नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। पिछले कुछ दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, खासकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद। इस बीच, भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के साथ वार्ता शुरू की है, जिसने कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों भारत तालिबान से बातचीत कर रहा है? क्या यह पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ी रणनीति का हिस्सा है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
पहलगाम आतंकी हमला और पाकिस्तान से तनाव
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह इस हमले की कीमत चुकाएगा। दोनों देशों के बीच सीमा पर गोलीबारी भी हुई, जिससे तनाव और बढ़ गया।
भारत-तालिबान वार्ता: क्या है मकसद?
इसी बीच, भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के साथ वार्ता शुरू की है। भारत ने हाल ही में काबुल में अपना तकनीकी दूतावास खोला है और तालिबान के साथ आर्थिक व सुरक्षा सहयोग पर चर्चा हो रही है। भारत का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान में अपने हितों की रक्षा करना और पाकिस्तान के प्रभाव को कम करना है।
तालिबान से बातचीत के पीछे भारत की रणनीति
पाकिस्तान के प्रभाव को कम करना: पाकिस्तान हमेशा से तालिबान को समर्थन देता रहा है। भारत चाहता है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान का दबदबा कम हो और वहां की सरकार भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाए।
आतंकवाद पर नियंत्रण: भारत चाहता है कि तालिबान अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ न होने दे।
आर्थिक और सामरिक लाभ: अफगानिस्तान में भारत के कई विकास परियोजनाएं चल रही हैं, जिन्हें सुरक्षित रखना जरूरी है।
क्या तालिबान भारत के लिए विश्वसनीय साझेदार हो सकता है?
तालिबान का इतिहास आतंकवाद और कट्टरवाद से जुड़ा रहा है, लेकिन अब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाना चाहता है। भारत ने भी इसी वजह से तालिबान से संवाद बढ़ाया है। हालांकि, यह साझेदारी कितनी सफल होगी, यह भविष्य में ही पता चलेगा।
पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत की तालिबान से वार्ता एक सोची-समझी रणनीति लगती है। अगर भारत तालिबान को अपने पक्ष में करने में सफल होता है, तो यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका होगा। हालांकि, तालिबान पर पूरी तरह भरोसा करना मुश्किल है, इसलिए भारत को सतर्क रहने की जरूरत है।