Friday, July 5, 2024
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किठौर में बंद बर्फखाने की हौज में मिले दर्जनों बंदरों के शव

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  • पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद गड्ढे में दबवाए शव
  • दुर्गंध की शिकायत पर पुलिस, नगर पंचायत और वनकर्मियों ने की कार्रवाई

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: कस्बे के भारत धर्मकांटा परिसर स्थित वर्षों से बंद पड़े बर्फखाने की हौज में दो दर्जन से अधिक बंदरों के शव पड़े मिले हैं। सूचना पर पहुंचे नगर पंचायत और वनकर्मियों ने जेसीबी से शव निकलवाए। जिन्हें पोस्टमार्टम के बाद गड्ढे में दबवा दिया गया। बड़ी संख्या में हुई बंदरों की मौत पर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। किठौर निवासी रामकिशन बंसल ने मेरठ-गढ़ रोड पर बर्फखाना लगाया था।

लगभग डेढ़ दशक पूर्व बर्फखाना बंद होने पर उन्होंने इस परिसर में भारत धर्मकांटा लगा लिया लेकिन बर्फखाने की हौज को नही ढांपा। करीब दो वर्ष से धर्मकांटे पर भी ताला लगा है। बताया कि लगभग बीस दिन से आसपास के लोगों को बर्फखाना परिसर से दुर्गंध आ रही थी। किसी ने इसकी शिकायत थाना पुलिस से की। सोमवार को थाना पुलिस मौके पर पहुंची और ताला खुलवाकर बर्फखाने का निरीक्षण किया

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तो वहां हौज में भरे करीब सात फिट पानी में 25-30 बंदरों के सड़े-गले शव पड़े थे। इनमें कुछ के शरीर डिस्कंपोज हो चुके थे। पानी में सिर्फ उनकी चर्म व बाल तैर रहे थे। जबकि कुछ के शव फूले हुए थे। पुलिस ने नगर पंचायत व वनकर्मियों को बुलवाया। जिसके बाद जेसीबी मंगवाकर शव बाहर निकाले गए। पुलिस ने कुछ बंदरों के पोस्टमार्टम कराकर तमाम शवों को गड्ढे में दबवा दिया।

बंदरों की मौत पर कयास और सवाल

बड़ी संख्या में बंदरों की मौत पर कयासों के साथ तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि बर्फखाना बंद होने के बाद इसमें बनी करीब 12 फिट गहरी हौज को ढांपने के बजाए नहाने में प्रयोग किया जाता था। धर्मकांटे पर तालाबंदी के बाद वह भी बंद हो गया। हौज के पास एक पेड़ था। जो हौज में नहाने में सहायक था। इसके जरिये लोग हौज में उतरते व बाहर निकलते थे। बंदर भी इस पेड़ की शाखों पर झूलकर हौज में नहाते, पानी पीते थे। लेकिन अब पेड़ कट गया। मगर हौज खुली है।

बरसात के पानी में डूबे बंदर

काफी दिनों से हौज में पानी नही भरा है। माना जा रहा है कि बरसात का पानी हौज में भरा संभवत: बंदर इसमें नहाने के लिए कूदे लेकिन निकल नही पाए और हौज में उनकी मौत हो गई। हालांकि वन्यजीव विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बंदर का कोई बच्चा हौज में गिरा और अन्य बंदर उसे निकालने के लिए बारी-बारी से उसमें कूदे और न निकल पाने के कारण वहीं मौत हो गई।

हौज मानकों के विपरीत

वन्यजीव विशेषज्ञ जीएस खुशारिया का कहना है कि स्वीमिंग पूल और बर्फखाने की हौज में मानकों के अनुसार ब्रेकिट लगे होने चाहिएं। यदि कोई व्यक्ति या जानवर का बच्चा हौज में गिर जाए तो ब्रेकिट्स के जरिये उसका रेस्क्यू किया जा सके। या वह ब्रेकिट के सहारे खुद बाहर निकल जाए।

लापरवाही और पशु क्रूरता का मामला

जीएस खुशारिया ने बताया कि यदि बर्फखाना बंद था तो मालिक को हौज ढांपकर रखनी चाहिए थी। यदि हौज में ब्रेकिट्स नही हैं तो इसमें बर्फखाना स्वामी की घोर लापरवाही है। ये प्रकरण लापरवाही व पशु क्रूरता के अंतर्गत आता है।

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