Thursday, April 10, 2025
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बसपा के पूर्व MLC हाजी मोहम्मद इकबाल पर ED की बड़ी कार्रवाई

ईडी ने हाजी मोहम्मद इकबाल की 1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां अटैच की


जनवाणी ब्यूरो |

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के दौरान यूपी सहकारी चीनी मिल बिक्री घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने पूर्व बसपा MLC हाजी मोहम्मद इकबाल की 1000 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों को अटैच कर दिया है।

जानकारी के अनुसार सहारनपुर के पूर्व MLC हाजी मोहम्मद इकबाल की 7 संपत्तियों को अटैच किया गया है। बता दें 2010 से लेकर 2011 के दौरान मायावती सरकार में इन चीनी मिलों को बेचा गया था।

आरोप है कि करीब 11 चीनी मिलों को औने-पौने दाम पर बेच दिया गया। पूरे प्रदेश में कुल 21 से ज्यादा चीनी मिल को बेहद कम दाम पर बेचने का आरोप है। इनमें से कई चीनी मिलों की बिक्री पर अब भी जांच चल रही है। आरोप है कि इस फर्जीवाड़े से राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को करीब 1,179 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

Hazi iqbal

बता दें काफी समय से प्रवर्तन निदेशालय पूर्व MLC हाजी इकबाल की संपत्ति अटैच करने की तैयारी कर रहा था। हाजी इकबाल पर चीनी मिलों की खरीद बिक्री के अलावा भी कई तरह के आरोप है, जिनमें अवैध खनन से नामी, बेनामी संपत्ति खरीदने का भी आरोप है।

सूत्रों ने बताया कि इस पूर्व MLC की एमएलसी की 2500 करोड़ की संपत्तियां ईडी के निशाने पर हैं। इन संपत्तियों में कई तो बेनामी भी हैं।

कई एजेंसियां जुटी हैं जांच में

हाजी इकबाल के मामलों की जांच में आईबी, सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स, सीवीसी, सेबी, डीआरआई, सीबीडीटी, एनजीटी जैसी एजेंसियां शामिल हैं। बता दें कि अवैध खनन के मामले में भी पूर्व MLC मोहम्मद इकबाल आरोपी है। लकड़ी की टाल और फलों का कारोबार करने वाला मोहम्मद इकबाल बीते 15 सालों में सैकड़ों करोड़ का मालिक बन चुका है।

धोखाधड़ी का नया मामला भी हुआ दर्ज

हाल ही में इसके खिलाफ धोखाधड़ी करने के आरोप में जनकपुरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। बेहट तहसील के मीरपुर गंदेवड़ के प्रधान विश्वास कुमार ने थाना जनकपुरी में तहरीर देकर बताया कि उसने वैभव मुकुंद के साथ पार्टनरशिप में दो फर्म यमुना एग्रो सॉल्यूशन और यमुना एग्रो टेक फार्म साउथ सिटी दिल्ली रोड बनाई थी।

प्रधान का आरोप है कि उनके फर्जी हस्ताक्षर और डाक्यूमेंट लगाकर पंजाब नेशनल बैंक में फर्जी खाता खोला गया। जिससे पूर्व MLC की तीन कंपनियों में लाखों रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

बीएसपी सरकार में 11 शुगर मिलों को औने-पौने दामों में बेच दिया गया था। इसको लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पत्रकार सच्चिदानन्द सच्चे की याचिका पर घोटाले में सीबीआई जांच के आदेश भी दिए थे। यह बताने की जरूरत नहीं कि हाजी मोहम्मद इकबाल का बसपा के शासन में सिक्का चलता था। अवैध खनन को लेकर हाजी इकबाल के तार पूरे सूबे में फैले हुए थे। लेकिन मजाल कि किसी ने उसका बाल बांका किया हो। यही नहीं, बीएसपी काल में हाजी मोहम्मद इकबाल सहारनपुर से एमएलसी रहे।

कई शुगर मिलें इनके द्वारा खरीदी गई थीं। इसके अलावा अवैध खनन को लेकर भी हाजी इकबाल पर सीबीआई का शिकंजा चल ही रहा है। कई अन्य मामले जिसमें कूट रचना कर बैंक में फर्जी तरीके से लेन-देन का मामला भी सुर्खियों में रहा है। कई बार सीबीआई की टीम सहारनपुर भी आ चुकी थी। फिलहाल, एमएलसी मोहम्मद इकबाल द्वारा बसपा शासन में खरीदी गईं सात शुगर मिलों का मामला ज्यादा सुर्खियों में रहा।

अब जाकर ईडी ने इसे अपने कब्जे में लिया है। इनमें से कुछ शुगर मिल हाजी के परिवार के नाम से भी रजिस्टर्ड थीं। जानकारों का कहना है कि इसकी कुल कीमत 1097,18,10,250 करोड़ रुपए है। ईडी द्वारा इनकी अन्य जगहों पर स्थित संपत्तियों की भी जांच की जा रही है।

साल 2020 में सीबीआई की छापेमारी के दौरान पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल के घर पर बेशकीमती जेवरात और करोड़ों की संपत्ति के कागज मिले थे। बता दें कि मायावती सरकार में वर्ष 2010-11 में सात बंद चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले में सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी।

14 अन्य चीनी मिलों की बिक्री को लेकर 6 अलग-अलग पीई (आरंभिक जांच) दर्ज की गई हैं। यूपी सरकार ने 12 अप्रैल 2018 को 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुई गड़बड़ियों के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले के कारण प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ था। फिलहाल, अब जाकर हाजी इकबाल पर गाज गिरी है।

घोटाले में CBI ने इन लोगों से की थी पूछताछ
सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, मोहम्मद जावेद, बेहट निवासी मोहम्मद नसीम अहमद और मोहम्मद वाजिद को नामजद किया है। इनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और कंपनी ऐक्ट 1956 की धारा 629 (ए) के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है।

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