- 9 मई को चार प्रकरण में 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति व सरकारी जमीन पर होटल पाल और अलकरीम समेत कई अफसरों पर कराया था सीबीसीआईडी ने मुकदमा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम के चार प्रकरणों को लेकर सीबीसीआईडी के जांच अधिकारी ने थाना देहलीगेट में एफआईआर दर्ज कराने के बाद हाथ झाड़ लिए हैं। एफआईआर को चार माह बीत चुके हैं, लेकिन आगे की कार्रवाई के फिलहाल आसार नहीं नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर लंबी कानूनी लड़ाई के इन प्रकरणों को थाने की दहलीज तक पहुंचाने वाले वीके गुप्ता को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है, जिसके चलते उन्होंने परिवार सहित राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु मांगी है।
इस साल नौ मई को सीबीसीआईडी के आगरा से आए जांच अधिकारी नागेंद्र त्रिपाठी ने नगर निगम के चार प्रकरणों, जिनमें 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति, नगर निगम की जमीन पर होटल पाल और होटल अलकरीम का अवैध निर्माण तथा नगर निगम के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ कुल चार अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए थे। हैरानी की बात यह है कि एक ओर तो सीबीसीआईडी की जांच चलती रही, वहीं दूसरी ओर होटल पाल जहां मौजूद हैं,
वहां जांच के दौरान कॉम्प्लेक्स बना दिया गया। इतना ही नहीं इस कॉम्प्लेक्स का बाकायदा मेडा से मानचित्र भी स्वीकृत करा लिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिस्टम को चलाने वाले अधिकारियों के काम करने का तरीका कैसा है। होना तो यह चाहिए था कि मानचित्र पास करने से पहले एक नजर फाइल पर भी डाल ली जाती। केवल मेडा अफसर ही नहीं
इस मामले की जांच कर रहे सीबीसीआईडी के अफसर भी मानचित्र स्वीकृत करने के खिलाफ कभी मेडा में जाकर नहीं झांके। थाना देहलीगेट में अन्य तीनों मामलों के साथ पाल होटल के मामले में भी एफआईआर दर्ज कर हाथ झाड़ लिए। सीबीसीआईडी को एफआईआर दर्ज कराए चार माह बीत चुके हैं, लेकिन आगे की कार्रवाई को फुर्सत का इंतजार किया जा रहा है।
इच्छा मृत्यु की मांग
वहीं, दूसरी ओर इस मामले की परत दर परत खोलने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट वीके गुप्ता का कहना है कि सच्चाई उजागर कर उन्होंने मुसीबत मोल ले ली है। उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके खिलाफ झूठी तहरीर दी जा रही हैं। गुरुवार को भी ऐसे ही एक मामले में उन्हें थाना लालकुर्ती बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया। बयान दर्ज कराने वाले तोपखाना चौकी इंचार्ज का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक था।