Sunday, June 15, 2025
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भोले की धुन में मदमस्त हुई भोली

  • जलाभिषेक कर बोली-भोले बाबा से मांगी अरदास, 16 सोमवार व्रत शुरू

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने के लिए औघड़नाथ मंदिर में जहांकांवड़ियों में जोश दिख रहा था। वहीं दूसरी ओर भोले की धुन में मदमस्त होकर जलाभिषेक करने के लिए जाती भोलियों पर भी आस्था का असर कुछ कम नहीं दिख रहा था। जहां कांवड़ मेले में महिला कांवड़ियां भी अपनी मुरादें पूरी होने पर कांवड़ लेकर बाबा का जलाभिषेक करने के लिए मंदिर परिसर में पहुंची थी।

वहीं सावन माह में बोले बाबा के प्रति अपार भक्ति मन में भर नवविवाहिता और युवतियां भी जलाभिषेक के लिए काफी संख्या में मंदिर परिसर पहुंची और 16 सोमवार का व्रत करने का प्रण ले अच्छा पति पाने की कामना की और बाबा के प्रति भक्ति दर्शाने के लिए भोलों के साथ ही भोलियां भी तरह-तरह के जतन कर भोलेश्वर को खुश करने की कोशिश में जुट गई।

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मंदिर परिसर में छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक भोले की भक्ति में मदमस्त दिखाई दी और उनका जलाभिषेक करने के लिए मंदिर परिसर में लगी लंबी कतार में अपना नंबर आने का इंजतार करती रही। कोई पति की लंबी उम्र की कामना कर रही थी तो कोई पुत्र प्राप्ति के लिए बाबा से अरदास लगा रही थी।

भक्तों की भीड़ में अपनों की तलाश की जुगत

मेरठ: आस्था के सैलाब के बीच यूं तो बिछड़े बहुत और चंद मिनटों में मिल गए। मगर कुछ ऐसे रहे, जिन्हें घर-परिवार से दूर हुए महीनों बीत गए, मगर उनका कोई सुराग नहीं मिल सका। परिजनों ने बाबा भोलेनाथ का आशुतोष कर भक्तों की भीड़ में अपनों की तलाश की जुगत भिड़ाई।

परिवार से बिछड़े लोगों के बाबा के द्वार पर पोस्टर लगाकर सुराग मिलने की जद्दोजहद की। प्रशासनिक कैंप के निकट की खोया-पाया केंद्र बनाया गया। दिन चढ़ा तो भक्तों का सैलाब भी बढ़ता गया। भक्तों की कतारबद्ध के बीच शहर, आसपास के ग्रामीणों, दूरदराज से आए कांवड़ियों संग नन्हें भोले-भोली भी रहे। केंद्र पर दोपहर कर 40 बच्चों का लाया गया जो भीड़ में गुम हो गए।

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लेकिन, परिजनों की तलाश बच्चे मिलने केंद्र पर खत्म हो गई, लेकिन बाबा के द्वार पर टंगे भक्ति के बीच पोस्टर अपनों को खोने का दर्द साफ दिखा। अपनों की तलाश के लिए पोस्टर और बैनर का सहारा लिया गया। कहीं भक्तों की भीड़ में कोई शिवभक्त या शहरवासी इनका सुराग बता दे, लेकिन उम्मीद की किरण लिए परिजनों ने आस बधां रखी है।

आंख बचाते ही बिछड़ते रहे बच्चे

बाबा औघड़नाथ मंदिर पर अपार संख्या में कांवड़ियों के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। परिजनों के साथ बच्चे भी काफी संख्या में रहे। आंख बचाते ही बच्चे परिजनों से दूर हो गए। जिन्हें लोगों ने खोया-पाया केंद्र पर पहुंचाने का काम किया। ताकि वह अपनों से मिल सकें।

गणेशपुरी निवासी सलोनी ने बताया कि वह पूरे सावन महीने भोले बाबा का जलाभिषेक करती है ताकि घर में सुख शांति बनी रहे। बाबा सदैव अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते है। सरधना से बाबा के दर्शन और जलाभिषेक करने पहुंची रेखा ने बताया कि वह पूरे सावन माह एक समय अन्न ग्रहण कर बाबा को मनाने का प्रयास करती है। ताकि बाबा उनके पूरे परिवार पर कृपा बनाए रखे और घर में सुख शांति बनी रहे।

