Sunday, May 4, 2025
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दिव्यांग शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार की ‘बू’

  • संबंधित अधिकारी मौन, शौचालय निर्माण में धड़ल्ले से हो रहा पुरानी र्इंटों का इस्तेमाल

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: प्रदेश के बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले दिव्यांग छात्र-छात्राओं को नित्यक्रिया में होने वाली परेशानी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक स्कूलों में पढ़ने वाले दिव्यांग छात्र-छात्राओं के अलग से शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन ब्लॉक क्षेत्र में किये जा रहे शौचालय निर्माण में जमकर भ्रटाचार हो रहा है।

निर्माण कार्य में जमकर अनियमितता बरती जा रही हैं। निर्माण कार्यों में कहीं पीली र्इंटों का प्रयोग हो रहा है तो कही पुरानी र्इंटों से शौचालय का निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसा नहींं की लोग इसकी शिकायत नहीं कर रहे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करते नजर नहीं आ रहे।

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मालूम हो कि महाभारत कालीन तीर्थ नगरी हस्तिनापुर ब्लॉक क्षेत्र में 100 परिषदीय विद्यालयों है। जिनमें दिव्यांग छात्र छात्राओं के लिए इस योजना से संतृप्त किया जा रहा है। अधिकांश स्कूलों में शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। हैरानी की बात है कि दिव्यागों के लिए बनाये जाने वाले शौचालय निर्माण ने भ्रष्टाचार की दीवारों को हिला दिया।

ग्रामीणों का आरोप है कि इस दिव्यांग शौचालय के निर्माण में पुरानी जंग लगी सरिया व पुरानी व पीले दर्जे की र्इंट, मोरंग, सीमेंट का प्रयोग किया जा रहा है। इस अनियमितता की शिकायत कई बार अधिकारियों से की, लेकिन सुधार होना तो दूर किसी ने मौके पर पहुंचकर जांच तक करने तक की जरूरत नहींं समझी।

यह हाल तो तब है, जब डबंल इंजन योगी सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। ग्रामीणों की शिकायत पर जनवाणी टीम ने शनिवार को कई स्कूलों में बनाये जा रहे दिव्यांग शौचालयों को मौके पर हाल देख भ्रष्टाचार का खुलासा किया।

केस-1

जनवाणी टीम सुबह लगभग 10 बजे खादर क्षेत्र स्थित लतीफपुर गांव स्थित कम्पोजिट विद्यालय पहुंची, जहां लगभग शौचालय बनकर तैयार था, लेकिन शौचालय में लगाई गई पुरानी र्इंट साफ अपना इतिहास बता रही थी। निर्माण करने वालो ने खुलेआम शौचालयों में भ्रष्टाचार किया। शौचालयों की दीवार में लगी पुरानी र्इंटों को छुपाना निर्माण करने वाले शायद भुल गये। इस गांव के समीप ककंरखेड़ा में तो भ्रष्टाचारियों ने सारी हदें ही पार कर दी। बच्चों के पुराने शौचालय की एक दीवार पुरानी र्इंटों से बनाकर दिव्यांग शौचालय बनाने की तैयारी है।

केस-2

चेतावाला रामराज मार्ग पर स्थित बमरौली गांव का हाल भी इससे जुदा नहीं था। अंत महज शौचालय का ढांचा तो बनकर तैयार था। बस दिव्यांग शौचालय घोषित किया जाना शायद बाकी था, लेकिन भ्रष्टाचारी शौचालय निर्माण में लगी कुछ पुरानी र्इंटों को छुपाना, यहां भी भूल गये। जिसके साथ स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे भी शौचालय निर्माण में पुरानी र्इंट प्रयोग किये जाने की बात करते नजर आये।

केस-3

गंगा की तलहटी में बसे गांव कुन्हैडा का है। जहां भ्रटाचारियों ने सारी हदें पार कर दी। पुराने शौचालयों की दीवार पर निर्माण कार्य किये जाने के साथ पुरानी दिव्यांग शौचालय में पीली र्इंटों का प्रयोग किया गया। तारापुर का मामला भी कुछ अलग ही नजर आया प्राथमिक और जूनियर स्कूल में प्रधान कि कृपा दृष्टि से शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार चरम पर था। दोनों जगह बनाये जाने वाले दिव्यांग शौचालयों में पीली र्इंटों का प्रयोग किया गया। लोगों ने सभी जगह चल रहे निर्माण कार्यों की शिकायत आलाधिकारियों से की, कार्रवाई तो दूर की बात, किसी ने मौके का निरीक्षण करना भी उचित नहीं समझा।

क्या कहते है अधिकारी

विभागीय अधिकारी भी शायद भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई कम बचाने की फिराक में अधिक नजर आये। जहां जेई मुकेश शौचालय निर्माण के स्टीमेट में नई और गुणवत्तापूर्वक निर्माण सामग्री का प्रयोग किए जाने की बात कह रहे हैं तो वही खंड विकास अधिकारी अश्वनी शर्मा शौचालय निर्माण में कोई कमी मानने को तैयार ही नहींं है।

अश्वनी शर्मा का कहना है की यदि पंचायत के पास पुरानी र्इंट हैं तो निर्माण कार्य में प्रयोग की जा सकती है। शायद यहीं कारण है कि भ्रष्टाचारी खुलेआम दिव्यांग शौचालयों में पुरानी र्इंटों के साथ गुणवत्ता विहीन सामग्री का भी प्रयोग कर रहे हैं। वहीं, दोनों अधिकारी शौचालय निर्माण की जांच की भी बात कर रहे हैं।

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