- डीएम ने निकाय चुनाव को लेकर कई स्थानों का किया निरीक्षण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निकाय सामान्य निर्वाचन-2023 को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण संपन्न कराये जाने के दृष्टिगत गुरुवार को जिला निर्वाचन अधिकारी दीपक मीणा ने कलक्ट्रेट, तहसील सदर व तहसील सरधना का निरीक्षण कर वहां नामांकन के लिए की गई व्यवस्था, प्रत्याशियों के आवागमन की व्यवस्था, बैरिकेडिंग, सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा व्यवस्था, साफ-सफाई आदि विभिन्न पहलुओं पर की जा रही तैयारियों का जायजा लिया।
उन्होंने मतगणना स्थल कताई मिल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को परखा तथा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। इस अवसर पर एसएसपी रोहित सिंह सजवाण, मुख्य विकास अधिकारी शशांक चौधरी, अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित कुमार, अपर जिलाधिकारी वित्त पंकज वर्मा, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जागृति अवस्थी, जिला सूचना अधिकारी सुमित कुमार सहित अन्य संबंधित अधिकारी व पुलिस अधिकारीगण उपस्थित रहे।
उधर, नगर निकाय चुनाव की तैयारी के मद्देनजर गुरुवार को डीएम दीपक मीणा व एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने सदर तहसील में बने स्टॉग रूम का निरीक्षण किया। इस दौरान एसडीएम व तहसीलदार भी उनके साथ मौजूद रहे। जिसमें डीएम ने कर्मचारियों को बताया कि जिनकी ड्यूटी नगर निकाय चुनाव में लगी है। वह आदर्श आचार संहिता का पालन करते हुये निष्पक्षता से कार्य करें।
इस दौरान उन्होने स्टॉग रूम में रंगाई-पुताई के साथ जिन जगहों पर मरम्मत की आवश्यकता है। उन जगहों पर मरम्मत आदि का कार्य पूरा कराया जाये। वहीं जिन जगहों पर मतदान होना है। उन जगहों पर बूथों की तैयारी किस तरह से चल रही है। उसको लेकर भी एसडीएम व तहसीलदार से बातचीत की। इस दौरान जो बूथ संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील क्षेणी में हैं। उनकी रिपोर्ट पर भी संज्ञान लेने के निर्देश दिये। निरीक्षण के दौरान तहसील के अधिकारी अलर्ट दिखाई दिये।
संवेदनशील, अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं आधे से अधिक मतदान केंद्र
नगर निगम, मवाना और सरधना नगर पालिका परिषद समेत जनपद की सभी 16 निकायों में 503 में से 272 यानी 54 प्रतिशत से अधिक पोलिंग सेंटर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखे गए हैं। इन पोलिंग सेंटरों को लेकर जिला प्रशासन ने विशेष सुरक्षा योजना तैयार की है। ऐसे कॉलिंग स्टेशन आॅफ पर विशेष पुलिस बल की तैनाती समेत सुरक्षा के सभी इंतजाम किए जाएंगे।
जनपद में 11 मई को चुनाव होगा। इनमें मेरठ नगर निगम, मवाना और सरधना नगर पालिका परिषद और 13 नगर पंचायतों में मतदान होगा। इनमें मेयर और चेयरमैन के साथ इसमें 316 वार्ड, 503 पोलिंग स्टेशन, 1480 बूथों पर मतदान होना है। नगर निगम का चुनाव ईवीएम और पालिका परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव बैलेट पेपर से होंगे। जिला प्रशासन की ओर से 503 पोलिंग स्टेशनों में जो वर्गीकरण किया गया है, उनमें 241 जनरल पोलिंग सेंटर हैं।
127 संवेदनशील, 85 अतिसंवेदनशील और 50 ऐसे मतदान केंद्र हैं जो अति संवेदनशील प्लस की श्रेणी में रखे गए हैं। पिछली चुनावों को देखते हुए इन सब बातों को सेंसिटिव जोन में रखा गया है। इन सभी पोलिंग सेंटर पर लाइव बेवकास्टिंग की व्यवस्था की जाएगी।
यहां शांतिपूर्ण मतदान के लिए अतिरिक्त पुलिस भी लगाई जाएगी। मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा। 13 मई की गिनती की जाएगी। चुनाव के लिए 57 निर्वाचन अधिकारी, 89 सहायक निर्वाचन अधिकारी, 38 जोनल मजिस्ट्रेट, 154 सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं।
भाजपा से मेयर का कौन होगा प्रत्याशी आठ नामों के साथ लिफाफा बंद
भाजपा का मेयर प्रत्याशी कौन होगा? इसको लेकर भाजपा की गुरुवार को मैराथन मीटिंग चली। फाइनल ये हुआ कि तीन-तीन नाम लिफापे में बंद कर दिये गए और इनको लखनऊ मुख्यालय के लिए भेज दिया गया। टॉप पर नाम पूर्व मेयर हरिकांत अहलूवालिया का रहा। संभावना ये है कि उनके नाम पर ही फाइनल मुहर लगा दी जाएगी। महिला के नाम पर कोर कमेटी की मीटिंग में चर्चा भी नहीं हुई, ऐसा सूत्रों का कहना हैं।
