Wednesday, July 3, 2024
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कान्वेट स्कूलों के नक्शा पास कराने की गुपचुप तैयारी

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  • प्रमोशन के मुहाने पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते बैठक के नाम पर बोर्ड अफसर
  • कान्वेंट स्कूल के पैरोकार की सदस्यों का बोर्ड के बाकी सदस्यों को दो-दो एडमिशन का लालीपॉप

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: बडे अफसर की ना-नुकर के बावजूद कैंट स्थित एक बडे कान्वेंट स्कूल का नक्शा बोर्ड बैठक में पास कराए जाने की स्क्रिप्ट तैयार कर ली गयी है। इसके लिए बाकी सदस्यों को भी दो-दो एडमिशन कराने के वादे का लालीपॉप थमाए जाने की चर्चा है, लेकिन जनवाणी इसकी पुष्टि नहीं करता।

वहीं, दूसरी ओर कैंट ऐक्ट के जानकारों की मानें तो बोर्ड बैठक के लिए जो नोटिस जारी किया गया है कि कानून संवत नहीं। बोर्ड बैठक के लिए सब एरिया के ब्रिगेडियर जो बोर्ड के अध्यक्ष भी होते हैं उनका निर्णय अंतिम माना जाता है।

कैंट बोर्ड के कुछ पूर्व सदस्य बताते हैं कि बोर्ड बैठक के नाम पर जो नोटिस जारी किया गया है वह न केवल झटका देने वाला है। बल्कि इससे पूर्व कभी छावनी परिषदके इतिहास में इस प्रकार से बोर्ड बैठक के लिए नोटिस जारी नहीं किया गया। बोर्ड के कुछ सदस्यों के दबाव में इसको कैंट अफसरों के लिए सुनहरा जाल तक कह डाला है।

कैंट बोर्ड का बिजनेस रेग्यूलेशन कहता है कि बोर्ड की साधारण सभा आयोजित करने के लिए अध्यक्ष निश्चित तिथि व समय और वेन्यू निर्धारित करते हुए निर्देश देंगे। इसके लिए सीईओ बोर्ड के सचिव की हैसियत से सभी सदस्यों को सूचना जारी करेंगे। यह सूचना बैठक से सात कार्य दिवस पूर्व जारी की जाएगी।

उसके बाद बैठक से चार दिन पूर्व कार्य सूची जारी की जाएगी। कोई भी बोर्ड बैठक का नोटिस अनिश्चित तिथि से जारी नहीं किया जा सकता। ये पूरी तरह कैंट ऐक्ट के नियमों के प्रवधान के विरुद्ध है। जिस बैठक के आयोजित करने का नोटिस ही नियम विरुद्ध हो वह बैठक ही अवैध की श्रेणी में होगी। इस संबंध में अध्यक्ष को सावधानी पूर्वक कैंट ऐक्ट बिजनेस रेग्यूलेशन का अवलोक जरूरी है। बैठक बुलाने का कानूनी दायित्व संपूर्ण रूप से अध्यक्ष का ही है।

ये है आपत्ति

सीईओ के नाम से जो नोटिस बैठक के लिए जारी किया गया है उसकों लेकर कुछ पूर्व सदस्यों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर आपत्ति जताई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि नोटिस के मजनून से लगता है कि बैठक के लिए अध्यक्ष ने कोई समय व तिथि ही तय नहीं की है।

दरअसल इस नोटिस में कहा गया है कि कैंट बोर्ड की साधारण बैठक सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में आयोजित हो सकती है। जिसके अंदर सिविल एरिया कमेटी के कार्यवृत्त की पुष्टि आइटम नंबर 173 के रूप में प्रस्तुत की जाएगी। अन्य बिंदु बाद में सूचित किए जाने की बात कही गयी है। जिस भाषा का प्रयोग किया गया है उसने बोर्ड बैठक बुलाने के निहितार्थ पर ही सवाल खडे कर दिए हैं।

अवैध निर्माणों के बाद भी नक्शा पास कराने की तैयारी पर सवाल

जिस कान्वेंट स्कूल की यहां बात की जा रही है उसमें बडेÞ स्तर पर अवैध निर्माण किए गए हैं। उनको लेकर कैंट बोर्ड ने नोटिस भी जारी किए। जिसके बाद स्कूल की ओर से कंपाउंड कराने के लिए आवेदन किया गया, लेकिन तकनीकि अड़चनों के चलते उक्त आवदेन लंबित है। जब तक आवेदन का निस्तारण नहीं हो जाता तथा अवैध निर्माण कंपाउंड नहीं हो जाते तब तक बोर्ड बैठक में उक्त मामले पर विचार तक संभव नहीं है। जब कि चर्चा इतनी बड़ी तकनीकि खामियों के बाद भी नक्शा पास कराए जाने की तैयारी है।

स्टाफ पर भारी दबाव

इस मामले को लेकर कुछ सदस्यों की दिलचस्पी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टाफ पर तकनीकि रिपोर्ट लगाने का दबाव डाला जा रहा है। जिन हालात में रिपोर्ट लगवाए जाने की जानकारी अपुष्ट सूत्रों ने दी है उससे मंत्रालय स्तर से किसी भी जांच की स्थिति में फंसने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

बोर्ड के पूर्व सैन्य अफसरों से किए सलूक का दिलाया याद

जानकारों का कहना है कि बोर्ड के हालात बेहद नाजुक हैं। कुछ सदस्य निजी स्वार्थ में आंकठ डूबे हैं। इसके चलते तमाम ऐसे काम कराने के प्रयास हैं जो नियम विरूद्ध माने जा रहे हैं। कैंट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ब्रिगेडियर अशोक सूद, ब्रिगेडियर राणा गोस्वामी और ब्रिगेडियर केटीजी नांबियार के साथ ऐसी ही कुछ बैठकों के चलते मंत्रालय ने जो कुछ सलूक किया गया, वो कैंट बोर्ड के बाद के अध्यक्षों के लिए एक नजीर बने हैं।

उनके साथ किए सलूक को देखते हुए बोर्ड बैठक के मामले में तमाम पक्षों को ध्यान में रखते हुए निर्णण लिए जाने की जरूरत है। जनता के निर्वाचित नुमाइंदे आज हैं कल नहीं, लेकिन फौजी अफसर को पूरा सेवाकाल एक जरा सी चूक से प्रभावित हो जाता है। कुल मिलाकर स्थिति यह है कि जो बैठक के नाम पर जो नोटिस जारी किया गया है उसने बैठक के औचित्य पर ही सवाल खडे कर दिए हैं।

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