औघड़नाथ मंदिर पर अपने पति के साथ जलाभिषेक करने पहुंची डिपंल ने बताया कि यह शिवरात्रि शादी के बाद पहली बार पड़ी है और वह पुत्र की कामना लेकर बाबा के दर्शन करने आई है। सीमा ने बताया कि वह अपने भाई की नौकरी की मन्नत के लिए हर सोमवार को बाबा के दरबार में जलाभिषेक करने जाती है। ताकि भाई की अच्छी नौकरी लग सकें। उन्होंने शिवरात्रि का वृत भी रखा और जलाभिषेक भी किया। नेहा ने बताया कि वह हर साल बोले बाबा के दर्शन के लिए मंदिर आती है और शिवरात्रि का जलाभिषेक करती है। उनका कहना है कि बाबा के दर्शन करने मात्र से ही सबके कष्ट दूर हो जाते है।

औघड़नाथ मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

शिवरात्रि के पावन पर्व पर लाखों की संख्या में शिवभक्तों ने भगवान महेश का जलाभिषेक किया। इस दौरान बड़ी संख्या में कांवड़िये औघड़नाथ मंदिर में भोले शंकर का गंगाजल से तिलक करने के लिए उमड़ पड़े। पिछले दो साल से कांवड़ यात्रा पर कोरोना का साया था जिस वजह से यात्रा नहीं हो सकी थी। वेस्टर्न रोड से लेकर रजबन चौराहे से मंदिर जाने वाले रास्ते पर केवल कांवड़ियों का ही सैलाब नजर आ रहा था।

बताया जा रहा है कि इस बार पांच लाख से अधिक कांवड़ियों ने औघड़नाथ मंदिर में जलाभिषेक किया है। जबकि यह सिलसिला बुधवार सुबह तक जारी रहा जिससे कांवड़ियों की संख्या में और इजाफा होने की गुंजाइश है। कांवड़ यात्रा के बाद जलाभिषेक के लिए आने वाले शिवभक्तों को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद रहा। मंदिर के बाहर भारी पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी साथ ही लाऊडस्पीकरों पर भी समय समय पर शिवभक्तों को रास्ता देने की अपील की जा रही थी।

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शिवभक्तों को चिकित्सा सुविधा देनें के लिए जगह-जगह कैंपों का आयोजन किया गया। इस दौरान शिवभक्तों के पैरों में दवाइयां लगाई जा रही थी तो कहीं उन्हें किसी भी तरह की असुविधा या परेशानी होने पर भी स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराया गया। 40 सालों से समाज सेवा कर रहे संजय बंसल ने मंदिर परिसर में चिकित्सा कैंप लगाया जो लगातार तीन दिनों तक जारी रहा। संजय बंसल ने बताया कि जबतक अंतिम शिवभक्त शिवालय पर जल नहीं चढ़ा देता उनकी सेवा जारी रहेगी।

आस्था की डगर पर जलाभिषेक उत्सव

मेरठ: ये देश है वीर जवानों का…बाबा के अलबेले मस्तानों का। बाबा के भक्तों का क्या कहना…। आस्था के साथ भक्तों के सिर पर देशभक्ति भी खूब चढ़कर बोली। शहरभर में डीजे बजाकर देशभक्ति तरानों के साथ भक्ति-भजन पर झूम बाबा के भक्त शिवालयों में पहुंचे। इसके बाद जलाभिषेक कर परिजनों, बच्चों के साथ घर की राह पकड़ी। अभेद्य किले में तब्दील रहे बाबा औघड़नाथ मंदिर में बच्चों, बुजर्ग, महिलाएं और युवतियों ने आस्था में शीश नवाजा।

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बाबा के भक्तों ने एक कंधे पर जहां पतित पावनी गंगाजल रखा, वहीं दूसरे हाथ में देश भी शान तिरंगा भी थामे रखा। लबो से एक बार बाबा के जयकारे निकले तो दूसरी बार में देशभक्ति को भी सलाम किया। कैंट क्षेत्र केसरिया रंग से सरोबार रहा। बाबा के भक्त तिरंगे के साथ कदमताल कर कतारबद्ध आगे बढ़े। उधर, शहर में भी शिवभक्तों ने डीजों पर भजनों, भक्ति गीत के साथ देशभक्ति के भी तराने खूब गाए और नृत्य किया। आस्था के साथ बाबा के भक्तों ने देशभक्ति का भी जलाभिषेक किया।

मेले का रोमांच, टेटू का रहा क्रेज

कैंट क्षेत्र में शिवरात्रि का मेला भी लगा। मेले का भक्तों के साथ शहरवासियों ने आनंद लिया। मेले के रोमांच के बीच कांवड़ियों ने करतब भी दिखाए। वहीं, युवाओं ने खूब आस्था से ओतप्रोत टेटू गुथवाए।

सुहागिनों ने खूब खरीदा मेले से सिंदूर

कहा जाता है कि मेले या फिर मंदिरों में मिलने वाला सिंदूर बेहद शुभ होता है। इसलिए औघड़नाथ मंदिर परिसर के बाहर लगे मेले से सुहागिनों ने जमकर सिंदूर खरीदा।

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