- दो नियुक्तियां बीएसएस मेजर आशाराम त्यागी स्मारक कन्या स्कूल कैथवाड़ी सरधना
- एक नियुक्ति शहरी क्षेत्र के चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल अंदरकोट सदर मेरठ
- एक नियुक्ति जूनियर हाईस्कूल मोरीपाड़ा में करा चुका है बाबू
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैसे सुधरे सरकारी स्कूालों में शिक्षा का स्तर? जब बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही भ्रष्टाचार चरम पर हो। यहां अटैच बाबू के हाथ में कार्यालय का हर वह काम है, जो उसके स्तर का नहीं है। यहां तक की बाबू द्वारा अनेकों नियुक्तियां ऐसी कराए जानें का मामला सामने आ रहा है।
जिनमें फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल हुआ है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात बाबू प्रदीप बंसल का विवादों से गहरा नाता है। इस बाबू का कार्यालय के हर काम में हस्तक्षेप होता है। यहां तक की नियुक्तियां भी इसी की मर्जी से होती रहीं है।
अब कई ऐसी नियुक्तियों के बारे में जानकरी मिल रही है। जिनको कराने में इस बाबू का पूरा योगदान रहा है। इस बाबू के द्वारा दो नियुक्तियां बीएसएस मेजर आशाराम त्यागी स्मारक कन्या स्कूल कैथवाड़ी सरधना व एक नियुक्ति शहरी क्षेत्र के चर्च सिटी जूनियर हाई स्कूल अंदरकोट सदर व एक नियुक्ति जूनियर हाईस्कूल मोरीपाड़ा मेरठ में सामने आई है। यहां पर शिक्षकों को फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल कराते हुए नियुक्तियां कराई गई है।
इस पूरे मामले में बाबू प्रदीप बंसल का नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि बाबू द्वारा नियुक्ति के लिए शिक्षकों से मोटी धनराशि वसूली गई। जिसके बाद इस राशि का कार्यालय में ही बड़ा हिस्सा अधिकारियों तक पहुंचाया गया, इसके बाद ही नियुक्तियां हो सकी।
बाबू को जेडी ने जांच में पाया दोषी
बाबू को 2013 में बीएसए कार्यालय में अटैच किया गया था। जिसके बाद यहां पर उसने अपना वर्चस्व कायम कर लिया। जिन शिक्षकों की नियुक्तियां फर्जी दस्तावजों पर हुई है। उनकी जांच जेडी द्वारा 2016 में की गई। जिसमें यह नियुक्तियां गलत तरीके से होने की बात सामने आई। रिपोर्ट में बीएसए व पटल लिपिक यानी बाबू प्रदीप बंसल को दोषी माना गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
फर्जी दस्तावेजों पर शिक्षिका की नियुक्ति
प्रदीप बंसल शहर के बीचों बीच स्थित जूनियर हाईस्कूल मोरीपाड़ा में स्कूल की प्रधानाध्यापिका की नियुक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करा चुका है। इस मामले में गरिमा गुप्ता नाम की शिक्षिका के खिलाफ शिकायते की गई है। जबकि उसने कभी विद्यालय में नौकरी नहीं की। जबकि उसकी जगह पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाली प्रधानाध्यापिका आज भी वहीं नौकरी कर रही है। इस प्रकरण में प्रदीप बंसल का नाम सामने आने के बाद उसके खिलाफ शिकायत की गई है।
सवाल ये उठता है कि जो पटल लिपिक यानी बाबू भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया है। जिसके खिलाफ विभागीय जांच में आरोप सही पाए गए हैं। बावजूद इसके वह आज तक भी बीएसए कार्यालय में जमा हुआ है। उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। शिक्षा में फैले भ्रष्टाचार का मामला कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह की नजर में है क्या वह इस बाबू के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे या इसी तरह बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियां होती रहेंगी और शिक्षा का ऐसे ही मजाक बनता रहेगा।