जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट बोर्ड के टोल की बिसात पर एक बार फिर बोर्ड के भाजपाई सदस्यों और कैंट विधायक के बीच शह मात की बाजी सज गयी है। सभी 11 टोल प्वांइटों पर निविदा मांगी गयी है। हालांकि उम्मीद री-टेंडर की जा रही थी। पीडब्ल्यूडी के सीईओ कैंट को पत्र के बाद तो यह लगभग तय हो गया था, लेकिन 12 अक्टूबर को मांगी गयी निविदा के बाद तो लगता है कि अभी कैंट विधायक और बोर्ड के बीच शह मात का खेल खत्म नहीं हुआ है।
विधायक की नाराजगी और टोल के छह प्वांइटों खासतौर से मवाना रोड, दिल्ली रोड और रुड़की रोड को लेकर नाराजगी के चलते जीओसी इन चीफ मध्य कमान तथा पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर समेत सीएम से मुलाकात। सीएम के सचिव का मंडलायुक्त से पूरे मामले में कार्रवाई का निर्देश और पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता का सीईओ कैंट को पत्र इसके बावजूद 12 तारीख अक्टूबर को मांगी गयी निविदा में मवाना रोड, दिल्ली रोड व रुड़की रोड समेत सभी 11 नॉकों का जिक्र शतरंज की बिसात से कम नहीं।
हालांकि जानकारों की मानें तो निविदा मांगना और उस पर बोर्ड बैठक या फिर स्पेशल बोर्ड में स्वीकृति की मोहर लगाना दो अलग-अलग चीजें हैं। कैंट ऐक्ट में बोर्ड को यह विशेष शक्ति प्रदान की गयी है कि टेंडर ओपन होने के बाद भी सारी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया जाए। कैंट के 11 टोल नॉकों पर 12 अक्टूबर को निविदा से बोर्ड की सदस्यों या फिर विधायक के बीच शह मात का फैसला नहीं होने वाला। इसका फैसला उस बोर्ड बैठक में ही संभव है जिसमें टेंडर पर अंतिम मोहर लगेगी। जो हालात नजर आ रहे हैं उसमें बाजी बोर्ड के हाथ नजर आती है।
मिनिट्स ने बढ़ाई बेचैनी
दरअसल कैंट बोर्ड की बैठक की जो मिनिट्स सदस्यों को भेजी गयी हैं। उसमें इस बात का उल्लेख कहीं नहीं है कि तीन टोल नॉकों को ठेके में शामिल नहीं किया जाएगा। पूर्व में जितने टोल नाके शामिल किए गए थे वो सभी यथावत रखे गए हैं।
बोर्ड बैठक में संशोधन पर चुप्पी
बोर्ड की अगली बैठक में इसको लेकर किसी संशोधन पर भी मिनिट्स में चुप्पी साध ली गयी है। निविदा खोलने की प्रकिया को अंतिम नहीं माना जा सकता। अंतिम फैसला तो बोर्ड बैठक में होना है, लेकिन यदि संशोधन की मंशा होती तो कम से कम मिनिट्स में जिक्र जरूर होता।
केपी बोले, डालेंगे निविदा
ठेकेदार केपी सिंह का कहना है कि सोमवार को वह निविदा डालने के लिए कैंट बोर्ड पहुंचेंगे। उन्होंने इसके लिए हाईकोर्ट केआदेश का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश से ही उन्हें राहत संभव हो सकी है। जितने प्वांइटों का उल्लेख किया गया है सभी पर निविदा डालनी है। हालांकि उन्होंने दोहराया कि मवाना रोड, दिल्ली रोड या फिर रुड़की रोड को लेकर उनकी कोई दिलचस्पी नहीं।
बात करो, नाम ना लो
टोल मुद्दे पर कैंट बोर्ड के सदस्य आॅन दा रिकार्ड कुछ बोलने को तैयार नहीं। उनका कहना है कि बात करो तो आॅफ दा रिकार्ड किसी भी समाचार में हवाला दिए जाने से उन्हें परहेज है। उनका कहना है कि यदि 11 प्वांइटों पर ठेका नहीं छोड़ा जाएगा तो कैंट बोर्ड को फिर आमदनी नहीं रह जाएगी। ऐसा हुआ तो फिर कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़ जाएंगे।