- सूरज की तेज रोशनी पड़ने से लगातार दोपहिया वाहन चालकों को हो रही आंखों की समस्या
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चिलचिलाती धूप का असर न केवल हमारी त्वचा और बालों को सता रहा है, बल्कि इसका असर आंखों पर भी दिखाई दे रहा है। सूरज की तेज रोशनी पड़ने से लगातार दोपहिया वाहन चालकों को आंखों की समस्या उत्पन्न हो रही है। जिसमें जलन, चुभन, लाली, आंखों से पानी आना सामान्य है। हालांकि धूप से बचने के लिए लोग सनग्लासेस का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर इस समय सावधान रहने की बहुत जरूरत है। पिछले वर्ष आई फ्लू ने पूरे प्रदेश ने जमकर कहर बरसाया था। सस्ते चश्मों की क्वालिटी आंखों के लिये उपयुक्त नहीं होती तथा वो आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। डा. कीर्ति जैन बताती है कि इन दिनों बचने के लिए हंड्रेड परसेंट यूवी रेज वाले सनग्लासेस का उपयोग करें अर्थात जो यूवी किरणों से आंखों को शतप्रतिशत सुरक्षित रख सकें, ऐसे चश्मे का उपयोग करें।
रोडसाइड सनग्लासेस लेने से बचें क्योंकि वह टेस्टिफाइड नहीं होते जिस कारण सूरज की आंखों पर पड़ने वाली किरणें पुतलियों को नुकसान पहुंचाती हैं। मेरठ आॅप्टिकल्स के मालिक संजय लोधी बताते हैं कि गर्मियों को ध्यान में रखते हुए दो प्रकार के सनग्लासेस आते हैं। एक यूवी रेज सनग्लासेस जो सूरज से निकलने वाली किरणों से बचाव करते हैं और दूसरे यूवी प्लस पोलराइज्ड लेंस जो किसी भी प्रकार की रिफ्लेक्शन को आंखों पर सीधे पड़ने से बचाव करता है। पोलराइज्ड लेंस सड़क या पानी की सतह से परावर्तित होने के बाद एक निश्चित कोण पर आंखों पर पहुंचने वाली रोशनी को रोकते हैं।
गर्मी में तबीयत खराब होने का खतरा बढ़ा
मोदीपुरम: गर्मी अपना प्रचंड रूप इन दिनों लोगों को दिखा रही है और लगातार इसमें बढ़ोतरी होती जा रही है। तापमान के बढ़ने के कारण लोगों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। लगातार गर्मी के दिनों में लोगों की तबीयत खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। एक नए अध्ययन में पाया गया है की सबसे गर्म दिनों में शुगर और ब्लड प्रेशर जैसे मेटाबॉलिक विकारों और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम लगभग दो गुना हो जाता है।
प्यारेलाल हास्पीटल के मेडिकल आॅफिसर डा. दिव्यांशु सेंगर ने बताया कि शोधों का निष्कर्ष एनवायरमेंटल हेल्थ प्रोस्पेक्टस जनरल में प्रकाशित हाल ही में प्रकाशित हुआ है। शोधकतार्ओं ने स्पेन में एक दशक से अधिक समय से गर्मियों के दौरान उच्च तापमान के चलते अस्पताल में भर्ती होने वालों का विश्लेषण किया है। डा. दिव्यांशु सेंगर ने बताया देश में लगातार बढ़ता तापमान सेहत के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। 42 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंचते ही दिल और दिमाग के अलावा हाथ किडनी फेफड़े लीवर और पेनक्रियाज की कोशिकाएं नष्ट होने लगती है।
गर्मी में ये लक्षण दिखाई दें तो रहे सतर्क
भटकाव या भ्रम चिड़चिड़ापन द्वारा या कॉम लाल या शुष्क त्वचा बहुत तेज सिर दर्द चक्कर या बेहोशी मांसपेशियों में ऐंठन उल्टी की शिकायत और दिल की तेज धड़कन जैसे संकेत दिखाई दे सकते है। ऐसे में तत्काल इलाज की जरूरत पड़ सकती है।
नसों में जमते हैं खून के थक्के
40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान पर बीमार व्यक्ति की नसों में खून के थक्के जमना शुरू होता है। छोटी नसों में खून के छोटे-छोटे थक्के बनने की यह प्रक्रिया सबसे पहले दिमाग और फिर हाथों के अलावा किडनी लीवर और फेफड़ों को प्रभावित करने लगती है।