जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: पंजाब के फिरोजपुर में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गलती से पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर गए बीएसएफ जवान पीके साहू की बुधवार को सकुशल रिहाई हो गई। लगभग 504 घंटे बाद उन्हें पाकिस्तान की हिरासत से मुक्त कर भारत को सौंपा गया। जवान की सुरक्षित वापसी के लिए बीएसएफ ने कई स्तरों पर गंभीर प्रयास किए थे।
दोनों देशों के बीच छह से अधिक फ्लैग मीटिंग्स हुईं
जानकारी के मुताबिक, जवान की रिहाई के लिए दोनों देशों के बीच छह से अधिक फ्लैग मीटिंग्स हुईं। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर 84 बार सीटी बजाकर पाकिस्तानी रेंजर्स का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई। बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के शीर्ष अधिकारियों के बीच इस मामले को लेकर लगातार बातचीत होती रही। सीओ स्तर की मीटिंग्स के अलावा कई अन्य माध्यमों से संपर्क कर इस संवेदनशील मामले को सुलझाया गया।
पीके साहू की वापसी पर उनके साथियों ने राहत की सांस ली
पीके साहू की सकुशल वापसी पर बीएसएफ अधिकारियों और उनके साथियों ने राहत की सांस ली है। जवान की रिहाई कूटनीतिक संवाद और सीमा पर संयमित प्रयासों का परिणाम मानी जा रही है।
बता दें कि बीएसएफ जवान 23 अप्रैल को गलती से पाकिस्तान की तरफ चला गया था। जवान की सकुशल रिहाई के लिए बीएसएफ द्वारा लगातार प्रयास जारी रखे गए। अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बीएसएफ, रोजाना तीन से चार बार सीटी बजाकर या झंडा दिखाकर पाकिस्तानी रेंजर्स को बातचीत का सिग्नल भेजा गया। कई बार फ्लैग मीटिंग भी हुई।
सूत्रों का कहना है कि जवान की रिहाई के लिए सभी तरह के प्रयास किए गए। यह बात तय हो गई थी कि पाकिस्तानी रेंजर्स के लिए लंबे समय तक बीएसएफ जवान को अपने कब्जे में रखना संभव नहीं होगा।
कब हुई थी घटना?
दरअसल, यह घटना 23 अप्रैल को तब हुई, जब बीएसएफ जवान पीके साहू 182वीं बटालियन, बॉर्डर के गेट संख्या 208/1 पर तैनात थे। वे फसल कटाई के दौरान भारतीय किसानों पर नजर रख रहे थे। बीएसएफ, किसानों की सुरक्षा भी करती है। लिहाजा तेज गर्मी के मौसम में जवान ने जब पेड़ की छांव में खड़े होने का प्रयास किया तो पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे हिरासत में ले लिया। उनकी सर्विस राइफल भी जब्त कर ली गई। बताया जाता है कि वह कुछ समय पहले ही इस क्षेत्र में तैनात हुआ था।
बीएसएफ के पूर्व आईजी बीएन शर्मा ने क्या बोला?
बीएसएफ के पूर्व आईजी बीएन शर्मा बताते हैं, ऐसे मामले कमांडेंट स्तर पर निपट जाते हैं। कई बार तो कुछ घंटों में ही जवान वापस आ जाते हैं। बशर्ते, कोई अपराध की मंशा न हो। हिरासत में जवान से पूछताछ की जाती है। अगर सीओ के लेवल पर बात नहीं बनती है तो उसके बाद डीआईजी स्तर पर बातचीत होती है। इसके बाद आईजी स्तर पर बात की जाती है। जब सभी तरह के रास्ते बंद हो जाते हैं तो कूटनीतिक प्रयास किए जाते हैं।