- वेतन निर्धारण के मामले में दोनों पक्ष आमने-सामने
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अक्सर सुर्खियों में रहने वाले लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में वेतन निर्धारण को लेकर रार की नई शुरुआत हो गई है। इस मामले में कर्मचारी नेता व अभियंता आमने सामने हैं। दोनों पक्ष एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। शुक्रवार को जिस प्रकार दोनों पक्षों में आरोप प्रत्यारोप का दौर चला उससे मामला गंभीर हो सकता है। हालांकि शनिवार को दोनों पक्षों ने सफाई देते हुए कहा कि फिलहाल मामला शांत हो गया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ, लोनिवि एवं उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के बीच वेतन निर्धारण मुद्दे पर मामला गर्माया हुआ है। शुक्रवार को दोनों आन्दोलन की राह पर थे। अभियंताओं ने तो आन्दोलन की शुरूआत कर दी थी, लेकिन कर्मचारियों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था।
एसोसिएशन के जनपद अध्यक्ष वीरपाल सिंह से जब इस मामले में बातचीत की गई तो वो एकदम से भड़क गए। हालांकि बाद में उन्होंने खुद को संभालते हुए कहा कि नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों का आचरण दुरुस्त नहीं था, इसलिए आचरण नियमावली के तहत उक्त कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए।
उधर, संघ के जिलाध्यक्ष एहसान अली ने सफाई देते हुए कहा कि हमारी मांग जायज है और हमारे ऊपर अभद्र व्यवहार के जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो सरासर गलत हैं। उन्होंने कहा कि संघ में सभ्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी हैं लिहाजा वो आचरण नियमावली के विरुद्ध नहीं जा सकते। संघ का आरोप था कि त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण किया गया है। संघ के पदाधिकारियों के अनुसार तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी का वेतनमान दिया जा रहा है।
इस पूरे मामले में संघ के पदाधिकारियों ने यह भी मांग की थी कि जब तक इस मामले में मुख्यालय से मार्गदर्शन प्राप्त न हो जाए तब तक वर्क एजेंट पदधारकोें का वेतन आहरित न किया जाए। उधर, इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग मिनिस्ट्रिलय एसोसिएशन ने अधीक्षण अभियन्ता (मेरठ वृत्त) को 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपते हुए नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के नेताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए उन पर आचरण नियमावली के तहत कार्रवाई की मांग की है।
एसोसिएशन ने मांग की है कि समस्त फील्ड स्टाफ की उपस्थिति खण्डीय कार्यालयों में नियमित रूप से प्राप्त कराने के उपरांत ही उनका वेतन आहरित किया जाए। कुल मिलाकर लोक निर्माण विभाग कार्यालय में कर्मचारियों एवं अभियंताओं के बीच शुरू हुई नई रार कभी भी तकरार में बदल सकती है।