Monday, June 23, 2025
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CJI BR Gavai: देश को मिला नया प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने ली शपथ,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी रही मौजूद

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: आज बुधवार के दिन देश को नया प्रधान न्यायाधीश मिल गया है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक संक्षिप्त और गरिमापूर्ण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। खास बात यह रही कि न्यायमूर्ति गवई ने हिंदी में शपथ लेकर एक मिसाल पेश की।

न्यायमूर्ति गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया है, जो मंगलवार को 65 वर्ष की आयु पूरी कर सेवानिवृत्त हो गए। गवई वर्ष 2019 में 24 मई को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे और अब देश के प्रधान न्यायाधीश के सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं।

नए प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल छह महीने से अधिक का होगा और वे 23 नवंबर, 2025 तक इस पद पर बने रहेंगे। न्यायमूर्ति गवई देश के उन गिने-चुने प्रधान न्यायाधीशों में शामिल हो गए हैं, जो सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग से आते हैं, और उनकी नियुक्ति न्यायपालिका में सामाजिक समावेश की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित ये हस्तियां रहीं मौजूद

समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। न्यायमूर्ति गवई का करियर अत्यंत प्रेरणादायक रहा है। उनका जन्म 24 नवंबर, 1960 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1985 में वकालत शुरू की।

उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत के दौरान कई महत्वपूर्ण मामलों में हिस्सा लिया। 2003 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया, और 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। उनकी नियुक्ति ने सामाजिक विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले प्रमुख न्यायाधीशों में से एक हैं।

न्यायिक सुधारों को बढ़ावा देंगे

न्यायमूर्ति गवई ने अपने कार्यकाल में संवैधानिक और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों पर विशेष ध्यान दिया। वे निष्पक्षता, पारदर्शिता और कानून के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। उनके निर्णयों में सामाजिक समानता, अल्पसंख्यक अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता झलकती है। बतौर सीजेआई, उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे न्यायिक सुधारों को बढ़ावा देंगे, खासकर मुकदमों के बैकलॉग को कम करने और तकनीक के उपयोग को बढ़ाने में।

कब तक रहेगा गवई का कार्यकाल?

उनके शपथ ग्रहण के अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनकी नियुक्ति का स्वागत किया। यह माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट न केवल संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल 23 मई, 2026 तक रहेगा, और इस दौरान उनके नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका नई ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद है।

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