नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिंनदन है। इंडोनेशिया, नेपाल के बाद अब ताजिकिस्तान में धरती कांपी। 3.9 तीव्रता के भूकंप ने फिर डर का माहौल बना दिया है। लगातार एक्टिव हो रही हैं एशिया की भूकंप पट्टियां। क्या यह किसी बड़े खतरे का संकेत है? भारत के लिए भी अलर्ट की घंटी बज गई है! ताजिकिस्तान में आए 3.9 तीव्रता के भूकंप ने एशियाई देशों में दहशत बढ़ा दी है। इंडोनेशिया और नेपाल में हालिया भूकंप के बाद अब इस घटना ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। क्या भारत जैसे पड़ोसी देश भी भूकंप की चपेट में आ सकते हैं? वैज्ञानिक लगातार इस ज़ोन को लेकर अलर्ट कर रहे हैं।
एशिया में फिर कांपी धरती, खतरे की घंटी?
ताजिकिस्तान में आए 3.9 तीव्रता के भूकंप ने भले ही जानमाल का नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन यह भूगर्भीय हलचल एक बड़ा संकेत हो सकती है। इससे पहले इंडोनेशिया और नेपाल में भी भूकंप महसूस किए गए हैं। लगातार भूकंपीय गतिविधियों से वैज्ञानिकों में चिंता गहराई है कि क्या एशिया का यह हिस्सा किसी बड़े भूकंप की तैयारी में है?
वैज्ञानिकों की चेतावनी: सक्रिय हो रहे हैं भूकंपीय ज़ोन
भूकंप विशेषज्ञों का मानना है कि एशियाई टेक्टोनिक प्लेटें अत्यधिक दबाव में हैं। नेपाल और ताजिकिस्तान जैसे देश हिमालयन फॉल्ट लाइन से जुड़ते हैं, जो भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है। भारत के उत्तर और उत्तर-पूर्वी राज्य जैसे उत्तराखंड, असम और सिक्किम भी हाई रिस्क ज़ोन में आते हैं।
क्या भारत को सतर्क हो जाना चाहिए?
भले ही भूकंप की तीव्रता अभी कम हो, लेकिन लगातार एक्टिव ज़ोन में हलचल एक बड़े खतरे का इशारा कर सकती है। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं पूर्व सूचना के बिना आती हैं, इसलिए भारत को पहले से ही अलर्ट मोड में आना होगा। घरों की संरचना से लेकर आपात योजनाओं तक, सब कुछ रिव्यू करने का समय है।
सरकार और आम जनता को क्या करना चाहिए?
भारत सरकार को सीमावर्ती और संवेदनशील राज्यों में भूकंप पूर्व तैयारी को और मजबूत बनाना चाहिए। वहीं आम जनता को भी सतर्क रहना होगा, जैसे – घरों में एमरजेंसी किट तैयार रखें, मजबूत संरचना वाले भवनों में रहें और भूकंप के समय की सावधानियों को सीखें।