- तीसरी लहर के लिए आने वाले 15 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण: मांगलिक
- सहारनपुर में पिछले चार दिनों में कोरोना का कोई केस नहीं
- बाहरी राज्यों से आने वाले एक-एक व्यक्ति की कराई जा रही है कोरोना जांच
जनवाणी ब्यूरो |
सहारनपुर: बेशक कोरोना के नए मामले काफी कम हुए हैं किंतु तीसरी लहर की आने की आशंका है। ऐसे में सतर्कता बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों की राय में आने वाले 15 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इन 15 दिनों में अगर सावधानी बरती गई और कोविड-19 के नियमों का पालन किया गया तो काफी कुछ हालात काबू में रहेंगे, अन्यथा हालात बिगड़ सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इस बाबत सभी को चेताया है। तीसरी लहर के लिए घातक माने जा रहे डेल्टा प्लस वायरस के मामले हालांकि, बहुत अधिक सामने नहीं आए हैं। फिर भी इस दिशा में अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है। दरअसल, दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की हाईवे, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन व एक्सप्रेस-वे पर कोरोना जांच और निगरानी बढ़ा दी गई है।
वहीं जिले में पॉजिटिव मामलों व मौतों की संख्या में भारी कमी आई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. संजीव मांगलिक ने बताया पिछले चार रोज से कोरोना का कोई केस सहारनपुर में नहीं मिला है। एक्टिव केस फकत 12 रह गए हैं। फिर भी तीसरी लहर रोकने के लिए अगले 15 दिन बेहद महत्वपूर्ण मानकर चलना होगा।
उधर पिलखनी स्थित मौलाना शेखुल हिंद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. अरविंद त्रिवेदी का कहना है कि मौजूदा स्थिति बहुत नियंत्रण में है। सहारनपुर में हालात बेहद सामान्य हैं। बाहरी राज्यों से आने वाले एक-एक व्यक्ति की कोरोना जांच कराई जा रही है। टीकाकरण भी ठीक चल रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ दो तरह की इम्युनिटी होती है। एक तो नेचुरली एक्वायर्ड इंफेक्शन यानि प्राकृतिक रूप से संक्रमण होने पर व दूसरी कोविड टीकाकरण से। पहली व दूसरी लहर में देश में अधिसंख्य लोग हार्ड इम्युनिटी प्राप्त कर चुके हैं।
अब टीका उनकी सुरक्षा को और मजबूत कर रहा है, इसलिए हर्ड इम्युनिटी भी तीसरी लहर के प्रभाव को कम करने के काम आएगी। उन्होंने बताया जो स्थिति अभी चल रही है, वह भी 15 दिन तक स्थिर रही तो फिर तीसरी लहर की संभावना काफी कम होगी।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन, हर्ड इम्युनिटी व कोविड उचित व्यवहार से ही स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने बताया इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मैथमेटिकल साइंस, चेन्नई के विशेषज्ञों के अनुसार वायरस की आर (रिप्रोडक्टिव) दर यदि एक से नीचे रहती है तो वह नई चेन नहीं बना पाता।