- स्मार्ट मीटर की रफ्तार कर रही जेब का वजन कम
- विद्युत विभाग में प्रतिदिन पहुंच रही सैकड़ों की संख्या में शिकायतें
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्मार्ट मीटरों की तेज रफ्तार बिजली उपभोक्ताओं का दिल बैठा जा रहा है, वो इसलिए क्योंकि स्मार्ट मीटर उनकी जेब ढीली कर रही हैं। स्मार्ट मीटरों को लेकर एक दो या 10-20 और 50-100 नहीं बल्कि हजारों शिकायतें अब तक पहुंच चुकी हैं। प्रतिदिन सैकड़ों शिकायतें पीवीवीएनएल मुख्यालय विक्टोरिया पार्क स्थित ऊर्जा भवन में भी पहुंच रही है। हालांकि जो शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं।
उन्हें अभी राहत की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है। वहीं, दूसरी ओर सूत्रों की मानें तो यदि स्मार्ट मीटर की खरीद की जांच करा ली जाए तो उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में बड़ा घोटाला भी सामने आ सकता है। पावर कारपोरेशन की कारगुजारियों को लेकर आवाज उठाने वाले कई लोगों ने जिनमें पं. नरेश शर्मा भी शामिल हैं, स्मार्ट मीटरों की खरीद की जांच की मांग सीएम से की है।
रफ्तार दे रही झटके
स्मार्ट मीटरों की रफ्तार उपभोक्ताओं को भारी झटके दे रही है। शिकायत लेकर पीवीवीएनएल मुख्यालय तथा आसपास के पावर स्टेशनों पर पहुंचने वाले लोगों का आरोप है कि एक किलोवाट के उपभोक्ताओं का लोड जंप करके 60-65 किलोवाट तक पहुंच रहा है। ऐसी एक दो या 10-20 व 50-100 नहीं बल्कि हजारों शिकायतें पहुंच रही है।
स्मार्ट है, फिर भी खराब
वहीं, दूसरी ओर स्मार्ट मीटर की खरीद में बड़े घपले-घोटाले का आरोप लगाने वालों की मानें तो महकमा चलाने वाले जिन्हें स्मार्ट मीटर बता रहे हैं, उनमें बड़ी संख्या में मीटर खराब भी पडेÞ हैं। जबकि ये तमाम मीटर गारंटी अवधि में हैं। उनका कहना है कि जब गारंटी अवधि बाकी है
तो फिर अफसर खराब मीटरों को बदलवा क्यों नहीं रहे। इसके चलते निगम को लाखों रुपये का नुकसान होगा। निगम द्वारा उपभोक्ताओं के खराब जले हुए मीटर बदले जा रहे हैं, लेकिन उतारे हुए मीटर स्टोर में जमा नहीं हो रहे हैं। ये मीटर जेई और एक्सईएन कार्यालयों में कबाड़ बन रहे हैं।
उपभोक्ता और निगम दोनों को फटका
स्मार्ट बताकर लगाए जा रहे जो मीटर की वजह से जहां उपभोक्ताओं का चपत लग रही है, वहीं दूसरी ओर जो स्मार्ट मीटर खराब हो रहे हैं और उन्हें बदला नहीं जा रहा है उससे निगम को भी फटका लग रहा है। जानकारों का कहना है कि पीवीवीएनएल ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटरों का कुछ ऐसा ही हाल है।
दो साल से हालात बदतर
इनमें अधिकांश मीटर करीब दो साल से पड़े हैं। खराब मीटरों को उतारने के बाद उपभोक्ताओं के नए मीटर लगा दिए, लेकिन खराब मीटर कार्यालय परिसर में खुले में पड़े हैं। जो दिनों दिन कबाड़ होते जा रहे हैं। डेढ़, दो साल पहले प्रदेश भर में खराब स्मार्ट मीटरों को स्टोर में जमा करने की प्रक्रिया भी शुरू की थी, लेकिन खराब मीटरों का रिकार्ड साधारण नहीं होने से जमा नहीं हो पाए थे।
इसके बाद उपभोक्ताओं के यहां से उतारकर लाए जाने वाले खराब मीटर प्रदेश भर में अलग-अलग स्थानों पर डंप किए जाने लगे। बताया जाता है कि जेई नए मीटर स्टोर से जारी करा लेते हैं, लेकिन पुराने मीटर स्टोर में जमा होने के बजाय आमतौर पर उनके कार्यालय में ही पड़े हैं। इन मीटरों को नहीं बदलाया गया तो गारंटी अवधि निकलने के बाद निगम को लाखों रुपए का नुकसान होगा।
खराब मीटरों की जानकारी तक नहीं
हजारों खराब जले हुए मीटर पड़े हैं, लेकिन इनमें कितने मीटर गारंटी अवधि में है। इसकी अधिकारियों को जानकारी नहीं है। कार्यालय में नए मीटर जारी करने का रिकार्ड है, लेकिन खराब होने के बाद उतारे गए मीटर वैसे ही पड़े हैं। जबकि मीटरों की पांच साल की गारंटी आती है। खराब होने पर मीटर बदलवाया जा सकता है,
लेकिन निगम में इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मीटर खराब होने पर उपभोक्ता से कोई राशि नहीं ली जाती। निगम द्वारा ही नया मीटर लगाया जाता है। जबकि मीटर जलने पर संबंधित उपभोक्ता को मीटर की राशि जमा करानी पड़ती है। उपभोक्ता को सिंगल फेस के मीटर के लिए 350 थ्री फेस मीटर के लिए 650 रुपये जमा कराने पड़ते हैं।
स्मार्ट मीटर से भी रुकी बिजली चोरी
पीवीवीएनएल के चीफ धीरज सिन्हा ने स्मार्ट मीटर के जंप व स्पीड अधिक होने की बात को एक सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि तीन साल से स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। जहां शिकायत मिलती है वहां चेक मीटर लगाए जाते हैं। जो मीटर खराब होकर उतारे जाते हैं वो वापस कंपनी को भेज दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि आरडीएसएस योजन के तहत शत-प्रतिशत उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं।