अभी कई और अधिकारियों पर गिरेगी गाज
ए-टू-जेड कॉलोनी को दी गई थी पशुचर की 16 बीघा, 50 करोड़ की थी जमीन ?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रुड़की रोड स्थित ए-टू-जेड कॉलोनी द्वारा कब्जाई गई पशुचारागाह की भूमि का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने जमीन के इस खेल की जांच रिपोर्ट हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी थी।
कमिश्नर की इस जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने सरधना के तत्कालीन एसडीएम पर पदावनित करने की गाज गिरा दी। इसमें किये गए भ्रष्टाचार में लेखपाल, कानूनगो व तहसीलदार भी संलिप्त थे, जिनके खिलाफ कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। इन पर कभी भी कार्रवाई की गाज गिर सकती है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुपालन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तहसील सरधना, जनपद मेरठ में तैनात रहे एसडीएम कुमार भूपेंद्र सिंह को एसडीएम के पद से तहसीलदार के पद पर अवनति करने का आदेश दिया है। कुमार भूपेन्द्र वर्तमान में मुजफ्फरनगर जिले में पदस्थ हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मेरठ के ग्राम शिवाया, जमाउल्लापुर, परगना दौराला, तहसील सरधना के राजस्व अभिलेखों में पशुचर के रूप में दर्ज 1.5830 हेक्टेयर (16 बीघा) भूमि वर्ष 2013 में ए-टू-जेड कॉलोनी के बिल्डर को आवंटित कर दी थी। इसकी शिकायत होने के बाद सरधना में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था, लेकिन कुछ भाजपा नेता इसमें लिप्त थे, जिसके चलते उनको बचाया गया।
पुलिस ने भी इसमें भाजपाईयों के पक्ष में रिपोर्ट लगाई, लेकिन फिर से इसकी शिकायत शासन से की गई थी, जिसकी जांच कमिश्नर अनीता सी मेश्राम को मिली थी। हाल ही में कमिश्नर ने इसकी जांच करने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी थी। मुख्यमंत्री स्तर से इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया गया।
वहीं वर्ष 2016 में जबकि एसडीएम के रूप में भूपेंद्र तैनात थे, तब भूपेंद्र ने सरकार के हितों की उपेक्षा करते हुए, निजी हितों की पूर्ति के लिए सम्बंधित पक्षों से मिलीभगत कर रेवन्यू कोर्ट मैनुअल के खिलाफ अगस्त 2016 में अमलदरामद का आदेश पारित कर दिया था।
शासन ने इसे कदाचार मानते हुए इन्हें पदावनित करने का आदेश दिया है। मामले में दोषी एक अन्य तत्कालीन एसडीएम, एक अपर आयुक्त, एक तहसीलदार (अब सेवानिवृत्त) एक राजस्व निरीक्षक व एक लेखपाल के खिलाफ भी कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
20 हजार वर्ग मीटर जमीन का मामला
- एनएच 58 पर ए-टू-जेड कंस्ट्रशन कंपनी ने अपनी कालोनी विकसित की है।
- इस कालोनी के लिए खरीदी गई जमीन में सिवाया जमालपुर गांव के चारागाह की 20 हजार वर्ग जमीन भी है।
- आरोप है कि तत्कालीन एसडीएम सरधना कुमार भूपेंद्र ने अधिकारियों को धोखे में रखकर यह 20 हजार वर्ग मीटर जमीन डेवलपर कंपनी के नाम अभिलेखों में दर्ज कर दी।
- करोड़ों रुपए कीमत की इस जमीन को प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम दर्ज करने का का मामला सामने आने पर जांच बैठाई गई।
- आरोप है कि इस मामले की अपील डेवलपर्स की ओर से अपर आयुक्त के यहां की गई थी।
- जिसमें अगस्त 2014 को अपर आयुक्त के यहां ए-टू-जेड डेवलपर्स के पक्ष में जो आदेश हुआ उसकी जानकारी तहसील के अधिकारियों ने डीएम को नहीं दी।
- जांच के बाद तत्कालीन एसडीएम सरधना कुमार भूपेन्द्र के अलावा लेखपाल राजपाल सिंह, राजस्व निरीक्षक मोहम्मद नसीम, राजस्व अहलमद जगवीर सिंह और मैसर्स ए टू जेड डेवलपर्स के खिलाफ केस दर्ज कराया गया।
- वर्तमान में एसडीएम कुमार भूपेंद्र तहसील मेरठ में एसडीएम के पद पर तैनात हैं।
इस मामले में डेवलपर कंपनी के डायरेक्टर का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा केस दर्ज की कार्रवाई गलत है।
उन्होंने नियमों का पालन करते हुए प्रोजेक्ट के बीच में आ रही ग्राम सभा की चारागाह की जमीन को प्रोजेक्ट के आगे चारागाह के आगे दे दी गई है। बदले में दी गई जमीन चारागाह में दर्ज है।
सरकारी जमीनों की बैठाई जांच
- यह मामला सामने आने पर डीएम बी. चंद्रकला ने कीमती सरकारी जमीनों की जांच बैठा दी है।
- जिले के सभी एसडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी तहसील में जमीन के सभी रिकार्ड चेक कर लें।
- यदि कहीं सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है तो उसे हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जाए।
- यदि जांच में कहीं किसी जमीन में सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की मिलीभगत पायी गई तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
सरधना थाने में तहसीलदार की ओर से धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।