Saturday, July 27, 2024
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जनसंख्या नीति बनाने की मांग हुई तेज, जानिए- क्या बोले मोहन भागवत?

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: आरएसएस के दशहरा उत्सव कार्यक्रम में पहली बार कोई महिला मुख्य अतिथि शामिल हुईं।इस बार पद्मश्री संतोष यादव इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं। वह दो बार माउंट ऐवरेस्ट फतह करने वालीं अकेली महिला हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा, पूरे विश्व के मानव समाज को मैं अनुरोध करना चाहती हूँ कि वो आये और संघ के कार्यकलापों को देखे। यह शोभनीय है, एवं प्रेरित करने वाला है।

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इस मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है। हम महिलाओं को जगतजननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा, हमें मातृशक्ति के जागरण का काम अपने परिवार से ही प्रारंभ करना होगा।

संघ में महिलाओं की उपस्थिति की परंपरा पुरानी

संघ में महिलाओं के योगदान पर उन्होंने कहा, संघ के कार्यक्रमों में अतिथि के नाते समाज की महिलाओं की उपस्थिति की परंपरा पुरानी है। व्यक्ति निर्माण की शाखा पद्धति पुरुष व महिला के लिए संघ तथा समिति पृथक् चलती है। बाकी सभी कार्यों में महिला पुरुष साथ में मिलकर ही कार्य संपन्न करते हैं। संघ प्रमुख ने कहा, 2017 में विभिन्न संगठनों में काम करने वाली महिला कार्यकर्ताओं ने भारत की महिलाओं का सर्वांगीण सर्वेक्षण किया, सर्वेक्षण के निष्कर्षों से भी मातृशक्ति के प्रबोधन, सशक्तिकरण तथा उनकी समान सहभागिता की आवश्यकता होती है।

दुश्मनी बढ़ाने वालों के बहकावे में न आएं

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है। ऐसे लोग अपने स्वार्थों के लिए हमारे हमदर्द बनकर आते हैं, उनके चंगुल में फंसना नहीं है। उन्होंने कहा, ऐसे लोगों के बहकावे में न फंसते हुए, उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो उनके प्रति निर्मोही होकर निर्भयतापूर्वक उनका निषेध व प्रतिकार करना चाहिए।

जनसंख्या संतुलन जरूरी

मोहन भागवत ने कहा, देश में जनसंख्या का सही संतुलन जरूरी है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि अपने देश का पर्यावरण कितने लोगों को खिला सकता है, कितने लोगों को झेल सकता है। यह केवल देश का प्रश्न नहीं है। जन्म देने वाली माता का भी प्रश्न है। उन्होंने कहा, जनसंख्या की एक समग्र नीति बने, वह सब पर लागू हो। उस नीति से किसी को छूट न मिले। उन्होंने कहा, जब-जब किसी देश में जनसांख्यिकी असंतुलन होता है तब-तब उस देश की भौगोलिक सीमाओं में भी परिवर्तन आता है। एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नये देश बन गये। उन्होंने कहा, जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीति बने

भागवत ने कहा, नयी शिक्षा नीति के कारण छात्र एक अच्छा मनुष्य बने, उसमें देशभक्ति की भावना जगे, वह सुसंस्कृत नागरिक बने यह सभी चाहते हैं। उन्होंने कहा, इसके लिए मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीति बननी चाहिए यह अत्यंत उचित विचार है और नयी शिक्षा नीति के तहत उस ओर शासन व प्रशासन पर्याप्त ध्यान भी दे रहा है।

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