- पॉलीथिन बन रही गायों के लिये खतरा
- कैंट, शहर में कूड़े पर पॉलीथिन खा रही गाय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद शहर में पॉलीथिन बंद नहीं हो पाई है, जिसका असर गायों की जिंदगी पर खूब पड़ रहा है। रोजना आपको कूड़े के ढेÞर पर पॉलीथिन खाते गाय व अन्य छुट्टा पशु आसानी से दिखाई पड़ जाएंगे। योगी सरकार के होते हुए भी गायों की ऐसी दुर्दशा होना विभागीय अधिकारियों की लापरवाही ही कहलाएगा।
बात सिर्फ यहीं तक सीमित हो तो ठीक है, लेकिन इस पॉलीथिन के कारण समय से पहले ही गाय दम तोड़ रही हैं और जो बछड़े या बछिया हैं वह कभी गाय नहीं बन पाते। गायों की आधी उम्र पॉलीथिन के खाने से खत्म हो जाती है। बावजूद इसके पॉलीथिन बंद नहीं हो पा रही है। यहां मेरठ के कान्हा उपवन गोशाला की ही बात करें तो यहां 30 से 50 गाय ऐसी हैं। जिनका पाचन पूरी तरह पॉलीथिन के कारण खराब हो चुका है और उनकी डाइट अलग से बनाई जाती है, लेकिन वह कब तक जी पाएंगी यह कह पाना मुश्किल है।
शहर में छुट्टा पशुओं की संख्या अधिक है और उनके रखने के इंतजाम कम हैं। जिस कारण गाय, बछड़े व अन्य पशु आवारा ही घूमते हैं और कूड़े पर जो पड़ा मिलता है, उसे ही खा लेते हैं। यह हालात रोजाना के हो गए हैं। शहर में सभी मार्गों पर आपको छुट्ट पशु कूड़ा खाते दिखाई पड़ जाएंगे, लेकिन उसके कूड़े में पड़ी पॉलीथिन भी उनके पेट में जा रही है। जो उनसे उनकी जिंदगी छीन रही है।
सोमवार को क्षेत्र के पॉश एरिया कैंट डाकघर के ठीक बराबर में एक दर्जन से अधिक गाय और बछड़े कूड़े से चुगकर पॉलीथिन तक खा रहे थे, जो उनकी मौत का कारण बनने वाला है। यहां कैंट की ही लापरवाही है कि कूड़ा नहीं उठाया गया। जबकि पॉलीथिन बेन होने के बावजूद इतनी संख्या में पॉलीथिन यहां कूड़े पर पड़ी मिली है।
जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम और कैंट बोर्ड का पॉलीथिन बेन कराने को लेकर कितना बड़ा अभियान चलाया जाता है। एक ओर योगी सरकार गायों की रक्षा करने की बात करती है, लेकिन दूसरी ओर सिस्टम की लापरवाही के कारण यह पशु मौत के कगार पर पहुंच चुके हैं। जिन्हें शायद ही बचाया जा सके।
बछिया गाय बनने से पहले ही तोड़ देती है दम
अमूमन एक गाय की उम्र की बात की जाए तो 12 से 14 वर्ष के बीच एक गाय की उम्र होती है। गाय हो अगर शुद्ध हरा चारा व पोस्टिक आहार खिलाया जाए तो वह स्वस्थ रहती है, लेकिन जैसा अब सड़कों पर देखने को मिल रहा है कि गाय और बछड़े पॉलीथिन खा रहे हैं। ऐसे में उनका जीवन सयम भी कम रह जाता है और जो बछड़े अगर पॉलीथिन खाते हैं तो वह कभी गाय नहीं बन पाते।
ऐसे कई मामले यहां कान्हा उपवन में आ चुके हैं। पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकार डा. हरपाल सिंह ने बताया कि बछड़ा या बछिया जो भी पॉलीथिन का सेवन करता है, वह कभी गाय नहीं बन पाता और उसकी उम्र आधे से भी कम हो जाती है। मसलन तीन से चार साल ही उनकी जिंदगी मानकर चलिए, इसलिए पॉलीथिन इनके लिए पूरी तरह से खतरनाक है।
कान्हा उपवन में ही कई गाय का चल रहा है उपचार
नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. हरपाल सिंह ने बताया कि नगर निगम की एक ही गोशाला है जो परतापुर में कान्हा उपवन के नाम से है। यहां 30 से 40 गाय ऐसी हैं। जिनकी पाचन क्रिया पूरी तरह से खराब है। उनका इलाज भी कराया जाता है और उनके खाने पीने का ध्यान रखना आवश्यक है। जो भी गाय या बछड़े पॉलीथिन का सेवन करते हैं। वह उनके पेट में ही जाकर रह जाते हैं। पेट में पॉलीथिन एकत्र हो जाती है।
जोकि उनकी पाचन क्रिया पर असर डालती है और उसे ठप कर देती है। क्योंकि पॉलीथिन पच नहीं पाती। उन्होंने बताया कि ऐसे पशुओं को हरा चाला, भूसा व अन्य पोस्टिक आहार दिए जाते हैं। जिससे वह कुछ समय सही प्रकार से जी सकें। हालांकि अगर उनकी उम्र की बात की जाए तो अधिक पॉलीथिन खाने के कारण उनकी उम्र आधे से भी ज्यादा घट जाती है।