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पंचक काल में शुरू होंगे चैत्र नवरात्र

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पंचक काल में शुरू होंगे चैत्र नवरात्र
  • मां की बरसेगी कृपा, कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में होना बहुत जरूरी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चैत्र नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में होना बेहद जरुरी है। 22 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुवात होने जा रही हैं, जो 30 मार्च को नवमीं तिथि पर समाप्त होगी। अंतिम दिन रामनवमीं का पर्व श्रद्धा उल्लास से मनाया जाएगा। नवरात्र की खास बात यह है कि नवरात्र से एक दिन पहले पंचक लगेगा।

पंचमी तिथि तक पंचम काल में देवी आराधना की जाएगी। पंचक काल को पूजा-अर्चना के लिए शुभ माना जाता है। बांके बिहारी ज्योतिष सेवा केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णुदत्त त्रिवेदी का कहना है कि मां दुर्गा का आगमन नौका पर हो रहा है। मां दुर्गा का आगमन यदि नौका पर होता है तो इसे शुभदायी माना जाता है। यह नवरात्र देवी भक्तों के लिए और राज्य, देश के लिए शुभदायी होगा।

घट स्थापना का मुहूर्त

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात्रि 10 बजकर 52 मिनट से शुरु होकर 22 मार्च की रात्रि 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय पर पड़ने वाली तिथि को महत्व दिया जाता है, इसलिए प्रतिपदा तिथि 22 मार्च को मनाई जाएगी।

मंदिरों में सुबह 6 बजकर 23 से 7 बजकर 32 मिनट तक और घर में अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजकर 5 से 12 बजकर 35 मिनट तक के मध्य घट स्थापना की जाएगी। हिंदू नववर्ष का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर होता है, हिंदू नववर्ष यानी हिंदू संवत्सर का शुभारंभ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 मार्च से हो रहा है।

मकर राशि में शनि-मंगल

हिंदू संवत्सर के शुभारंभ अर्थात चैत्र नवरात्र पर मकर राशि में शनि और मंगल ग्रह की युति शुभकारक है। दूसरी ओर कुंभ राशि में गुरु और शु्क्र ग्रह हैं। साथ ही मीन राशि में सूर्य और बुध ग्रह की युति होने से बुधादित्य योग का संयोग बन रहा है। इसके अलावा मेष राशि में चंद्रमा, वृषभ में राहु और वृश्चिक में केतु विराजमान होगा। देश के पराक्रम और गौरव में वृद्धि होगी।