इस बार की बारिश में शहरों में, कस्बों में, गांवों में, टोलों-मोहल्लों में विकास जैसे बह-बहकर पहुंच रहा है, ऐसा लगता है कि देश का कोई भी कोना विकास से अछूता नहीं रहेगा। देश की राजधानी में पहली बारिश में ही विकास सड़कों पर नदी बनकर बह निकला। बगल में गुडगांव में विकास सड़कों पर ऐसा बहा ऐसा बहा कि टीवी न्यूज वाले तैर-तैर कर समाचार देने लगे। इसके कुतूहल में राजमार्ग के नीचे से एक जगह से धरती फट गई और बीयर से लदा एक ट्रक उसमें समा गया। सरकार को लगता है कि जरूर नशेड़ी ट्रक की हरकतें देखकर ही, धरती हंसी होगी और फिर हंसते-हंसते फट गई होगी। अमृतकाल ठहरा, गडकरी जी के राजमार्ग ने फौरन उसकी इच्छा पूरी कर दी।
विकास सिर्फ राष्टीय राजधानी क्षेत्र में ही बह-बहकर नुक्कड़-कोनों तक नहीं पहुंच रहा है। विकास अगर देश की राजधानी में सड़कों पर हिलोरें ले रहा है, जहां ट्रिपल इंजन सरकार का पहला ही साल है, तो बाबाजी की कृपा से उत्तम प्रदेश के भी शहरों में चारों दिशाओं में पसरा हुआ है और विकास गुजरात के उस सूरत में भी ऊंची-ऊंची हिलोरें ले रहा है, जहां मोदी जी की कृपा से ऐसा लगता है कि अनंतकाल से ही भगवा शासन है। रही बात बिहार वगैरह की, तो वहां की तो बात ही क्या करना, हमेशा की तरह विकास इतना ज्यादा है कि उसे बाढ़मय राज्य कहलाने का सम्मान मिला है।
इससे कोई यह नहीं समझे कि विकास केवल द्रव अवस्था में ही पाया जाता है। ऊपर से बरसने वाला भी द्रव। रास्तों पर हिलोरें लेने वाला भी द्रव। बेशक पहले, नेहरू जी टाइप के टैम में विकास ज्यादातर ठोस अवस्था में ही देखने को मिलता था—बांध, कारखाने, बिजलीघर, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल वगैरह, वगैरह। सच पूछिए तो तब तक विकास के ठोसपने का ऐसा बोलबाला था कि सड़कों पर बहने वाले को विकास माना ही नहीं जाता था। वह तो मोदी जी ने इसका बोध कराया है कि असली विकास तो वह है, जो सड़कों पर हिलारें लेता है।
विकास अब भी ठोस रूप में भी पाया जाता है। बड़ोदरा में जो पुल गिरा, जिसमें बीस लोगों की जान चली गई, क्या था? विकास का ठोस रूप ही तो था। और मुंंबई का वह फ्लाईओवर, जिसका सुबह उद्घाटन हुआ और शाम को खतरनाक घोषित कर बंद कर दिया गया। या मध्य प्रदेश का वह शानदार राजमार्ग, जो उद्घाटन का दिन भी नहीं देख पाया, उससे पहले ही भहरा कर गिर पड़ा। पता नहीं क्यों लोग इन्हें विकास का ठोस रूप मानते हुए भी, भ्रष्टाचार के ही विकास का ठोस उदाहरण साबित करने पर तुले हैं। याद रहे कि विकास वह है जो मोदी जी के राज में सामान्य वातावरण में ही द्रव, ठोस और गैस, तीनों अवस्था में पायी जाती है। आप पूछेंगे गैस? मोदी जी के राज में विकास का सबसे मुख्य रूप तो गैस का ही है। राष्टीय सुरक्षा सलाहकार उर्फ देशी जेम्स बांड को सुना कि नहीं। आपरेशन सिंदूर में हमारे यहां खिड़की का एक शीशा तक नहीं टूटा! गैसीयता का इससे ज्यादा विकास क्या होगा?