जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) में फ्लैट आवंटन में बरती गई अनियमितता के मामले में डीएम के. बालाजी ने जांच बैठा दी है। सोमवार को पीड़ित महिला डीएम से मिली तथा उनसे इस पूरे मामले की जांच कराकर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
ये मामला है सरायकाजी योजना में निर्मित 574 फ्लैट आवंटन का। इसको लेकर आवंटन समिति पर एक आवेदनकर्ता महिला ने उंगली उठाते हुए डीएम को शिकायती पत्र देकर जांच की मांग की है।
इस मामले को डीएम ने गंभीरता से लेते हुए जांच बैठा दी है। पीड़ित महिला पूनम गिरी ने की शिकायत में बताया कि उसने आवेदन कर लॉटरी में हिस्सा लिया था।
पूनम ने फ्लैट लेने के लिए सामान्य वर्ग में आवंदेन किया था, इसकी फीस भी एमडीए में जमा की थी। हालांकि पूनम पिछड़ी जाति से है। जब समान्य वर्ग के लोगों की लिस्ट एमडीए में चस्पा की गई तो उसमें से पूनम का नाम गायब था। जब नाम नहीं आया तो पूनम गिरी ने फिर से एमडीए अफसरों से संपर्क किया।
तब उन्हें बताया गया कि आप पिछड़ी जाति से है, आपका आवेदन पिछड़ी जाति में डाल दिया गया था। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जब महिला अभ्यर्थी ने सामान्य वर्ग में आवेदन किया था तो फिर उसका नाम पिछड़े वर्ग में एमडीए के अधिकारियों ने क्यों डाल दिया?
सामान्य श्रेणी की फीस बीस हजार रुपये भी जमा की गई थी। आरोप है कि एमडीए के संबंधित अधिकारियों ने संवैधानिक नियमों की भी जानकारी नहीं है कि कोई भी आरक्षित जाति का सदस्य यदि आरक्षण का दावा नहीं करता है और अपेक्षित शुल्क जमा करता है तो उसे सामान्य श्रेणी का माना जाएगा। सामान्य श्रेणी में अभी 63 फ्लैट खाली पड़े है, जिसके आवेदन अनुपलब्ध है।