Monday, May 13, 2024
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बेरोजगारी से त्रस्त शिक्षित युवा

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AMIT KOHALIभारत अपनी बढ़ती युवा आबादी के साथ, एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। मानव विकास संस्थान (आईएचडी) और अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 युवाओं में रोजगार के बहुआयामी परिदृश्य पर प्रकाश डालती है। भारत की युवा आबादी विश्व में सबसे अधिक है। भारत का यह जनसांख्यिकीय लाभ हमारे लिए अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करता है। भारत रोजगार रिपोर्ट-2024 से पता चलता है कि राष्ट्र में युवा बेरोजगारी की समस्या चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है, खासकर शिक्षित युवाओं के बीच उच्च बेरोजगारी चिंता का विषय है। भारत के युवाओं में कुल बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो संकट को और भी बढ़ा देती है। इसके अलावा, महिला श्रमबल की भागीदारी में चिंताजनक गिरावट दर्ज की गई है, जो इस जटिल मुद्दे में एक और परत जोड़ती है। वर्तमान में, भारत की कुल बेरोजगार श्रमशक्ति में युवाओं की हिस्सेदारी आश्चर्यजनक रूप से 83 प्रतिशत है। इसके अलावा, कुल बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं का हिस्सा दो वर्षों के दौरान दोगुना हो गया है, वर्ष 2000 में यह 35.2 प्रतिशत था जो बढ़कर वर्ष 2022 में 65.7 प्रतिशत हो गया है। ये आंकड़े स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हैं और शिक्षित युवाओं द्वारा लाभप्रद रोजगार के अवसर हासिल करने में आने वाली चुनौतियों को उजागर करते हैं। इन चिंताजनक आंकड़ों के अलावा, महिला श्रमबल की भागीदारी में एक उल्लेखनीय गिरावट हुई है, जो समस्या को और भी बढ़ाती है। राष्ट्र के कामगारों में महिलाओं की कमी सिर्फ उनके आर्थिक सशक्तिकरण को ही नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करती, बल्कि व्यापक सामाजिक चुनौतियों में भी इजाफा करती है।

भारत के श्रम परिदृश्य की एक प्रमुख विशेषता अनौपचारिक क्षेत्र का रोजगार है। 82 प्रतिशत श्रमशक्ति अनौपचारिक क्षेत्र के रोजगार में लगी हुई है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत अनौपचारिक रूप से कार्यरत है। कुरियर डिलवरी, घर-घर खाना पहुंचाना, टैक्सी और रैपिडो मोटरसाइकिल पर सवारियाँ ढोना जैसे नए किस्म के रोजगार बढ़ते हुए नजर आते हैं। इनका जुड़ाव बड़ी-बड़ी कम्पनियों से है, लेकिन इनमें काम करने वाले युवा उन बड़ी कम्पनियों के कर्मचारी ना होकर स्व-रोजगार और अनौपचारिक काम की श्रेणी में आते हैं। अनौपचारिक काम की यह व्यापकता अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य के लिए सुरक्षित विकल्प नहीं है।

भारत के युवाओं ने पिछले दो दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उच्च शिक्षा, जो गुणवत्तापूर्ण नौकरियों तक पहुँचने का एक प्रमुख कारक है, अनेक लोगों के लिए अब सुलभ है। हालांकि, केवल शिक्षा ही रोजगार की गारंटी नहीं है। कक्षाओं से निकलकर युवाओं का कार्यस्थलों तक पहुँच पाना एक बड़ी बाधा बनी हुई है। रिपोर्ट इस अन्तर को प्रभावी ढंग से पाटने की आवश्यकता पर जोर देती है।

