प्रात: के नाश्ते में प्राय: लोग परांठे, चाय, अचार और रात की बची सब्जी, समोसे-कचौड़ी आदि को महत्व देते हैं जो सही नहीं है। इन चीजों से एक तो भरपूर पोषक तत्व नहीं मिलते, दूसरे इन चीजों का हमारे पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पाचन तंत्र अधेड़ावस्था में कमजोर पड़ जाता है जिससे हमारे लिए तमाम समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।
हमारा शरीर हमें तभी सही लगता है जब वह चुस्त-दुरूस्त और सुंदर भी हो। हमारा शरीर ऐसा तभी रहता है जब वह निरोग हो और भरपूर पोषक तत्व उसे मिल रहे हों। पोषक तत्व हमें हमारे दैनिक भोजन से ही मिलते हैं।
इसके लिए हमारा भोजन संतुलित होना चाहिए जिसमें पोषक तत्व प्रचुर मात्र में हों। पोषक तत्व हमारे शरीर को अवस्था के अनुरूप या हमारी दैनिक मेहनत के अनुसार अलग-अलग मात्रा में चाहिए होते हैं। कार्बोहाइडेट, प्रोटीन, वसा, मिनरल और विटामिन 5 वे तत्व हैं जो हमारे शरीर को पोषण देते हैं।
साठ से तीस प्रतिशत तक कार्बोहाइडेट हमारे लिए जरूरी हैं, क्योंकि ये हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं। वसा की मात्र 30 से 20 प्रतिशत होनी चाहिए। वसा ऊर्जा के रूप में शरीर में जमा हो जाती है और आपात स्थिति में काम आती है। मसलन-कभी भोजन नहीं कर पाए या समय पर भोजन नहीं मिला।
ऐसे भूखे रहने की स्थितियों में शरीर में संरक्षित वसा हमें ऊर्जा प्रदान करती है। मिनरल और विटामिन हमारे रोग प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत व क्रियाशील रखते हैं। प्रतिरोधी तंत्र के प्रभावी रहने से हम पर बीमारियों के हमले कमजोर पड़ जाते हैं।
हमारे शरीर को मिलने वाला प्रोटीन कोशिकाएं बनाता है। कोशिकाएं शरीर को नियमित विकसित करती हैं।
अब प्रश्न उठता है कि हमारे शरीर को पोषण देने के लिए वे कौन सी चीजें हैं जो पोषक तत्वों से भरपूर हैं? विभिन्न पदार्थ उपलब्ध हैं जो विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर हैं। मसलन-फल, सब्जियों में पर्याप्त विटामिन होते हैं।
सबसे अधिक मिनरल नारियल पानी में होते हैं। फलों और सब्जियों को अपने दैनिक भोजन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। इसके अतिरिक्त रोटी या चावल भी अनिवार्य रूप से तीनों समय के आहार में शामिल रहें। एक आदर्श दैनिक आहार इस तरह हो सकता है-
नाश्ता
चाय या काफी के बाद दो टोस्ट, एक अंडा, लगभग सौ ग्राम का कोई फल या एक कटोरी चावल या एक चपाती होनी चाहिए। अंडे से बेहतर यह होगा कि लगभग 200 ग्राम दूध लें लेकिन दूध चूंकि सर्वसुलभ नहीं है और जहां है भी, वहां उसके शुद्ध होने की गारंटी नहीं, इसलिए आहार विशेषज्ञ दूध के विकल्प के रूप में अंडा लेने की सलाह देते हैं।
यहां ध्यान देने की बात यह है कि प्रात: के नाश्ते में प्राय: लोग परांठे, चाय, अचार और रात की बची सब्जी, समोसे-कचौड़ी आदि को महत्व देते हैं जो सही नहीं है। इन चीजों से एक तो भरपूर पोषक तत्व नहीं मिलते, दूसरे इन चीजों का हमारे पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पाचन तंत्र अधेड़ावस्था में कमजोर पड़ जाता है जिससे हमारे लिए तमाम समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।
दोपहर का भोजन
दोपहर का भोजन विशेष महत्व रखता है। यह भोजन ऐसा हो कि हमारा पेट भी भरे, पर्याप्त पोषण दे और संध्या तक हम ठीक-ठाक सामान्य रूप से क्रियाशील भी रहें। यहां हम अगर सिर्फ एक कटोरी चावल, दो रोटी, आधी-आधी कटोरी दाल, सब्जी, दही, थोड़ा सा सलाद (टमाटर, खीरा, गाजर, मूली और फल तथा एक टुकड़ा अचार लें तो ठीक रहेगा। सलाद में कोई एक सब्जी और फल दोनों ही उत्तम माने जाते हैं। गरिष्ठ खाद्य पदार्थ किसी भी समय नहीं लेने चाहिए।
संध्या अल्पाहार
कुछ लोग जो रात को भोजन देर से करते हैं, वे संध्याकाल अल्पाहार लेते हैं। यहां कुछ लोग चाय के साथ नमकीन, पकौड़े या बिस्कुट से काम चला लेते हैं पर यह सही नहीं है। दही की लस्सी या फलों का रस लें तो अति उत्तम होगा। खाद्य पदार्थ में उपमा, भीगा चिवड़ा, भुने या अंकुरित चने, दही बड़ा, मीठी सेंवई अथवा हलवा वगैरह सही रहेगा।
रात्रि का आहार
रात्रि का आहार अनिवार्य रूप से 7 से 8 बजे तक ले लेना चाहिए। मांसाहारी हों तो लगभग 100 ग्राम मांस अथवा मछली, दो रोटी, एक कटोरी चावल, साथ में दाल या सब्जी और सलाद लें। मदिरा पान करते हों तो उपरोक्त आहार मदिरा प्रेमियों के लिए सही है।
यदि शाकाहारी हों तो एक सब्जी के साथ दाल या कढ़ी या चने की सब्जी या कोई अन्य अपनी पसंद की सब्जी लें। चावल, रोटी, सलाद पापड़, फल आदि ले सकते हैं। ऐसे लोग भोजन के साथ मिठाई भी ले सकते हैं। आधे घंटे बाद एक गिलास दूध लें तो उनका भोजन परिपूर्ण हो जाएगा।
मेहनती लोगों का भोजन
अत्यधिक शारीरिक श्रम करने वाली औरतों और मर्दों को अधिक ऊर्जा प्रदान भोजन की आवश्यकता होती है। वे अपनी जरूरत के मुताबिक अपने आहार में खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
पढ़ाई-लिखाई, निरीक्षण इत्यादि करने वाले लोगों, जिन्हें कम शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है, उन्हें कम मात्रा में भोजन करना चाहिए। किसी को भी पेट भरकर भोजन नहीं करना चाहिए। पेट का 20 प्रतिशत हिस्सा हर हाल में खाली रहना चाहिए। अधिक खाने से पाचन तंत्र पर कुप्रभाव पड़ता है और सुस्ती भी ज्यादा आती है।