नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका अभिनंदन और स्वागत है। नगालैंड-मेघालय और त्रिपुरा में मतों की काउंटिंग शुरू हो गई है। तीनों राज्यों सभी विधानसभा सीटों पर मतगणना शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। त्रिपुरा में 60 सीटों पर तो मेघालय और नगालैंड में 59-59 सीटों के लिए काउंटिंग जारी है।
नगालैंड त्रिपुरा और मेघालय में चल रही मतगणना में करीब करीब सभी सीटों के रुझान आने शुरू हो गए हैं। जिसमें त्रिपुरा की 60 सीटों के रूझानों में भारतीय जनता पार्टी 26 सीटों पर आगे चल रही है। कांग्रेस पार्टी और वामपंथी गठबंधन 22 सीटों पर रूझानों में आगे हैं। तीपरा मोथा 11 सीटों पर आगे है, 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे हैं।
हालांकि रूझानों के अनुसार नगालैंड की 60 सीटों के रुझानों में भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन 52 सीटों पर आगे हैं। एनपीएफ 5 सीटों पर आगे है, कांग्रेस 1 और एनपीपी 2 सीटों पर आगे हैं।
मेघालय में मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। क्योंकि यहां तृणमूल कांग्रेस ने मुकुल संगमा के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन कर रही है। टीएमसी मेघालय में 20 सीटों तो एनपीपी 12 सीटों पर रूझानों में आगे चल रही है, अन्य 16 सीटों पर आगे हैं। भाजपा मेघालय में 5 सीटों पर आगे है, वहीं कांग्रेस 7 सीटों पर आगे है।
मेघालय में टीएमसी सबसे आगे
मेघायल के शुरुआती रुझानों में बड़ा उलटफेर होता दिख रहा है। यहां टीएमसी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। टीएमसी 20 सीटों पर आगे है, तो एनपीपी की बढ़त मात्र 16 सीटों पर रह गई है। इसके अलावा भाजपा 12 सीटों पर आगे है।
नगालैंड में 51 सीटों पर भाजपा को बढ़त
नगालैंड की 60 विधानसभा सीटों पर चुनावी मतगणना जारी है। यहां भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है। भाजपा को 60 में से 51 सीटों पर बढ़त मिल रही है। इसके अलावा एनपीएफ आठ तो कांग्रेस एक सीट पर आगे है।
बता दें कि त्रिपुरा में 16 फरवरी को वोट किए गए थे, जबकि मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मत पड़े थे। तीनों राज्यों में विधानसभा सीटों की संख्या 60 है। इसके अलावा महाराष्ट् की कस्बा पेठ तथा चिंचवाड़ विधानसभा सीट, तमिलनाडु की इरोड-पूर्व सीट, पश्चिम बंगाल की सागरदिघी और झारखंड की रामगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम भी आज ही आएंगे।
दरअसल, उक्त तीनों राज्यों में त्रिपुरा ही एक ऐसा है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर सबकी निगाहे हैं, क्योंकि वैचारिक रूप से यहां जीत दर्ज करना भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और वाम दलों ने राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए पहली बार हाथ मिलाया है।
राष्ट्रीय दलों के बीच इस लड़ाई में प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व वाला तीपरा मोथा भी है जो एक प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावी ताकत के रूप में उभरा है। जनजातीय आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच इसके प्रभाव ने पारंपरिक पार्टियों को परेशान किया है।