- गरीब परिवार की मदद को भाकियू नेता परतापुर थाने में धरने पर बैठे, हंगामा-प्रदर्शन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महिला को सड़क पर प्रसव, फिर मासूम बच्चे की खरीद-फरोख्त से बवाल मच गया। गरीब महिला को कुछ लोगों ने जबरन जन्मे बच्चे को लेने का प्रयास किया, तभी महिला ने परतापुर थाने पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन पुलिस ने महिला की नहीं सुनी। इसके बाद ही भाकियू नेता विजयपाल घोपला पीड़िता के पक्ष में कूद गए तथा परतापुर थाने में धरना देकर बैठ गए। धरने पर बैठे किसानों की मांग थी कि जबरन महिला से बच्चा लेने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करें। कई घंटे तक परतापुर थाने में बवाल चलता रहा।
इस पूरे प्रकरण को लेकर पुलिस बैकफुट पर दिखाई दी। पति से झगड़ कर घर से निकली गरीब महिला का सड़क किनारे तीन दिन पहले प्रसव हो गया था। आसपास के लोगों ने क्षेत्र के डाक्टर की मदद से दयानंद नर्सिंग होम में महिला को भर्ती कराया था। आरोप है कि जब बच्चे के मजदूर पिता ने क्षेत्र के डाक्टर से बच्चा दिलाने की मांग की तो 60 हजार रुपये की मांग की। मजदूर ने न्याय के लिये भारतीय किसान यूनियन के नेता से संपर्क किया। इस पर किसानों ने परतापुर थाने में धरना देकर डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बाद में पुलिस ने बच्चा महिला को दिलाया, जिसके बाद धरना समाप्त किया।
मंगलवार दोपहर पत्नी व एक बच्चे को ठेले में लेटाकर परतापुर थाने पहुंचे। परतापुर काशीराम योजना के फ्लैट में रहने वाले आकाश ने बताया कि तीन दिन पहले घर जाते समय उनकी गर्भवती पत्नी गीता को रास्ते में ही प्रसव पीड़ा हुई, वहीं पर बच्चे को जन्म दे दिया, जिसकी जानकारी मिलने के बाद मौके पर प्राकृतिक थेरेपी सेंटर चलाने वाली महिला पूनम और अछरोड़ा रोड पर एक अस्पताल चलाने वाला डॉक्टर विशाल पहुंच गए।
जिसके बाद दोनों ने मिलकर महिला को उसके घर पहुंचा दिया और बच्चे को एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया और परिजनों को बच्चे की कोई जानकारी नहीं दी। जब 3 दिन तक डा. विशाल के चक्कर काट कर बच्चे का पिता थक गया, तब विशाल ने बताया कि तुम्हारा बच्चा एक अस्पताल में भर्ती है या तो 60हजार रुपये दो या एफिडेविट लिख दो कि यह बच्चा मेरा नहीं है।
जिसके बाद बच्चे के पिता ने भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं से मदद मांगी, जिसके बाद मंगलवार दोपहर भारतीय किसान यूनियन के कार्यकारिणी सदस्य विजयपाल घोपला अपने साथियों के साथ परतापुर थाने पहुंचे और नवजात शिशु की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए। मामले को बढ़ता देख इंस्पेक्टर शैलेंद्र प्रताप ने कथित डाक्टर व उसके साथियों को बुलाया और जल्द से जल्द बच्चे को वापस करने को कहा तो किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया कि डॉक्टर ने बच्चे को लेने के लिए पिता पर क्यों दबाव बनाया।
वहीं भारतीय किसान यूनियन ने इंस्पेक्टर परतापुर शैलेंद्र प्रताप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी विजयपाल घोपला ने कहा जब तक इंस्पेक्टर परतापुर शैलेंद्र प्रताप पर नहीं होगी कार्रवाई करेंगे आमरण अनशन पर थाने पर ही रहेगा। देर शाम आकाश को उसका बच्चा मिलने के बाद धरना खत्म हो गया। एएसपी विवेक यादव ने बताया कि बच्चे के ऐवज में कोई पैसे नहीं मांग रहा था। जिन लोगों ने बच्चे को भर्ती कराया था उनसे ही अस्पताल का बिल जमा कराने के लिये दबाव बनाया जा रहा था। बाद में तेरह हजार रुपये जमा करने के बाद मामला निपट गया।