- पांच नवंबर को छोड़े जाने वाले दो साल के टेंडर में हड़ताल के लिए सेवा प्रदाता की जवाबदेही और स्वच्छता मित्रों के संगठन बनाने पर प्रतिबंध की शर्तें की गर्इं शामिल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में 2415 आउटसोर्स स्वच्छता मित्रों की आपूर्ति के लिए सफाई का ठेका छोड़े जाने के लिए निकाले गए टेंडर में नई शर्तें जोड़ दिए जाने से सफाई मजदूर संगठनों में उबाल आ गया है। उन्होंने इस संबंध में आयुक्त से मिलकर विरोध जताने तथा मामले को कोर्ट तक ले जाने की बात कही है। दरअसल नगर निगम की ओर से आगामी दो वर्षों के लिए छोड़े जाने वाले टेंडर की शर्तों के अनुसार किसी भी तरह की हड़ताल के लिए सीधे तौर पर सेवा प्रदाता जिम्मेदार होगा। साथ ही आउटसोर्स स्वच्छता मित्र संगठन नहीं बना सकेंगे।
बताया गया है कि नगर निगम ने जैम पोर्टल पर टेंडर जारी किया है, जो पांच नवंबर को खुलेगा। दो साल के लिए सेवा प्रदाता कंपनी का चयन होगा। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि टेंडर की शर्तों में पहली बार आउटसोर्स सवच्छता मित्रों के हितों को देखते हुए सेवा प्रदाता कंपनी की जवाबदेही तय की है। सेवा प्रदाता कंपनी को रात्रिकालीन सफाई के लिए 200 आउटसोर्स स्वच्छता कर्मी लगाने होगी इनकी सूची अलग से देनी होगी। शेष 2215 आउटसोर्स स्वच्छता कर्मियों से सुबह और शाम की पारियों में शासन से निर्धारित समयावधि में काम लिया जाएगा।
आउटसोर्स स्वच्छता मित्रों की उपस्थिति वार्डवार फेस सेंसर और फिंगर प्रिंट और जीपीएस सुविधा युक्त बायोमेट्रिक डिवाइस से कराई जाएगी। जिसमें उपलब्ध रिकार्ड के आधार पर सेवा प्रदाता कंपनी को भुगतान किया जाएगा। नगर निगम प्रशासन के अनुसार सेवा प्रदाता कंपनी की ओर से ईएसआईसी कार्ड सभी को देना होगा। ईएसआईसी और ईपीएफ अंशदान जमा करने की पुष्टि करनी होगी।
किसी भी तरह की हड़ताल के लिए सीधे तौर पर सेवा प्रदाता जिम्मेदार होगा। वर्तमान में कार्यरत जिन आउटसोर्स स्वच्छता मित्रों की सेवाएं संतोषजनक हैं, उन्हें प्राथमिकता में रखना होगा। साथ ही यह भी शर्त रखी गई है कि आउटसोर्स स्वच्छता मित्र संगठन नहीं बना सकेंगे। 10 प्रतिशत आउटसोर्स स्वच्छता मित्रों की संख्या कभी भी बढ़ाई जा सकेगी। आउटसोर्स स्वच्छता मित्रों को ग्रुप इंश्योरेंस और मेडिकल इंश्योरेंस उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
मानदेय में बेसिक, ईपीएफ, ईसआईसो और अन्य भत्ते निर्धारित किए गए हैं। इस बारे में प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह का कहना है कि निगम ने सफाई श्रमिकों के हितों को देखते हुए कई नई शर्तें सेवा प्रदाता के समक्ष रखी हैं। वहीं हड़ताल और संगठन संबंधी शर्त का संबंध 19 अक्टूबर को बोर्ड बैठक के दौरान पेश आई घटना की पुनरावृत्ति रोकना है। गौरतलब है कि सफाई मजदूरों के बीच से निकले कुछ लोगों ने सभागार में जमकर हंगामा किया था।
जिसके चलते नगर आयुक्त को भागकर एसपी सिटी कार्यालय में शरण लेनी पड़ी थी। वहीं इन शर्तों को श्रमिकों के मूल अधिकारों का हनन बताते हुए अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के शाखा अध्यक्ष दिनेश सूद ने बताया कि मामले को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल आयुक्त से मिलेगा।
वहीं उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ के अध्यक्ष शिव कुमार नाज ने इस प्रकार ठेका प्रथा और नई शर्तों को जोड़ने को लेकर कहा कि यह नियम सात और 12 का उल्लंघन है। जिसके बारे में आयुक्त समेत सक्षम अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। साथ ही अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।