- ग्रीन बेल्ट में चलाया जा रहा ध्वस्तीकरण अभियान अभी सप्ताह भर और चलेगा
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ग्रीन बेल्ट में बने अवैध निर्माणों पर एमडीए के इंजीनियर जो ध्वस्तीकरण अभियान चला रहे है, वह अच्छा अभियान हैं। ग्रीन बेल्ट पूरी तरह से क्लीयर होनी चाहिए, लेकिन इसमें भी छोटों पर आफत आ गई हैं और बड़ों की हिफाजत की जा रही हैं। इंजीनियरों की इस नीति पर सवाल उठ रहे हैं। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान पूरी तरह से निष्पक्ष कार्य होना चाहिए।
इसमें भी रसूखदारों पर खास मेहरबानी की जा रही हैं, आखिर क्यों? एनजीटी के स्पष्ट आदेश है कि ग्रीन बेल्ट में बने निर्माणों को सख्ती के साथ गिराया जाए, लेकिन फिर भी रसूखदारों को देखकर छोड़ दिया जा रहा हैं। ठीक बागपत बाइपास पर ग्रीन होटल समेत कई बड़े निर्माण ग्रीन बेल्ट में एक वर्ष के दौरान बनकर खड़े हो गए। कई रेस्टोरेंट भी बन गए। ग्रीन बेल्ट में होटल बन गए, लेकिन एमडीए इंजीनियरों को ये दिखाई नहीं दिये।
कागजों में कई बार यहां बनी दो दर्जन से ज्यादा दुकानों पर सील की कार्रवाई भी की गई, लेकिन फिर दुकानों से सील भी हट गई और दुकानों में कारोबार चल रहा हैं। यह सब कैसे हो गया? कोई एमडीए इंजीनियर बताने को तैयार नहीं है। इस बीच कई इंजीनियर बदले गए। कार्रवाई एक भी इंजीनियर पर नहीं की गई। इस तरह से अवैध निर्माण यदि छोटों ने किया है तो उन पर आफत आ गई हैं।
निर्माण यदि बड़ों ने किया है तो उनकी हिफाजत भी एमडीए इंजीनियर ही कर रहे रहे हैं। बागपत बाइपास स्थित सर्विस रोड पर एक विवाह मंडप ग्रीन बेल्ट में बना हुआ है। दुकानों का निर्माण कर दिया गया हैं, मगर इस पर ध्वस्तीकरण क्यों नहीं किया जा रहा हैं? यह भी बड़ा सवाल है।
एक तरफ अवैध निर्माण गिर रहे थे, दूसरी तरफ लिंटर डाले जा रहे थे
एक तरफ तो बुधवार को ग्रीन बेल्ट में बने निर्माणों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था, वहीं दूसरी और बागपत बाइपास से वेदव्यासपुरी जाने वाली सर्विस रोड पर ग्रीन बेल्ट में ही होटल का निर्माण चल रहा था। लिंटर भी डाल दिया गया।
आखिर एमडीए इंजीनियरों को निर्माण पूरा होने के बाद ही क्यों दिखाई देता हैं। इससे पहले कार्रवाई क्यों नहीं की जाती हैं। अब एनजीटी ने चाबुक चला दी है तो ग्रीन बेल्ट की इंजीनियरों को याद आ गई हैं।
इसमें भी अभियान चलाकर छोटे निर्माणों को गिराया जा रहा था, लेकिन जो बड़े निर्माण वर्तमान में चल रहे हैं, उनको छुआ भी नहीं जा रहा हैं। इसकी हकीकत एमडीए वीसी मौके का दौरा करे तो इंजीनियरों के भ्रष्टाचार की कलई साफ खुल जाएगी। इसके बाद ही जिन निर्माणों पर वर्तमान में लिंटर डाले गए, उनको गिराया जाएगा।
अच्छी बात है कि ग्रीन बेल्ट को पूरी तरह से क्लीयर किया जा रहा हैं, लेकिन जो लिंटर वर्तमान में गिरे है, उनको क्यों नहीं गिराया जा रहा हैं। क्या उनको बड़ी मंजिल होने का इंतजार किया जा रहा हैं। लगता है यही सब चल रहा हैं। एमडीए के अधिकारियों को भी इंजीनियर गुमराह कर रहे हैं। वर्तमान में जिस तरह से एमडीए वीसी व सचिव ने ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माणों को लेकर सख्ती कर रखी हैं, उसके बाद भी इंजीनियर इसमें खेल करने से बाज नहीं आ रहे हैं।