- प्रति हेक्टेयर 16 हजार अनुदान, जिले में हो रही 200 हेक्टेयर में गेंदा फूल की खेती
- फूल व्यवसायी को बढ़ावा देने लिए बनी योजना
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिले में 200 हेक्टेयर में गेंदा फूलों की खेती की जा रही है। किसानों को प्रति हेक्टेयर 16 हजार रुपये सरकार अनुदान देगी। फूलों की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना बनी है। एक किसान अधिकतम एक हेक्टेयर में बाग लगा सकेंगे। नर्सरी में खुद से पौधे तैयार कर खेतों में लगा लेंगे तब, उद्यान विभाग के अधिकारी भौतिक सत्यापन करेंगे। अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो अनुदान की राशि दी जाएगी।
आवेदन के समय जमीन का कैरेंट रसीद, किसान निबंधन संख्या देना जरूरी होगा। गेंदा फूल की मांग शादी-विवाह, पूजा-पाठ के अलावा अन्य कई अवसरों पर खूब होती है। पौधे से 45 दिन में फूल निकलना शुरू होता है। करीब साढ़े तीन महीना तक फूल निकलता है।
कीमत भी अधिक मिलती है। वहीं, इस संबंध में उद्यान विभाग के अधिकारी गमपाल सिंह ने बताया कि गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। फूल का बाग लगाने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 16 हजार का अनुदान मिलेगा। उम्मीद है कि किसानों को इससे अधिक मुनाफा होगा।
पौधे लगाते समय रखें ध्यान
नर्सरी में एक हैक्टेयर के लिए पौधे तैयार करना है तो 800 ग्राम से एक किलो बीज की आवश्यकता होती है। जब, पौधे 30-35 दिन या 4-5 पत्तियों का हो जाए, तब उसकी रोपाई करनी चाहिए। पौधे से पौधे की दूरी 30-35 सेमी मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी. मीटर रखें। पौधों की रोपाई हमेशा शाम के समय करना बेहतर माना गया है। रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।
खेती के लिए मिट्टी का चयन जरूरी
गेंदा की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है, लेकिन अच्छे उत्पादन के लिये दोमट मिट्टी बेहतर मानी गयी है। खेती के लिए अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी अनुकूल नहीं होता है। बेहतर उपज के लिए तापमान 15-30 डिग्री होना चाहिए। मई-जून में फूल प्राप्त करने के लिये बीज को फरवरी-माह में नर्सरी में बोना चाहिए। नवम्बर-दिसम्बर में फूल प्राप्त करना है तो अगस्त में बीज बोये तथा अगस्त-सितम्बर में फूल लेना है तो मई माह में नर्सरी तैयारी करने में जुट जाएं।
गुणों की भरमार
गेंदा के फूल में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह एंटीआॅक्सीडेंट है। फूल से बने अर्क का सेवन ह्रदय रोग, कैंसर तथा स्ट्रोक को रोकने में सहायक माना गया है। फूल से तेल निकालकर इसका प्रयोग ईत्र एवं न्य खुशबूदार उत्पाद बनाने में भी किया जाता है।
गेंदे की प्रजातिया
फ्रेंच प्रजाति: बोलेरो, रेडहेड, गोल्डमजैम, बटर, डस्टीलाल, फ्लेमिंगफायर, फ्लेम, आॅरेंजफ्लेम, सनक्रिस्ट आदि प्रमुख हैं।
अफ्रीकन प्रजाति: पूसानारंगी गेंदा, पूसाबसंती गेंदा, गोल्डनकॉयन, स्टारगोल्ड, गोल्डन एज, डयूस स्पन गोल्ड, हैप्पीनेस, स्पेस एज, मूनशॉटस्माइल आदि प्रमुख है