- जिला प्रशासन को अब शासन के आदेश का इंतजार, हाईकोर्ट के फैसले से बदल गये समीकरण
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तस्वीर ही बदलती नजर आ रही है। गांवों में कहीं खुशी और कहीं गम जैसा वातावरण बनने लगा है। प्रदेश शासन द्वारा पंचायत चुनाव के लिए पदों के आरक्षण की व्यवस्था के लिए वर्ष 1995 के चक्रानुक्रम को आधार मानकर पदीय आरक्षण तय कर दिया था। इसी के साथ लोगों ने गांव-गांव बने समीकरण के आधार पर अपनी तैयारियों को जोर और शोर देना शुरू कर दिया था, इसी के साथ आरक्षण के कारण चुनाव लड़ने की अपनी उम्मीदों को गवां चुके लोगों के लिए भी हाईकोर्ट का यह फैसला उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है।
वहीं मनचाहा आरक्षण हो जाने के कारण चुनावी तैयारियों में जुटे लोगों के लिए यह फैसला एक झटका भी माना जा रहा है। अब यदि हाईकोर्ट के आदेशानुसार पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था 2015 को आधार बनाकर लागू की जायेगी तो सारा खेल ही पलट जायेगा। हालांकि अभी प्रशासन कुछ कहने को तैयार नहीं है, इसके लिए शासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
बता दें कि तीन मार्च को शासन द्वारा प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर पदीय आरक्षण व्यवस्था को लागू किया था। इसके बाद गांवों में चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटे काफी लोगों को आरक्षण व्यवस्था ने झटका दिया था। गांव उनकी उम्मीद के विपरीत दूसरी जाति के लिए आरक्षित होने पर ये लोग मायूस होकर घर बैठ गये थे। लेकिन अब हाईकोर्ट में आये निर्णय ने उनकी उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं।
इन लोगों के घर होली से पहले ही हुल्लड़ मचा नजर आने लगा है। गांव-गांव अब नई आरक्षण व्यवस्था को लेकर चर्चा भी शुरू हो गयी है। जिला प्रशासन को हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी तो मिल गयी है, लेकिन शासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
इस मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार सिंह का कहना है कि अभी शासन के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने 2015 को बेस बनाकर आरक्षण व्यवस्था लागू कराने का आर्डर दिया है। हालांकि अभी कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। उनका कहना है कि यदि 2015 के बेस पर आरक्षण व्यवस्था लागू की गयी तो मौजूदा आरक्षण से बनी चुनावी तस्वीर पूरी तरह से ही पलट जायेगी।

बता दें कि शासन ने 1995 को बेस बनाकर पंचायत चुनाव 2021 में आरक्षण व्यवस्था को लागू किया है। इसके लिए जनपद में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार ओबीस में रखा गया। इसके साथ ही जिल के नौ ब्लॉक में प्रमुख पदों को शाहरपुर को एससी महिला, बघरा ब्लॉक को पिछड़ा वर्ग महिला, पुरकाजी और खतौली ब्लॉक प्रमुख पद पिछड़ा वर्ग, बुढ़ाना को महिला के लिए आरक्षित किया गया है। जबकि सदर, चरथावल, जानसठ और मोरना ब्लॉक प्रमुख पद अनारक्षित रखे गये हैं।

अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोगों में पंचायत चुनाव के लिए नया उत्साह देखने को मिल रहा है। मायूस होकर हार मान चुके लोगों ने भी इस उम्मीद को अवसर में बदलने की तैयारी प्रारम्भ कर दी है। वहीं मनचाहा आरक्षण मिल जाने के बाद चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले लोगों के चेहरों पर मायूसी दिखाई दी। गांवों में इस फैसले के कारण कहीं खुशी और कहीं गम जैसा नजारा बनने लगा है। आरक्षण के आधार पर चुनाव लड़ने में जुटे लोगों को अब नये आरक्षण में अवसर हाथ से निकलने का डर सताने लगा है।