शिक्षा प्रणाली को रटने के दायरे से बाहर निकलकर व्यावसायिक कौशलों पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट कहती है कि व्यावसायिक प्रशिक्षण, इंटर्नशिप और अपरेंटिसशिप को पाठ्यक्रम में समाहित किया जाना चाहिए। साथ ही, उचित समय पर करियर परामर्श और मार्गदर्शन छात्रों को उनके शैक्षिक भविष्य के बारे में समझ-बूझकर निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। रिपोर्ट कहती है कि शिक्षा को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ मेल करके, हम रोजगार क्षमता को बढ़ा सकते हैं और शिक्षा तथा कौशल की असंगतता को कम कर सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 70-80 लाख युवा श्रम बाजार में प्रवेश करते हैं। ये युवा विविध आकांक्षाएं, कौशल और आशाएं लेकर आते हैं। यद्यपि शैक्षिक उपलब्धियों में सुधार हुआ है, यानी नामांकन बढ़ा है, ड्रापआउट घटा है, स्नातक और उससे ज्यादा शिक्षा प्राप्त करने की दर में इजाफा हुआ है, तथापि शिक्षा क्षेत्र की इन उपलब्धियों को सार्थक रोजगार में बदलना एक चुनौती बनी हुई है।

श्रम बाजार की चुनौतियां शिक्षित युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी दरों के कारण और भी बढ़ जाती हैं। वर्ष 2000 से 2019 तक युवा बेरोजगारी में तिगुनी वृद्धि हुई, लेकिन वर्ष 2022 में 12.1 प्रतिशत तक गिरने का संकेत एक अस्थिर परिदृश्य को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर वर्ष 2000 में 23.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019 में 30.8 प्रतिशत हो गई, लेकिन वर्ष 2022 में यह 18.4 प्रतिशत तक गिर गई, जो रोजगार की सम्भावनाओं के अस्थिर स्वरूप को दशार्ती है।

भारतीय श्रम बल का कृषि से गैर-कृषि क्षेत्रों में संक्रमण एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार पैटर्न और अनौपचारिक काम की प्रवृत्ति में बदलाव हुआ है। यह परिवर्तन भारत रोजगार रिपोर्ट-2024 के डेटा से स्पष्ट है, जो हाल के वर्षों के दौरान स्वयं रोजगार, नियमित रोजगार और आकस्मिक रोजगार में हुए परिवर्तनों को दशार्ता है। अनौपचारिक रूप से रोजगार प्राप्त व्यक्तियों की ज्यादा तादाद ने इस वर्ग के लिए नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और लाभों को प्राप्त करने से सम्बन्धित मुद्दों की विफलता को उजागर किया है। रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का रोजगार गतिविधियों पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की प्रगति के कारण आउटसोर्सिंग उद्योग में आने वाले सम्भावित संकटों से निपटने के लिए त्वरित और ठोस उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में इसके युवा रोजगार पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने पर भी बल दिया गया है।

भारत के युवाओं के लिए एक समृद्ध भविष्य की ओर जाने का मार्ग सशक्तिकरण और अवसर निर्माण के लिए समन्वित और सहयोगी प्रयासों में निहित है। युवा सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने वाले माहौल को बढ़ावा देकर, भारत अपने जनसंख्या लाभ की क्षमता का फायदा उठा सकता है। इसके परिणामस्वरूप सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है। सतत रोजगार के पर्याप्त अवसर बनाने के लिए यह जरूरी है कि लक्षित नीतियों और पहलों के माध्यम से युवा राष्ट्रीय विकास में सक्रिय रूप से योगदान कर सकें।

भारत के युवा उसकी सबसे बड़ी सम्पत्ति हैं। इस जनसंख्या का फायदा उठाने के लिए नीति निमार्ताओं, शिक्षाविदों और नियोक्ताओं को आपस में सहयोग करना होगा। शिक्षा, कौशल विकास और नौकरी निर्माण में निवेश आवश्यक है। भारत रोजगार रिपोर्ट-2024 भविष्य की ओर मार्गदर्शन करती है जहां युवा आकांक्षाएं श्रम बाजार की वास्तविकताओं के साथ सहजतापूर्वक मेल खा सकें।


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