं रखते तो इसका प्रभाव दिल पर पड़ता है। अपना बीपी, कोलेस्ट्रॉल भी काबू में रखना जरूरी है। शुगर हमारे शरीर को सक्रि य रखता है। जो भी हम खाते हैं, उसे ग्लूकोज में बदलकर ही शरीर उपयोग कर पाता है।
अगर हम निष्क्रि य जीवन शैली बिताते हैं तो मांसपेशियों में मौजूद शुगर हमारे लिवर में चली जाती है। शुगर फैट में बदलकर मोटापा बढ़ाती है और कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी बढ़ता जाता है। शुगर की वजह से ब्लड सप्लाई कम होने लगती है जिससे किडनी की क्षमता घटने लगती है। इसलिए शुगर को काबू रखना बहुत जरूरी है।
शुगर से बचने के लिए
- शुगर से बचने के लिए शारीरिक सक्रि यता बढ़ाएं।
- एक दिन में कम से कम 40 से 50 मिनट तक ब्रिस्क वॉक ,साइकलिंग, तैराकी, बेडमिंटन जैसी क्रियाएं करें।
- एक मिनट में 80 कदम चलना चाहिए। दिनभर 10 हजार कदम चलने का प्रयास करें। अगर आप लगातार नहीं चल सकते तो 15-15 मिनट तक दिन में तीन बार चलें।
- योगाभ्यास भी दिन में 40 से 50 मिनट तक कर सकते हैं। 10-15 मिनट तक मेडिटेशन कर तनाव को काबू में रख सकते हैं। इसका एक और लाभ भी है अगर आप शारीरिक रूप से सक्रिय हैं तो नींद भी अच्छी आएगी।
- शुगर के लिए समय-समय पर टेस्ट करवाते रहें ताकि शुगर बढ़ने पर आप सही समय पर सही इलाज करवा सकें।
- टेस्ट में ब्लड ग्लूकोज टेस्ट दो बार किया जाता है। पहला खाली पेट (फास्टिंग) और दूसरा नाश्ता करने के बाद जिसे पीपी कहते हैं।
नवीन कारणों से बढ़ रहे डायबिटिक
भारत ही नहीं, दुनिया में जिस तेजी से शुगर पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है उससे सभी चकित हैं। पहले वंशानुगत एवं अधिक आयु व धनाढ्यों को मधुमेह की बीमारी से ग्रस्त पाया जाता था किंतु वर्तमान काल में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ने या नए शुगर पेशेंट बनाने में कई अन्य कारण सहायक हो रहे हैं। कुपोषण पीड़ित बच्चे एवं बड़े पेन्क्रियाज की कार्यक्षमता में कमी आने के बाद शुगर पीड़ित पाए जा रहे हैं।
आधुनिक संसाधनों के कारण आरामपसंद पीढ़ी मधुमेही बन रही है। आधुनिक खानपान, फास्ट फूड, डिंÑक एवं प्रोसेस्ड फूड कैलोरी से भरपूर होने के कारण यह सेवनकर्ताओं को डायबिटिक बना रहे हैं। हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती रही हैं जो आगे चलकर शर्करा पीड़ित रोगी बनते जा रहे हैं। मोटापा पीड़ित एवं नवधनाढ्य भी इसके रोगी बन रहे हैं। प्रदूषण की अधिकता भी मधुमेह की दिशा में ले जा रहा है।
नीतू गुप्ता