- 10 वर्षों से चल रही क्लर्क की मनमानी, इन पर लागू नहीं होते नियम कायदे कानून
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बीएसए आॅफिस में पिछले 10 वर्षों से क्लर्क प्रदीप बंसल की मठाधीशी चल रही है। उन पर कोई नियम लागू नहीं होते हैं। सरकार के स्पष्ट आदेश है कि जो क्लर्क बीएसए हेड आॅफिस में लंबे समय से तैनात हैं, उनको ब्लॉक आॅफिस में तैनात किया जाए, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। ये नियम प्रदीप बंसल पर लागू नहीं होते। क्योंकि वह अपने विभाग के अधिकारियों के मुंह लगे क्लर्क हैं।
वैसे तो इनकी एक जांच एसीएम के यहां भी चल रही है, लेकिन जांच अभी ठंडे बस्ते में वर्तमान में पड़ी है। ये क्लर्क महाशय अपने आॅफिस में भी समय से नहीं पहुंचते, भले ही सुबह 10 बजे आॅफिस खुलने का समय हो, लेकिन यह सरकारी टाइम से आॅफिस नहीं आते। ‘जनवाणी’ की टीम ने सुबह 10 बजे बीएसए आॅफिस में अपने फोटोग्राफर लगाए थे, जिसमें 10.30 बजे प्रदीप बंसल का आॅफिस खुला और करीब 10.40 पर प्रदीप बंसल आॅफिस पर पहुंचे।
इस तरह से यह समय से कभी भी अपने आॅफिस नहीं पहुंचते हैं। इसको लेकर भी कुछ लोगों ने कमिश्नर से शिकायत की है, जिसमें आरोप लगाया है कि क्लर्क प्रदीप बंसल अक्सर आॅफिस से गायब रहते हैं, जिस दिन बीएसए आॅफिस नहीं आती उस दिन पूरा दिन ये नदारद रहते हैं। इसके लिए बीएसए आॅफिस में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच कराने की मांग की गई है।
शिकायतकर्ता ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों से प्रदीप बंसल बीएसए आॅफिस में महत्वपूर्ण सीट पर तैनाती पा रहे हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि जब सरकार के नियम है कि आठ वर्ष से ज्यादा एक स्थान पर क्लर्क की तैनाती नहीं रह सकती, फिर 10 वर्ष से एक ही सीट पर कैसे तैनाती की जा रही हैं। ब्लाक स्तर पर क्लर्क की तैनाती के आदेश हैं, लेकिन ब्लाक स्तर पर प्रदीप बंसल की तैनाती क्यों नहीं की गई? इसमें कहीं न कहीं सेटिंग का खेल अधिकारियों से चल रहा हैं।
क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोप इन पर पहले भी लग चुके हैं और अब भी कमिश्नर को शिकायत की गई हैं। आखिर ऐसी क्या वजह है कि प्रदीप बंसल को पूर्व में ब्लाक स्तर पर तैनाती के आदेश हुए थे, फिर उन्हें यहां से रिलीव क्यों नहीं किया गया हैं। सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि सरकार के नियमों का पालन करना चाहिए। चाहे भले ही कोई भी क्यों नहीं हो। इसमें ब्लाक स्तर पर क्लर्क की तैनाती की जानी चाहिए, इसको लेकर अधिकारियों से बात की जाएगी।
तबादला होने के बाद भी रिलीव क्यों नहीं किया?
प्रदेश सरकार ने जो तबादले किए थे, उन्हें सभी विभाग के अफसर रिलीव नहीं कर रहे हैं। ऐसे एक-दो मामले नहीं है, बल्कि कई विभागों में उन्हें तैनाती दी जा रही हैं। नगर निगम में भी कई अफसरों के तबादले हुए थे, जिसमें से अतिक्रमण का प्रभार देख रहे एक अधिकारी का तबादला हुआ, लेकिन उनको नगर आयुक्त के स्तर से रिलीव नहीं किया गया। इसी तरह से मेरठ विकास प्राधिकरण में दो अवर अभियंताओं के तबादले हुए , लेकिन उन्हें भी प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने रिलीव नहीं किया।
कई और भी ऐसे विभाग हैं, जिनमें तबादला होने के बाद भी अधिकारियों को रिलीव नहीं किया गया। उधर, नगर निगम से संबंधित एक आदेश नगरीय निकाय उत्तर प्रदेश निदेशक डा. नितिन बंसल की तरफ से जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 19 जुलाई तक हर सूरत में जिन अधिकारियों का तबादला किया गया है, उनको तत्काल प्रभाव से रिलीव कर दिया जाए। यदि इसके बाद भी अधिकारियों को रिलीव नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
इस आदेश के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि बुधवार को जिन अधिकारियों को रिलीव नहीं किया उनको रिलीव कर दिया जाएगा। यही नहीं मेरठ विकास प्राधिकरण में जिन दो अवर अभियंताओं का तबादला हुआ है, उनको लेकर भी शासन स्तर से पत्र जारी हुआ है, जिसमें उनको तत्काल प्रभाव से रिलीव करने के लिए कहा गया है, लेकिन फिलहाल प्राधिकरण उपाध्यक्ष के स्तर से ही दोनों आवर अभियंताओं को रोक कर रखा गया है।