Saturday, May 3, 2025
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अवसाद से टूटे नहीं, कहें अपने दिल की बात

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना काल में घर में कैद होने की वजह से जहां अधिकांश लोगों में अवसाद की स्थिति पैदा हुई है, वहीं इस दौरान खुदकुशी के केस भी बढ़ गई है। इस संबंध में जब साइकोलॉजिस्ट से वार्ता की गई तो उन्होंने कुछ इस प्रकार इसका जवाब दिया।

मेरठ कॉलेज मनोवैज्ञानिक डा. अनिता मोरल का कहना है कि अक्सर लोगों के जीवन में कुछ ऐसा होता है कि वह खुद को हारा हुआ महसूस करते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके लिए अब कुछ नहीं बचा है। तनाव और चिंता एक लंबे समय तक रहे तो वह अवसाद में तब्दील हो जाता है।

यही अवसाद इंसान को ऐसी स्थिति में पहुंचा देता है कि वह खुदकुशी जैसा कदम उठा लेता है। वहीं कोरोना की बात करे तो इस दौरान अधिक केस बढ़ने का मुख्य कारण सुरक्षा भी रहा है। क्योंकि, कोरोना से सुरक्षा करने के लिए लोगों ने अपने को घर में कैद कर लिया था। जिसकी वजह से कुछ लोग तनाव ग्रस्त गए।

इस दौरान लोगों को एक जगह से दूसरे जगह पर जाने का भी मौका नहीं मिला। यदि कोई अधिक तनाव की स्थिति में है तो उसके ब्रेन की न्यूरो केमिस्ट्री चेंज हो जाती है। ऐसे में इंसान सोच सकता है कि मैं जान दे दूं।

पहचाने अवसाद की स्थिति

व्यक्ति किसी बात को लेकर तनाव में है तो वह स्थिति बाद में अवसाद में बदल जाती है। इसका कारण विवाह में असफलता, पढ़ाई में मन न लगना, कार्य में बाधा आना। ऐसे में व्यक्ति को कुछ दिनों के लिए शांत वातावरण में चले जाना चाहिए।

खुदकुशी पर एक नजर

  • 11 अक्टूबर सिविल लाइन थाना क्षेत्र में सेवानिवृत एससीपी की बेटी ने की खुदखुशी
  • सस्पेंड होने के कारण दारोगा ने जहर खाकर दी जान
  • शादी के दो माह बाद रजबन में युवती ने किया खुदकुशी
  • मां से कहासुनी होने पर मोदीपुरम स्थित पुष्प बिहार कॉलोनी में बीटेक के छात्र ने लगाई फांसी
  • बहन से मोबाइल को लेकर हुई बहस पर 13 साल के किशोर ने फांसी लगा की जान देने की कोशिश।
  • कर्जा होने पर 27 जून को आनंद हॉस्पिटल के मालिक ने जहर खाकर की खुदखुशी

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मेरठ कॉलेज बीएड विभागाध्यक्ष डा. मंजू गुप्ता का कहना है कि कोरोना काल में खुदकुशी के अधिक केस बढ़ना लोगों के कार्य में कठिनाई आना और बिजनेस में घाटा होना अधिक हुआ है। कोई भी व्यक्ति एकदम से आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाता है। मगर कुछ लोगों के लिए यह बेहद सोची समझी योजना होती है।

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डा. कविता जैन सबके मानसिक स्वास्थ्य का स्तर अलग होता है। कई लोग होते हैं जो परीक्षा के पहले, परिणाम के पहले, शादी से पहले घबराए रहते हैं या फिर तनावग्रस्त हो जाते हैं। वहीं कुछ लोग बड़ी समस्या तक से नहीं घबराते हैं। मायने ये भी रखता है कि आपने जीवन में कितना संघर्ष देखा है।

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