- किसानों, पुलिस के बीच हुई तीखी नोकझोंक
- पुलिस अधिकारी किसानों को पटरियों से उठा रहे थे जबरन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: किसानों के कैंट स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही स्टेशन को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। ढाई सौ से ज्यादा पुलिस कर्मी यहां तैनात किये गए थे। सुबह छह बजे से ही पुलिस स्टेशन पर पहरेदारी कर रही थी। सुबह जैसे ही 11 बजे, तभी किसान स्टेशन पर पहुंचने लगे। कृषि कानून के खिलाफ किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन गुरुवार को पूरी वेस्ट यूपी में चला।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के आह्वान पर किसान दोपहर 12 बजे मेरठ कैंट स्टेशन पर जयकारे लगाते हुए पहुंचे और रेल पटरियों पर डेरा डाल दिया। एक तरह से किसानों ने कैंट स्टेशन पर कब्जा कर लिया। पटरियों पर पल बिछाकर बैठ गए। रेल पटरी पर किसानों का कब्जा होने के बाद अधिकारियों भी यहां पहुंचे तथा आंदोलित किसानों से बातचीत की, लेकिन किसानों ने दो टूक ऐलान कर दिया कि कृषि कानून के खिलाफ यह ‘रेल रोको’ आंदोलन है, जो निर्धारित समय पर ही खत्म किया जाएगा।
यह आंदोलन दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा। इस पर किसान अडिग रहे। आंदोलन को एक घंटा जैसे ही बीता तो फिर से पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने किसानों को उठने की हिदायत दी, मगर किसानों ने ऐलान कर दिया कि चार बजे से पहले किसान रेल की पटरियों से नहीं उठेंगे। इसके बाद तो पुलिस व किसानों के बीच नोकझोंक तक हो गई।
देखते ही देखते टकराव पैदा हो गया, लेकिन किसान नहीं चाहते थे कोई झगड़ा-फसाद हो, इसके बाद किसानों ने कहा कि फोर्स हटाए, तभी आपस में आंदोलन खत्म करने पर बातचीत करेंगे। इस तरह से आंदोलन चलते हुए तीन घंटे बीत गए, तभी किसानों ने एक ज्ञापन एसडीएम सुनीता वर्मा को सौंपा। ज्ञापन में किसानों ने कृषि कानून को वापस लेने तथा यूपी में गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग की।
इसके बाद ही किसानों ने चल रहे धरने को खत्म करने का ऐलान किया। इस तरह से तीन घंटे मेरठ कैंट स्टेशन पर किसानों का धरना चला, जिसके बाद ही किसान वापस अपने गांव को लौटे। धरना देने वालों में भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी, सत्यवीर जंगेठी, राजकुमार करनावल, गजेन्द्र चौधरी दबथुवा, चौधरी जगबीर सिंह, दबथुवा, रविन्द्र दौराला, देशपाल, नरेश, बबलू जिटौली, विलियन प्रधान,अमरवीर चौधरी, उज्जवल पुनिया, कृष्णपाल चौधरी आदि किसान मौजूद रहे।
ये ट्रेन हुई प्रभावित
मेरठ कैंट स्टेशन पर गुरुवार की दोपहर पहली ट्रेन दो बजे पहुंचने वाली थी, जो किसान आंदोलन के चलते यहां पहुंची ही नहीं। दिल्ली से चलकर अंबाला तक यह ट्रेन जाती हैं, लेकिन ट्रेन पीछे से ही नहीं आयी। बताया गया कि हरिद्वार जाने वाली एक अन्य ट्रेन सिटी स्टेशन पर किसान आंदोलन के चलते खड़ी रही।
दूसरी ट्रेन उतकल एक्सप्रेस मेरठ कैंट स्टेशन पर तीन बजे पहुंचने का निर्धारित समय था, लेकिन वो ट्रेन भी गाजियाबाद में खडेÞ होने की सूचना मिली। किसानों के इस आंदोलन से रेल यातायात पूरी तरह प्रभावित रहा। किसानों के ट्रेन की पटरियों पर ही धरने पर बैठने से ट्रेनों का आवागमन बाधित रहा। इससे रेल विभाग को आर्थिक क्षति भी पहुंची।
यात्री रहे परेशान
ट्रेन यातायात प्रभावित होने यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। मेरठ से सहारनपुर व अंबाला जाने वाले यात्रियों को स्टेशन पर पहुंचने के बाद ही पता चला कि किसान धरना देकर बैठे हैं, जिसके चलते यात्रियों को परेशानी हुई। रेखा, बीरमती, योगेश, ब्रजपाल का कहना है कि उन्हें किसानों के आंदोलन का पता नहीं था।
दोपहर में जो ट्रेन आनी थी, वह नहीं आयी, जिसके बाद ये यात्री परेशान होकर वापस बस मार्ग से ही गए। यात्रियों का कहना था कि पहले से ही इसका प्रचार किया जाना चाहिए था कि ट्रेन किसान रोक रहे हैं, इसलिए ट्रेन यातायात बाधित रहेगा। इसके चलते कम से कम यात्रियों को परेशानी तो नहीं होती।
पुलिस के साथ डॉक्टर भी रहे तैनात
स्टेशन अधीक्षक उपेन्द्र सिंह ने जनवाणी को बताया कि करीब ढाई सौ पुलिस कर्मी स्टेशन पर तैनात हैं। एक डॉक्टरों की टीम भी यहां लगाई गई है, एहतियातन। कैंट स्टेशन पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील है, लेकिन किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा है। कहीं कोई टकराव के आसार नहीं है। पुलिस व प्रशासनिक अफसर ही आंदोलित किसानों से बातचीत कर रहे हैं। उनका काम स्टेशन की व्यवस्था का संभालना है। ट्रेन पीछे रुकी हुई हैं, जगह-जगह से किसानों के पटरियों पर बैठने की खबर आ रही है।