- रसोईघर पर महंगाई का हमला, दूध उत्पादों पर लगेगी जीएसटी
- शहद, मुरमुरे, सोयाबीन, चावल और आटा खरीदना होगा महंगा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जो लोग सुबह उठते ही बच्चों को हड़का कर दूध और उनसे जुड़े उत्पादों को खाने के लिये मजबूर करते हैं अब वो भी हड़काने से पहले कई बार सोचेंगे क्योंकि देश में पहली बार दूध से बने उत्पादों पर केन्द्र सरकार ने पांच फीसदी जीएसटी लगा दिया है। इससे रसोईघर पर सीधा असर पड़ेगा और घर का बजट भी कम से कम एक हजार रुपये बढ़ जाएगा।
नई दरों के लागू होने के साथ ही देश में आम आदमी की जेब पर महंगाई का बोझ पड़ेगा और यह आपके किचन के बजट को भी बिगाड़ सकता है। सरकार ने पैक्ड दही, लस्सी, मठ्ठा, पनीर के अलावा आटा और चावल,शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर,गेहूं, मुरमुरे पर पांच फीसदी जीएसटी लगा दी गई है। यह पहली बार है, जब देश में दही, लस्सी, छाछ और पनीर जैसी चीजों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है।
ऐसे सभी डेरी उत्पाद जिन्हें खुला ही बेचा जाता है या फिर उसकी पैकिंग ग्राहक के सामने ही की जाती है, उसे अब भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इससे पहले केवल ब्रांडेड पैक्ड चावल पर ही जीएसटी लगती थी, लेकिन नई दरें लागू होने के बाद सभी प्रकार के चावल (ब्रांडेड और अनब्रांडेड) और आटा (ब्रांडेड और अनब्रांडेड) पर जीएसटी लगेगा। नई दरें लागू होने के बाद कई समानों को खरीदने के लिए अब अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी होगी।
इसके साथ एक आम इंसान की किचन का बजट भी बिगड़ने वाला है। गृहिणी आरती का कहना है कि हर महीने किचन के लिए पांच हजार रुपये का बजट तय करते थे, लेकिन जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद से अब उनका बजट पांच हजार से बढ़कर सीधा सात हजार रुपये पहुंच जाएगा।
प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले संजीव गोयल ने केंद्र सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि पहली बार खाद्य पदार्थों पर जो जीएसटी लगाई है, उसे तुरंत वापस लेना चाहिए। क्योंकि महंगाई के उच्च स्तर के कारण आम आदमी की कमर पहले से ही टूटी हुई है।
संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता का कहना है कि सरकार के इस निर्णय मध्यम वर्गीय और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को काफी झटका लगेगा और महंगाई बेहिसाब बढ़ेगी। सरकार ने जिस तरह से अस्पतालों, दाह संस्कार और रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी लगाई है
उससे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाएगा। सरकार ने बेहद चालाकी से 25 किलो से ज्यादा के बैग पर जीएसटी नहीं लगाई। इसका मतलब जो अमीर लोग हैं वो चाहे कितना भी सामान खरीदें उन पर जीएसटी की मार नहीं फंसेगा मध्यमवर्गीय जो पांच-दस किलो चावल या आटा खरीदेगा।