जनवाणी संवाददाता|
मेरठ: डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने एक योजना तैयार की थी। यह योजना कागजों में लागू कर दी गई। धरातल पर वर्क नहीं किया। योजना की वास्तविकता यह है कि डोर-टू-डोर कूड़ा भले नहीं उठ पा रहा हो, मगर लोगों के घरों पर सफाई टैक्स का बिल पहुंचने लगा है।
इसको लेकर लोग हैरान है कि कूड़ा उठता नहीं है, बिल आने लगे हैं। आखिर इस योजना में भी अधिकारियों की नाकामी साफ झलक रही है। जब टैक्स वसूलने के लिए बिल भेज दिये हैं तो फिर कूड़ा घरों से क्यों नहीं उठाया जा रहा है? इसको लेकर अभी नगर निगम पूरी तरह से तैयार ही नहीं है।
कूड़ा उठाने के नाम पर एक वार्ड में सिर्फ एक गाड़ी कूड़ा उठाने के लिए दी गई है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की योजना में दो गाड़ियों को कूड़ा उठाने में लगाया जाना चाहिए।
इसकी चर्चा निगम अधिकारी कर भी चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी गाड़ियां नहीं बढ़ाई जा रही है। एक गाड़ी पर चालक व क्लीनर के अलावा दो सफाई कर्मचारी भी होने चाहिए, जो घर-घर से कूड़ा उठाकर लायेंगे। बड़ा सवाल यह है कि कूड़ा घरों से नहीं उठ रहा है, लेकिन सफाई टैक्स जनता पर लाद दिया गया है।
जनता से टैक्स वसूलने के लिए बिल बनाकर घरों पर भेज दिया गया है। बताया गया कि क्षेत्रफल के हिसाब से ये टैक्स वसूला जा रहा है। यह सफाई टैक्स सिर्फ डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने का है, लेकिन कूड़ा उठा नहीं बिल लोगों के घरों पर पहुंच रहे हैं।
इसको लेकर पार्षदों ने भी नाराजगी व्यक्त की है, ताकि लोगों के घरों पर आये बिलों को फिलहाल माफ किया जा सके। क्योंकि अभी तो डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की योजना ही चालू नहीं हो पाई है। फिर बिल भेजने का क्या औचित्य बनता है। इसको लेकर पार्षदों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया है।
40 नई गाड़ियां मिली
नगर निगम को 22 मार्च से पहले 40 नई गाड़ियां खरीदी थी। गाड़ियां नगरनिगम में आ भी चुकी है,जो कोरोना कॉल से ही सूरजकुंड डिपो में खड़ी हुई है। इनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह गाड़ी चालक की कमी होना बताया जा रहा है। इन गाड़ियों को कूड़ा उठाने में लगाने से बड़ी राहत मिलेगी। वैसे तो शहर में 90 वार्ड है,जिसमें दो-दो गाड़ी कूड़ा उठाने के लिए लगाई जानी चाहिए, मगर फिलहाल इतनी सुविधा नगर निगम के पास नहीं है।
टूटे ठेलों से कैसे उठेगा कूड़ा ?
नगर निगम सफाई कर्मियों के पास कूड़ा उठाने में प्रयोग में आने वाली सुविधा भी पूरी तरह से सफाई कर्मियों को नहीं मिल पा रही है। सफाई कर्मियों को जूते, मास्क व ग्लब्ज भी नहीं दिये जा रहे हैं। ठेले भी टूटे हुए हैं, जिनको ठीक नहीं कराया जा रहा है। सफाई कर्मचारी नेता राजू ध्वन का कहना है कि सुविधा मिले तो सफाई में कुछ भी दिक्कत नहीं होगी।
20 लाख आबादी पर बढ़ने चाहिए कर्मचारी
शहर की सफाई के लिए 750 कर्मचारी स्थाई है तो 2250 अस्थाई कर्मचारी है। ये संख्या भी आबादी के हिसाब से कम है। पांच हजार और कर्मचारियों की निगम को भर्ती करनी चाहिए, ताकि सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है। इस बात को सफाई कर्मचारी नेता कैलाश चंदोला भी स्वीकार कर चुके हैं। इसकी मांग भी की जा रही है,मगर सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ने की बजाय घटते जा रहे हैं।