Tuesday, August 19, 2025
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नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर

  • नगरायुक्त, महापौर खामोश क्यों, बड़ा सवाल?
  • चूना घोटाला, 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति का मामला रहा सुर्खियों में
  • नगर निगम में दर्जनभर से अधिक पत्रावली गायब, कोई कार्रवाई नहीं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निगम में बुधवार को जो एंटी करप्शन टीम के द्वारा जो कार्रवाई करते हुए गृहकर विभाग में कार्यरत क्लर्क को जो रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। उसकी शायद नौबत न आती यदि नगरायुक्त एवं महापौर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर संज्ञान लेकर यदि कार्रवाई अमल में लाते।

उनके द्वारा यदि समय-समय पर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर यदि संज्ञान लिया जाए तो एंटी करप्शन टीम तक शायद लोगों को न जाना पडेÞ। जब निगम के अधिकारी लोगों की समस्या को नहीं सुनते तभी जाकर लोगों को एंटी करप्शन विभाग का सहारा लेना पड़ता है। जिसके चलते एक वर्ष के भीतर ही निगम में दो बार क्लर्क व इंस्पेक्टर रिश्वत लेते पकडेÞ जा चुके हैं।

नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर हैं इसका अंदाजा एंटी करप्शन की टीम के द्वारा छापेमार कार्रवाई कर एक इंस्पेक्टर और एक क्लर्क को रंगे हाथ पकड़ा जा चुका हैं। जिसमें नवल सिंह व इंस्पेक्टर हाल ही में जेल से जमानत पर आया है और उसके तत्काल बाद दूसरा क्लर्क बुधवार को एंटी करप्शन टीम ने जेल भेज दिया। नगर निगम में एक दो मामलो में नहीं कई मामलों में बडेÞ स्तर का भ्रष्टाचार हुआ जिसकी फाइल तक निगम से गायब हो चुकी हैं।

शासन से कई बार उन पर संज्ञान लिया गया, लेकिन निगम के अधिकारियों ने हर बार गोल-मोल जवाब देकर भ्रष्ट अधिकारी एवं कर्मचारियों को बचाने का प्रयास किया। निगम में 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति का मामला हो या फिर कई कर्मचारियों की पत्रावली गायब होने का मामला हो। इतना ही नहीं निगम में एक बड़े भ्रष्टाचार का चूना घोटाले का मामला सामने आया।

जिसमें दोषियों पर मुकदमा तो लिखा गया, लेकिन चूना गोदाम के एक लिपिक को छोड़कर सभी आरोपियों को प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी गजेंद्र सिंह की फर्जी रिपोर्ट के आधार पर क्राइम ब्रांच के द्वारा क्लीन चिट दे दी गई। वह फर्जी रिपोर्ट किसने तैयार की ओर उस मामले से संबंधित फाइल किस अधिकारी एवं कर्मचारी ने गायब की उस पर अभी तक निगम के अधिकारियों के द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया।

वहीं, दूसरी तरफ चूना घोटाले का मामला भाजपा के पूर्व पार्षद अजय गुप्ता के द्वारा उठाया गया था। उन्होंने निगम के अधिकारियों को चेतावनी भी दी हुई है,कि जिन्होंने प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी डा.गजेंद्र की फर्जी रिपोर्ट तैयार कर क्राइम ब्रांच में भेज दी तो उससे बड़ा क्या भ्रष्टाचार का मामला होगा? लेकिन अभी तक न तो महापौर औÞर न ही नगरायुक्त के द्वारा चूना भ्रष्टाचार के मामले में कोई बड़ा एक्शन लिया गया।

अजय गुप्ता के द्वारा कहा गया कि यदि डा. गजेंद्र की फर्जी रिपोर्ट की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह मामले को सीबीआई तक ले जायेंगे, ताकि भ्रष्टाचार से जुडेÞ कर्मचारी व अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके। निगम से चूना घोटाले की फाइल गायब हो चुकी है, लेकिन जिन पर फाइल गायब करने का आरोप है, वह निगम में सीना तानकर कार्य कर रहे हैं। निगम में बढ़ते भ्रष्टाचार पर नगरायुक्त की खामोशी एवं महापौर के द्वारा भी संज्ञान नहीं लेने के चलते ही निगम में एंटी करप्शन टीम की दस्तक देखी जा रही है।

निगम कर्मी नवल रिश्वत के मामले में गया था जेल, हाल ही में हुई जमानत

नगर निगम में ऐसा नहीं है कि रिश्वत लेते पकडेÞ जाने का यह पहला मामला हो। निगम में कार्यरत एक लिपिक नवल जोकि रिश्वत लेते एंटी करप्शन विभाग की टीम ने मौके से पकड़ा था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उसकी हाल ही में कोर्ट से जमानत हुई है और वह एक-दो दिन पहले ही रिश्वत के मामले में जेल से जमानत पर बाहर आया है। दो दिन बाद ही निगम से रिश्वत के मामले में एक और लिपिक की गिरफ्तारी बता रही है कि निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है, लेकिन मामला एंटी करप्शन विभाग की टीम द्वारा तो पकड़ा जाता है, लेकिन निगम के आलाधिकारी इस तरफ से पूरी तरह से आंखे मूंदे बैठे हैं।

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