Wednesday, June 26, 2024
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बीएसए आॅफिस: वाया निलंबन, ट्रांसफर का ‘महाखेल’

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  • शिक्षकों को पहले निलंबित किया जाता है, उसके बाद जांच फिर बहाली के द्वारा पहुंचाया जाता है लाभ
  • नियमों को रखा जाता है ताक पर, बीएसए द्वारा ही निलंबित व उनके द्वारा ही बहाली का चलता है खेल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शिक्षकों को अपने कार्य में लापरवाही बरतने व अन्य किसी वजह से निलंबित किया जाना एक सामान्य बात है, लेकिन इस दौरान लाभ भी दिया जाए तो यहां सवाल जरूर उठता है। ऐसे ही कुछ मामलों में बीएसए कार्यालय से निलंबन तो हुआ, लेकिन निलंबन के बाद किस तरह फायदा भी पहुंचाया गया यह सामने है।

शासन से 2013 से स्थानांतरण पर रोक लगी हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने तबादला करने के लिए चोर दरवाजा तलाश किया और जिस अध्यापक का तबादला करना होता है, उसे निलंबित कर दिया जाता हैं। हालांकि इसमें कोई दंड नहीं दिया जाता,

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बल्कि एक से दो माह के भीतर जांच कर अध्यापक की बहाली के साथ ही उसके मनचाहे स्कूल में तैनाती कर दी जाती हैं। यही खेल चल रहा हैं, जो ‘जनवाणी’ की पड़ताल के दौरान सामने आया हैं। इसके प्रमाण भी ‘जनवाणी’ के पास मौजूद हैं। चार केस का फिलहाल खुलासा किया जा रहा हैं।

केस-1

प्राथामिक विद्यालय चामरोल विकास खंड हस्तिानापुर के सहायक अध्यापक ऋतांशु सिंघल को 17 नवंबर 20 में विभागीय जांच में दोषी पाया गया था। इसके एक साल बाद सात जनवरी 21 को आरोप पत्र भी दाखिल किया गया, लेकिन बीएसए मुख्यालय के जांच अधिकारी ने इन शिक्षक को निर्दोश पाया और चेतावनी देते हुए रजपुरा ब्लॉक के मेदपुर विद्यालय में बहाल कर दिया। यानी इन शिक्षक को निलंबन के बाद स्थानांतरण का लाभ दिया गया। जिस मेदपुर विद्यालय में बहाली की गई उसमें पद न होते हुए भी बहाली की गई।

केस-2

डेढ़ वर्ष पहले अनामिका नाम की शिक्षिका को आॅडिट में गड़बड़ी के नाम पर निलंबित किया गया। पचगांव जानी से 21 अक्टूबर को निलंबित हुई थी, निलंबन अवधि के दौरान उन्हें अमानुल्लापुर में अटैच किया गया। इसके बाद इन शिक्षिका को 21 नवंबर 20 में वापस मूल विद्यालय में बहाल कर दिया गया। गौर करने वाली बात यह है कि बहाली के एक माह बाद ही निलंबन के आदेश को संशोधित करते हुए बहाली की गई। यानी उन्हें स्थानांतरण का लाभ देते हुए प्राथमिक विद्यालय महरौली संख्या दो में संशोधित आदेश पर ट्रांसफर का लाभ दिया गया।

केस-3

30 जून 21 को सहायक अध्यापिका गुलनाज रिजवी को पुरस्कार के रूप में मवाना कौल से नंगला शेखू में स्थानांतरण का लाभ दिया गया। इस स्थानांतरण में कम आवास भत्ता से अधिक भत्ते वाले विद्यालय में भेजा गया।

केस-4

प्राथमिक विद्यालय मदन गढ़ी रोहटा ब्लॉक में सहायक अध्यापिका कु. संतोष पहले से ही तैनात है। इस विद्यालय में महज 10 छात्र है, बावजूद इसके सहायक अध्यापक संजीव कुमार को भी इसी विद्यालय में शिक्षक न होने की बात कहते हुए स्थानांतरित कर दिया गया। जिस विद्यालय में छात्रों की संख्या 30 से अधिक नहीं होती, उसमें केवल एक ही शिक्षक रह सकता है, लेकिन शिक्षक संजीव कुमार को भी स्थानांतरण का लाभ देते हुए इसी विद्यालय में भेज दिया गया।

2013 से स्थानांतरण पर रोक

शासन ने 2013 से शिक्षकों के स्थानांतरण पर रोक लगा रखी है, ऐसे में किसी भी शिक्षक को यदि स्थानांतरण लेना है तो पहले उसे निलंबित किया जाता है। इसके बाद उसे दूसरी जगह सम्बद्ध कर दिया जाता है। जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है, बाद में मनचाही जगह ट्रांसफर कर दिया जाता है।

नियमों के अनुसार जिस अधिकारी द्वारा किसी शिक्षक को निलंबन किया जाता है व उसे दंड भी दिया जाता है तो उससे ऊंचे पद पर आसीन अधिकारी ही शिक्षक को बहाल कर सकते हैं, लेकिन इन सभी केसो में दंड को दरकिनार करते हुए केवल लाभ दिया गया।

नियमों का किया गया पालन

जिस अधिकारी को नियुक्ति का अधिकार है, वही बहाली भी कर सकते हैं, ऐसे में निलंबन बहाली में सभी नियमों का पालन किया गया है।
-राजेश श्रीवास, ऐडी बेसिक

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