वार्ड-57: पार्षद का रिपोर्ट कार्ड
- लगातार बढ़ रही पल्लवपुरम की आबादी, लेकिन सुविधा नदारद
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: महानगर से सात किमी दूरी पर स्थित पल्लवपुरम वीआईपी श्रेणी में शामिल होने के साथ-साथ मिनी मेरठ के नाम से भी मशहूर है। पल्लवपुरम का यह इलाके वार्ड-57 नगर निगम की सीमा में शामिल है। इस वार्ड में कुछ मार्गों पर टूटी-फूटी सड़कें है तो कुछ कालोनियों में पार्कों की हालात बदहाल है।
पल्लवपुरम थाने के समीप बनी रोड़ पर तो हल्की बारिश होने के क ारण पानी भर जाता है। जिससे लोगों का निकलना दुभर हो जाता है। बारिश में यहां अक्सर हादसे होते रहते हैं। हालांकि इस वार्ड के पार्षद ने अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने के तमाम तरह के दावे किए हैं, लेकिन कुछ बदहाल मार्गों की हालात इन दावों को खोखला साबित कर रही है।
पल्लवपुरम फेज-दो वार्ड-27 में 10242 वोट है। अब यह वोट लगभग 15 हजार के करीब पहुंच गई है। यहां लगभग 25 हजार की आबादी है। इस वार्ड में प्राइवेट कालोनियां दिन प्रतिदिन विकसित हो रही है। जिसके चलते अब यहां की आबादी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। यहां कुछ जगह ऐसी है। जहां अभी तक उनका रखरखाव अच्छे ढंग से नहीं हो पा रहा है। पुनीत राजपूत का कहना है कि कालोनियों में पार्को की बदलहाल व्यवस्था है।
नगर निगम द्वारा सफाई नही कराई जा रही है। इन पार्कों में सुबह और शाम के समय कालोनीवासी वॉक करते है, लेकिन सफाई न होने के कारण उन लोगों को बाधा उत्पन्न होती है। अक्षरधाम कालोनी में रहने वाले रवि चौधरी का कहना है कि अक्षरधाम कालोनी में लाइटें बंद पड़ी है। पार्कों में सफाई नही हुई है। यहां कालोनी वासियों के शिविर की कोई खास व्यवस्था नही है। लोेगों का यहां रहना दुभर हो गया है।
कई बार नगर निगम में इनकी शिकायते की गई, लेकिन शिकायतों को भी अनदेखा किया गया। सुनील शास्त्री का कहना है कि नगर निगम दावे तो विकास कराने के पल्लवपुरम में करता है, लेकिन उनके यह दावे बारिश में खोखले साबित हो जाते हैं। जगह-जगह जलभराव हो जाता है। निकलना भी दुभर हो जाता है। ऐसे में लोगों को चोटिल होना पड़ता है। कहने को तो पल्लवपुरम वीआईपी श्रेणी में शामिल है। लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।
धरातल पर इस श्रेणी में कोई खास व्यवस्था नही है। महिला पूनम गुप्ता का कहना है कि कालोनीवासी नगर निगम की उपेक्षा का हमेशा दंश झेलते हुए नजर आए। नगर निगम टैक्स तो अपनी मनमानी का वसूल रहा है, लेकिन सुविधाएं कुछ नहीं दे रहा है। जिससे कालोनीवासियों को परेशानी के अ लावा कुछ हासिल नही हो रहा है। राजा चौधरी का कहना है कि चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि तमाम तरह के वायदे करके जाते हैं,
लेकिन चुनाव जीतने के बाद कालोनीवासियों की कोई समस्या नहीं देखता है। कालोनियों में तमाम तरह की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन यहां सिर्फ कालोनीवासियों को सिर्फ सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। उन्होंने कहा कि पल्लवपुरम में रैपिड ट्रेन का निर्माण हो रहा है। यहां इलाका वीआईपी श्रेणी में शामिल है, लेकिन उसके बावजूद यहां सिर्फ विकास के नाम पर लोगों के साथ नगर निगम द्वारा धोखा किया जा रहा है।
क्या कहना है पार्षद का
पल्लवपुरम के वार्ड-57 के भाजपा के पार्षद विक्रांत ढाका का कहना है कि उन्होंने अपने वार्ड में 10 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य कराए हैं। अक्षरधाम कालोनी में 60 लाख रुपये, गायत्री पुरम में 45 लाख रुपये, अप्पू एन्क्लेव में 38 लाख रुपये, पल्लवपुरम फेज के डिवाइडर रोड के निर्माण पर साढ़े चार करोड़ रुपये और पल्लवपुरम के जल निकासी के लिए नाला निर्माण के लिए दो करोड़ 27 लाख रुपये की धनराशि से विकास कार्य कराए हैं।
अब तक वह वार्ड की तमाम स्ट्रीट लाइटें, चार नए पार्कों का निर्माण कार्य और 870 नई लाइटों को लगवा चुके हैं। सांसद, विधायक और एमएलसी की निधि से भी अपने वार्ड में करोड़ों रुपये के विकास कार्य कराए हैं। जनता के हित में उन्होंने पांच वर्ष तक काम किया है। सफाई पर विशेष ध्यान अपने वार्ड में दिया गया है।