- मांगी रिपोर्ट, दोबारा अवलोकन कर आख्या प्रस्तुत करने को कहा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बूढ़ी गंगा के अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई में अब शासन भी सख्त हो गया है। मामला मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंच गया है। मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले में सख्ती दिखाते हुए स्थानीय प्रशासन को पूरे प्रकरण के पुन: अवलोकन के बाद फिर से आख्या प्रस्तुत करने को कहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद अब फिर से इस बात की उम्मीद जगी है कि बूढ़ी गंगा के सिकुड़ते असिस्तत्व को पुन: जीवन दान मिल जाए।
दरअसल, इस पूरे मामले में असिस्टेंट प्रो. प्रियंक भारती काफी सक्रिय बने हुए हैं। वो बूढ़ी गंगा के असिस्तत्व के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने इस मामले में राजभवन तक का दरवाजा खटखटाया है। दैनिक जनवाणी इस मामले को लगातार हाईलाइट कर रहा है। सुर्खियों में आने के बाद इस पूरे प्रकरण पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिलाधिकारी से बूढ़ी गंगा को लेकर कुल आठ बिन्दुओं पर आख्या मांगी थी।
इसके बाद जिलाधिकारी के स्तर से तहसील मवाना के अलावा पयर्टन एवं सिंचाई विभाग को आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे। बकौल प्रियंक भारती संबधित विभागों ने आख्या प्रस्तुत करने में ही कोई खास रुचि नहीं दिखाई और इस पूरे मामले से ही पल्ला झाड़ लिया। इसके बावजूद मामला सुर्खियों में बने रहने के चलते मुख्यमंत्री कार्यालय इस पर सख्त हुआ और उसने पुन: जिला प्रशासन से सभी आठ बिन्दुओं पर आख्या मांग ली।
मुख्यमंत्री कार्यालय की सख्ती पर जिलाधिकारी ने बूढ़ी गंगा पर प्रस्तुत की गर्इं सभी रिपोर्ट्स को अस्वीकृत कर दिया। उन्होंने अधिशासी अभियंता (सिंचाई जल संसाधन) के साथ साथ पर्यटन विभाग एवं मवाना तहसील द्वारा जनसुनवाई पोर्टल पर अपलोड की गर्इं सभी रिपोटर््स को नकार दिया। अब जिलाधिकारी ने पुन: इस संबध में आख्या प्रस्तुत करने को कहा है। इसके बाद यह आख्या मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रेक्षित की जाएगी।