Saturday, June 21, 2025
- Advertisement -

बिना मैदान हो रहे खेल, पास हो रहे छात्र

  • 20 प्रतिशत विद्यालयों के पास नहीं है खेल मैदान
  • 30 फीसदी स्कूलों में शिक्षक नहीं
  • प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर हो रही धांधले बाजी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: न खेलेंगे न कूदेंगे फिर भी परीक्षा में नंबर पूरे ले लेंगे। यह स्थिति है शारीरिक शिक्षा विषय की, जिसमें छात्रों का पास होना अनिवार्य होता हैं, अन्यथा परीक्षा में फेल माना जाता है। सच देखे तो खेलकूद के नाम पर स्कूलों में पूरे साल कुछ नहीं होता है। ऐसे इस लिए हो रहा है क्योंकि कुछ स्कूलों के पास तो खेल मैदान नहीं है तो कुछ के पास पढ़ाने के लिए शारीरिक शिक्षा विषय के शिक्षक।

वहीं गांव देहात में जिन स्कूलों के पास खेल मैदान है भी वहां अवैध कब्जों की वजह से विद्यार्थी खेल नहीं पाते है। मगर इसके बाद भी प्रयोगात्मक परीक्षा कराई जा रही है। इंटर में शारीरिक शिक्षा की 100 नंबर की परीक्षा होती हैं, जिसमें 50 अंक थ्यौरी और 50 प्रैक्टिकल के होते है। यूपी बोर्ड के स्कूलों में शारीरिक शिक्षा विषय हाईस्कूल और इंटर में अनिवार्य है। हाईस्कूल में नैतिक शिक्षा विषय होता हैं, जिसमें ग्रेड दी जाती है। जिले में 29 जनवरी से प्रयोगात्मक परीक्षाएं शुरु होने जा रही है, लेकिन 20 प्रतिशत स्कूलों के पास खेल मैदान नहीं है। कई स्कूलों के खेल मैदान बदहाल पड़े हुए है। स्कूलों में खेलों के नाम पर खानापूर्ति की जाती हैं,

जो कि माध्यमिक स्कूलों की खेल प्रतियोगिताओं में देखने को मिलता है। इतना ही नहीं 30 फीसदी स्कूलों में खेल शिक्षक तक नहीं है। दूसरे विषयों के शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। ऐसे में अच्छे खिलाड़ी निकलना दूर की बात है। प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर न कोई खेल होता है और न कूद। कागजों पर अंक चढ़ा दिए जाते है। स्कूल प्रयोगात्मक परीक्षा करा अंक आॅनलाइन जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को भेज रहे है। जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार का कहना है कि प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए शिक्षक नियुक्त किए जाते है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है।

पांच रुपये प्रति छात्र है क्रीड़ा शुल्क

यूपी बोर्ड कक्षा नौवीं से 12वीं तक के छात्रों से पांच रुपये मासिक क्रीड़ा शुल्क लिया जाता है। ऐसे में हर साल लाखों रुपये भी क्रीड़ा शुल्क के नाम पर सरकारी खजाने में जमा किए जाते है। मगर उसके बाद भी छात्रों को खेल कूद का प्रशिक्षण स्कूल स्तर पर नहीं मिलता है। वहीं प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए बोर्ड की ओर से शिक्षक तो नियुक्त कर दिए जाते हैं, लेकिन उनकी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं होती है। जिसका फायदा स्कूल वाले उठाते हैं।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Saharanpur News: एसएसपी ने रिजर्व पुलिस लाइन का किया निरीक्षण, परेड की ली सलामी

जनवाणी संवाददाता |सहारनपुर: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवाण...

Saharanpur News: अंतरराष्ट्रीय तनावों के बीच डगमगाया सहारनपुर का लकड़ी हस्तशिल्प उद्योग

जनवाणी संवाददाता |सहारनपुर: जनपद की नक्काशीदार लकड़ी से बनी...

Share Market Today: तीन दिनों की गिरावट के बाद Share Bazar में जबरदस्त तेजी, Sunsex 790 और Nifty 230 अंक उछला

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और...
spot_imgspot_img