इससे स्पष्ट है कि महिला को भाजपा मेयर पद के लिए चुनाव मैदान में उतारने के पक्ष में नहीं हैं। प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेन्द्र सिसोदिया, पंकज सिंह समेत पूरी कोर कमेटी मौजूद रही। कोर कमेटी में 24 लोग शामिल हैं, जो इस मीटिंग में मौजूद रहे। कोर कमेटी में सपा प्रत्याशी सीमा प्रधान के घोषित होने के बाद भाजपा में प्रत्याशी कौन होगा? इसको लेकर खास चर्चा की गई।
दरअसल, मेयर पद के लिए कौन उपयुक्त प्रत्याशी होंगे, उसको लेकर गुरुवार को फिर से चर्चा की गई। वैसे तो तीन दिन से कोर कमेटी की बैठक चल रही थी। पहले दिन मेयर पद को लेकर चर्चा हुई थी, जिसके बाद पार्षदों के नाम पर मुहर लगाई जानी थी। दो दिन चर्चा इसी पर होनी थी, भाजपा की मीटिंग में, लेकिन अचानक आखिर दिन मेयर पद को लेकर फिर चर्चा हुई।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि आठ नाम लखनऊ बंद लिफाफे में भेजे जाएंगे, जिसमें हरिकांत अहलूवालिया, बीना वाधवा, विनय प्रधान, रविन्द्र चौधरी, सुनील भडाना, नरेश गुर्जर शामिल हैं। अब ये भी बड़ा सवाल है कि भाजपा की सूची में जो गुर्जर संभावित दावेदारों के नाम भेजे जा रहे हैं, लेकिन सपा से गुर्जर प्रत्याशी सीमा प्रधान के आने से उनकी दावेदारी खत्म हो गई हैं।
ऐसे में जाट या फिर पंजाबी समाज पर भाजपा दांव लगाएगी। इन दोनों ही बिरादरी से प्रत्याशी लाया जा सकता हैं। उधर, पार्षद प्रत्याशियों के नाम भी करीब-करीब फाइनल हो गए। तीन-तीन पार्षदों के नाम भी लखनऊ मुख्यालय पर भेजे जाएंगे। ऐसा कहा जा रहा हैं, लेकिन क्षेत्रीय कार्यालय से ही पार्षदों के नामों पर फाइनल मुहर लगा दी गई हैं।
मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव खेल सकती है कांगे्रस!
स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस मेरठ में मेयर की सीट पर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देगी या फिर गैर मुस्लिम को, यह तो अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन पार्टी के प्रदेश मुख्यालय से छन कर जो खबरें बाहर आ रही हैं उनके अनुसार पार्टी हाईकमान अन्य नामों के साथ साथ मुस्लिम नाम पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है। सपा से सीमा प्रधान का नाम तय होने के बाद बसपा और कांग्रेस की उलझने किसी हद तक सुलझ गई हैं।
उधर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बसपा से राशिद अखलाक दमदार तरीके से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं लेकिन पता यह भी चला है कि अखलाक परिवार में ही उनके नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में अगर बसपा ने भी किसी गैर मुस्लिम पर दांव खेला तो फिर कांगे्रस के लिए मुस्लिम नाम की घोषणा करना पार्टी के लिए मुफीद साबित हो सकता है।
कांग्रेस हाईकमान इस समय अपने सोर्सेस के द्वारा जिलों से भी फीडबैक ले रहा है और उनकी राय भी। सूत्रों के अनुसार पार्टी प्रत्याशी तय करने के दौरान इस फीडबैक को भी तरजीह दी जाएगी। मेरठ में इस समय कांग्रेस की मुस्लिम लीडरशिप चुनिन्दा नामों के इर्दगिर्द ही घूम रही है। मेरठ में पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व कई वर्षों तक शहर कांगे्रस के अध्यक्ष रहे डॉ. यूसुफ कुरैशी स्थानीय कांग्रेस में एक दमदार चेरहा है।
वह शुरू से कांग्रेस में रहे हैं और पार्टी की सक्रिय राजनीति में शामिल रहे हैं। पार्टी उनके नाम पर विचार कर सकती है। इसके अलावा पार्टी के वर्तमान महानगर अध्यक्ष जाहिद अंसारी को नगर निगम की राजनीति का अच्छा खासा अनुभव हैं। वो भी पिछड़ी जाति से हैं लिहाजा पार्टी के लिए इस नाम का भी आॅप्शन है।
मुस्लिम चेहरों में पूर्व प्रदेश महासचिव के साथ साथ शहर अध्यक्ष रह चुके नसीम कुरैशी का नाम भी चर्चाओं से बाहर नहीं है। एक अन्य नाम शहजाद कुरैशी का भी फिजाओं में है लेकिन पता चला है कि वो महापौर का चुनाव लड़ने में अनिच्छा जता रहे हैं। कुछ लोग इरफान सैफी के नाम की पैरवी भी कर रहे हैं।