अर्जुन का पेड़ अपनी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी छाल का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अर्जुन का पेड़ पशुओं के लिए भी एक बेहतरीन चारा हो सकता है? आइए जानते हैं अर्जुन की खेती कैसे की जाती है और यह पशुओं के लिए कैसे फायदेमंद है।
जलवायु और मिट्टी की
जलवायु : अर्जुन की खेती के लिए उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त है। यह वृक्ष 10 डिग्री से 45 डिग्री के बीच तापमान सहन कर सकता है, और 800-1200 मि.मी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित होता है।
मिट्टी : यह विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का स्रऌ स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अर्जुन की जड़ें गहरी होती हैं, इसलिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी इसकी वृद्धि के लिए अनुकूल होती है।
भूमि की तैयारी
खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें ताकि पौधे की जड़ें आसानी से फैल सकें। खेत की आखिरी जुताई के बाद, गोबर की सड़ी हुई खाद डालें जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की आपूर्ति हो सके। खेत को समतल करें ताकि पौधे की सिंचाई सही तरीके से हो सके।
अर्जुन के पेड़ लगाने का तरीका
बीज से: अर्जुन के बीजों को पानी में भिगोकर रखें और फिर उन्हें नर्सरी में बोएं। जब पौधे कुछ बड़े हो जाएं तो उन्हें मुख्य खेत में लगाएं।
पौध से: आप नर्सरी से तैयार पौधे भी खरीद सकते हैं और उन्हें सीधे खेत में लगा सकते हैं। अर्जुन के पौधों को बीजों से तैयार किया जा सकता है, लेकिन कलम विधि से पौधों की वृद्धि अधिक होती है। पौधों को लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून का मौसम है, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। पौधों की रोपाई करते समय 5 गुणा 5 मीटर की दूरी रखी जाती है। एक हेक्टेयर में लगभग 400-450 पौधे लगाए जा सकते हैं।
अर्जुन के पेड़ की देखभाल
सिंचाई: शुरूआती कुछ महीनों में नियमित रूप से पानी दें। बाद में, यह पेड़ सूखे का सामना कर सकता है।
खाद: समय-समय पर खाद देते रहें।
निराई-गुड़ाई: खरपतवारों को समय-समय पर हटाते रहें।
छंटाई: पेड़ को आकार देने के लिए समय-समय पर इसकी छंटाई करते रहें।
अर्जुन के पत्ते पशुओं के लिए उत्तम चारा क्यों हैं?
पौष्टिक तत्व: अर्जुन के पत्तों में प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में होते हैं।
पाचन में आसानी: पशु इन पत्तों को आसानी से पचा सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: अर्जुन के पत्ते पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
दूध उत्पादन: अर्जुन के पत्ते दूध देने वाले पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
अर्जुन के पत्तों को पशुओं को कैसे खिलाएं?
ताजे पत्ते: आप ताजे पत्ते सीधे पशुओं को खिला सकते हैं।
सूखे पत्ते: आप पत्तों को सुखाकर भी स्टोर कर सकते हैं और सर्दियों में पशुओं को खिला सकते हैं।
चारे के मिश्रण में: आप अर्जुन के पत्तों को अन्य चारे के साथ मिलाकर पशुओं को खिला सकते हैं।
अर्जुन की खेती के फायदे
आर्थिक लाभ: अर्जुन की लकड़ी, छाल और पत्ते बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं।
पर्यावरणीय लाभ: अर्जुन का पेड़ मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और पर्यावरण को शुद्ध करता है।
पशुओं के लिए लाभ: अर्जुन के पत्ते पशुओं के लिए एक स्वस्थ और पौष्टिक चारा है।
अर्जुन की छाल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। इसलिए, यदि आप छाल का उपयोग करना चाहते हैं तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
अर्जुन की खेती एक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है। यदि आप किसान हैं या पशुओं का पालन करते हैं, तो आप अर्जुन की खेती करके अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं और अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं।