गरमी के दिनों में, खान-पान में जरा भी गड़बड़ी होने पर पाचन-क्रिया बिगड़ जाती है। खान-पान के अलावा पानी भी अपना प्रभाव दिखा देता है। प्रदूषित जल, जो पीने योग्य नहीं है, पर चौथाई आबादी उसे पीने के लिए बाध्य हैं। रेलवे स्टेशनों पर पानी नदारद होना कोई नई बात नहीं है। छोटे-छोटे होटलों में व्यवस्था इतनी खराब है कि कुछ कहना भी बेकार होगा।
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सार्वजनिक स्थलों पर खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ उपलब्ध तो हैं पर उनका स्तर बहुत ही घटिया रहता है। पानी की टंकी की महीनों तो ही साफ-सफाई होती है और न ही उसमें दवा डाली जाती है। नतीजा यह होता है कि हजारों लोग यहां से खा-पीकर रोग घर ले जाते हैं।
अधिक समय तक बाहर रहने पर खान पान में अनियमितता होने, तले हुए व तेज मिर्च मसालेदार पदार्थों के सेवन से, कटे हुए और देर तक खुले हुए फल खाने से, दूषित पानी पीने से और बासे पदार्थ खाने से पाचन-क्रि या में विकार पैदा हो जाते हैं जिससे हम अपचन की चपेट में आ जाते हैं। मल पकता नहीं तो बंध नहीं पाता और पतले रूप में विसर्जित होने लगता है। ऐसे पतले मल विसर्जन को ही दस्त लगना अथवा अतिसार कहा जाता हैं।
ऐसा नहीं है कि बाजारू खान-पान से ही हम इसकी चपेट में आते हैं। घरेलू खान-पान में भी स्वच्छता का अभाव एक प्रमुख वजह है। आज की आधुनिक गृहिणी पूरे परिवार को रोगी बनाने की कसूरवार है। फ्रिज का दुरूपयोग सभी घरों में खुलेआम जारी है। आलस्य की परिधि पार कर चुकी हैं गृहणियां। आटा गूंथने में तकलीफ होती है।
तभी तो दो दिन का एक ही साथ गूंथना पसंद करती हैं और फिर उसे फ्रिज में रख देती हैं। दाल, सब्जियां, चावल और अन्य सामग्री भी फ्रिज की शोभा बढ़ा रही हैं। बासी खाने के आदी हो रहे हैं-हम सभी।
कई घरों में रेडिमेड नाश्ते का चलन है। किसे है इतनी फुर्सत कि रोज सुबह उठकर बच्चों को ताजा, गरम डिब्बा बना कर दे। बस, रेडिमेड हाजिर है। बच्चे वही ले जाते हैं स्कूल और खाते भी हैं बड़े शौक से। आदी जो हो गए हैं। पिकनिक मनाने का दिल सभी का करता है किंतु वहां के लिए खान-पान का सुचारू प्रबंध करना खटकता है। पैसा ज्यादा जो है। कहने का मतलब यही है कि हम अपनी ही लापरवाहियों के शिकार हो रहे हैं।
अतिसार शरीर को हिला देता है। कमजोरी महसूस होने लगती है। पतले दस्तों को बंद करने वाली औषधि तुरंत नहीं लेनी चाहिए। जरूरत है पहले उस कचरे को पेट से बाहर निकालने की जिसकी वजह से पाचन-क्रि या गड़बड़ायी है। पाचन क्रि या सुधारने का उपाय करना चाहिए जिससे मल बंध कर आने लगे, पतले दस्त के रूप में नहीं।
सौंफ, सफेद जीरा, पीतल, सोंठ, मोथा, सेन्धा नमक और हींग को पीस कर महीन चूर्ण बना लें और सुबह दोपहर शाम 1-1 चम्मच पूर्ण कुनकुने पानी के संग सेवन करें। पके हुए केले का सेवन करें।
शक्कर-नमक मिला पानी पियें और पुदीने की पत्तियों को पीस कर रस बनायें व उसका सेवन करें। पतली खिचड़ी व दही खायें।
अच्छा होगा यदि सुपाच्य और ताजा आहार लें। देर रात को भोजन न करें। बेसन और बासे पदार्थों के सेवन से ज्यादा बचें।
प्रदूषित पानी की समस्या को सुलझाने का प्रयास करें। फिल्टर प्रयोग करें और पानी को उबाल कर मटके में भर दें।
अपने पानी के बर्तन स्वच्छ व ढके हुए रखें। पानी की टंकी की साफ सफाई कराएं। उसमें दवाई समय-समय पर डालें। शौचालय भी साफ सुथरा रखें। घर जितना साफ सुथरा होगा, आचार विचार अच्छे होगा तो आहार भी श्रेष्ठ होंगे और काया निरोगी रहेगी।
राजेन्द्र मिश्र ‘राज’